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#100WOMEN: बीबीसी 100 वीमेन 2019 - इस सूची में कितने भारतीय?

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, मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019 (19:38 IST)
साल 2013 से ही बीबीसी 100 वीमेन, प्रेरणा देने वाली महिलाओं की कहानियों को पूरी दुनिया के सामने लाने का काम कर रहा है।
 
पिछले सालों में हमने असाधारण महिलाओं के विविधतापूर्ण ग्रुप को सम्मानित किया है, जिसमें मेकअप उद्यमी बॉबी ब्राउन, संयुक्त राष्ट्र की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अमीना मोहम्मद, सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफ़ज़ई, एथलीट सिमोन बाइल्स, सुपर मॉडल एलेक वेक, संगीतकार एलिशिया कीज़ और ओलंपिक चैंपियन बॉक्स निकोला एडम्स शामिल हैं। 
 
इस साल बीबीसी की ये पुरस्कार विजेताओं की सीरिज़ अपने छठे साल में प्रवेश कर रही है।  साल 2019 में बीबीसी 100 वीमेन फ़ीमेल फ़्यूचर के बारे में होगी। साल 2019 में दुनिया भर की जिन 100 महिलाओं ने इस सूची में जगह पाई, उनमें सात भारतीय हैं। 
 
अरण्या जौहर, कवयित्री
अरण्या जौहर लैंगिक ग़ैरबराबरी, मानसिक सेहत और अपने शरीर को लेकर सकारात्मक सोच जैसे मुद्दों को अपनी कविता के माध्यम से संबोधित करती हैं। उनके 'अ ब्राउन गर्ल्स गाइड टू ब्यूटी' वीडियो को यूट्यूब में तीस लाख से अधिक बार देखा जा चुका है। 
 
उनकी भविष्य की परिकल्पना है, "अगर महिलाएं कार्यबल में शामिल हो जाए तो वैश्विक जीडीपी 28 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है।  हम क्यों दुनिया की आधी आबादी और उनकी संभावना को सीमित कर रहे हैं।  लैंगिक बराबरी वाली दुनिया कैसी दिखेगी? और हम इससे कितनी दूर हैं?"
 
BBC 100 women 2019
सुस्मिता मोहंती, अंतरिक्ष उद्यमी
भारत की स्पेस वीमेन के रूप में इनकी ख्याति है।  स्पेसशिप डिज़ाइनर सुस्मिता ने भारत के पहले स्पेस स्टार्टअप की स्थापना की। 
 
पर्यावरण बचाने को लेकर संवेदनशील सुस्मिता अपने बिज़नेस का इस्तेमाल अंतरिक्ष से जलवायु परिवर्तन को समझने और निगरानी करने में मदद के लिए करती हैं। 
 
भविष्य के लिए उनका विज़न है, "मुझे डर है कि तीन से चार पीढ़ियों में हमारा ग्रह बहुत रहने लायक नहीं रह जाएगा।  मैं उम्मीद करती हूं कि इंसानियत पर्यावरण बचाने के लिए आपात कार्रवाई की ज़रूरत महसूस करेगी। "
 
वंदना शिवा, पर्यावरणविद्
BBC 100 women 2019
1970 के दशक में वो महिलाओं के एक आंदोलन का हिस्सा थीं, जिन्होंने पेड़ काटे जाने के ख़िलाफ़ चिपको आंदोलन चलाया था। 
 
दुनिया में अब वो जानी मानी प्रतिष्ठित पर्यावरण नेत्री हैं और इकोफ़ेमिनिस्ट पुरस्कार की विजेता हैं, जिसे दूसरा नोबल पीस प्राइज़ भी कहा जाता है।  वो महिलाओं को प्रकृति की रक्षक के रूप में देखती हैं। वंदना कहती हैं, "मैं उम्मीद करती हूं कि महिलाएं विनाश और पतन से उबरने का रास्ता दिखाएंगी और हमारे साझा भविष्य के बीज बोएँगी।"
 
नताशा नोएल, योग विशेषज्ञ
BBC 100 women 2019
नताशा एक योगिनी, योगा की प्रशिक्षक और वेलनेस कोच हैं। अपने शरीर के प्रति सकारात्मकता के प्रति सचेत करने वाली नताशा अक्सर सोशल मीडिया पर अपने बचपन के सदमे वाले दिनों का अनुभव साझा करती रहती हैं। तीन साल की उम्र में अपनी मां को खोने और बाल शोषण की शिकार हुईं। 
 
भविष्य के प्रति उनका विज़न है, "भविष्य के प्रति मेरी उम्मीदें हैं कि हम हरेक इंसान के लिए सशक्त दुनिया में रहें। बराबरी का मौका और बराबरी की बुनियादी आज़ादी... हर कोई अपने भावनात्मक प्रतिभा (ईक्यू) और अपने बौद्धिक सूचकांक (आईक्यू) की बेहतरी के लिए काम करे।  इस तरह संजीदा और सचेत इंसान बनें।"
 
प्रगति सिंह, डॉक्टर
BBC 100 women 2019
जब काबिल डॉक्टर प्रगति सिंह ने एसेक्शुअलिटी पर शोध करना शुरू किया, तो उन्हें उन महिलाओं से संदेश आने लगे जो अरेंज मैरिज की समस्याओं से जूझ रही थीं और सेक्स नहीं करना चाहती थीं। 
 
इसलिए उन्होंने ऐसे लोगों को एक जगह मिलाने का काम शुरू किया जो बिना सेक्स वाले संबंध की तलाश में थे।  वो अब एसेक्शुअल लोगों के लिए एक ऑनलाइन कम्युनिटी - इंडियन एसेज़ - चलाती हैं
 
भविष्य के बारे में उनके विचार हैं, "अब समय आ गया है कि हमें अपने फ़ेमिनिज़्म में अधिक से अधिक नारीवादी चीजों को ध्यान में बिठाना होगा।"
 
सुभालक्ष्मी नंदी, लैंगिक बराबरी विशेषज्ञ
BBC 100 women 2019
इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर रिसर्च ऑन वीमेन से जुड़ीं सुभलक्ष्मी ने एशिया में लैंगिक समानता में सुधार के लिए 15 साल गुजारे। 
 
महिला किसानों के अधिकार, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा ख़त्म करने और महिलाओँ की शिक्षा में सुधार पर उनका ख़ास काम रहा है। 
 
भविष्य के लिए उनका विचार है, "भविष्य के प्रति मेरी उम्मीद है कि महिलाएं अब और अदृश्य और नज़रअंदाज़ नहीं रहेंगी।  खेतों, जंगलों, फ़ैक्टरियों, सड़कों और घरों में वे जो काम करती हैं, उन्हें पहचान मिलेगी और वो सक्षम होंगी।  महिलाएं खुद को संगठित करेंगी और जो वो पूरी अर्थव्यवस्था और समाज के लिए काम करती हैं उसे और ढंग से अपने हाथ में लेंगी।  सरकारी आंकड़े और नीति में भी महिलाओँ के काम की वास्तविकता दिखेगी, चाहे वो पैसे के बदले या बिना पैसे के काम करती हैं। "
 
परवीना अहंगर, भारत प्रशासित कश्मीर, मानवाधिकार कार्यकर्ता
रवीना 'कश्मीर की आयरन लेडी' के रूप में जानी जाती हैं।  कश्मीर में भारत के ख़िलाफ़ बग़ावत के चरम दिनों में उनका किशोरवय बेटा 1990 में लापता हो गया था। 
 
वो कश्मीर में एक हज़ार लापता में से एक था।  इसकी वजह से परवीना ने लापता लोगों के परिजनों का एक संगठन एसोसिएशन ऑफ़ डिसैपियर्ड पर्सन्स (एपीडीपी) बनाया।  वो कहती हैं कि उन्होंने अपने बेटे को देखने की उम्मीद नहीं छोड़ी है, अगले साल उसके लापता होने की 30वीं सालगिरह होगी। 
 
भविष्य के प्रति उनका विचार है, "ज़बरदस्ती लापता किए जाने के कारण अपने बेटे को खोने की तक़लीफ़ ने मुझे न्याया और जवाबहेदी के लिए संघर्ष के लिए प्रेरित किया और मेरी आरज़ू है कि मैं एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए काम करूं, ख़ासकर महिलाओं के लिए।  ये ज़रूरी है कि महिलाओं के मुद्दों को आज की दुनिया में अहमियत दी जाए, खासकर उन लोगों के लिए जो युद्ध ग्रस्त और संघर्ष वाले इलाक़े में रहती हैं।"
 
आप बीबीसी के 100 वीमेन फ़्यूचर कांफ्रेंस में लगभग इन सबसे मिल सकते हैं जो 22 अक्टूबर को दिल्ली में होने जा रहा है। 

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