- ज़ुबैर अहमद (बागपत से)
बागपत और मेरठ के बीच जोड़ी नाम का यह गांव जाट बहुल है। यहां अनुसूचित के भी लोग हैं। 2014 के आम चुनाव में जोड़ी गांव भी नरेंद्र मोदी के समर्थन में था। तब बीजेपी ने मुंबई पुलिस के कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह को राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख अजित सिंह के ख़िलाफ़ उतारा था। अजित सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कद्दावर जाट नेता थे लेकिन सत्यपाल सिंह से मुंह की खानी पड़ी थी।
इस बार भी सत्यपाल सिंह चुनावी मैदान में हैं लेकिन हालात 2014 के चुनाव से अलग हैं। इस बार अजित सिंह के बदले उनके बेटे जयंत सिंह सामने हैं और उन्हें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का समर्थन मिला हुआ है। पिछली बार ऐसा नहीं था। इस बार जोड़ी गांव भी बंटा हुआ है। इसी गांव के इंदरपाल सिंह अनुसूचित जाति से हैं और उन्हें अहसास है कि हवा किसी एक तरफ़ नहीं है।
वो कहते हैं, ''यहां हवा दोनों तरफ़ है।'' यहां युवा में मोदी के साथ दिख रहे हैं पर ज़्यादा उम्र के लोग मायावती के साथ हैं। इंदरपाल के घर में ही लोग अलग-अलग पार्टियों का समर्थन कर रहे हैं। इनके बेटे सुशील ख़ुद को मोदी समर्थक बताते हैं। सुशील बीजेपी को वोट देने की बात कर रहे हैं।''
प्रमिला इसी घर की महिला हैं। प्रमिला को नहीं है पता कि वो किसे वोट करेंगी। वो कह रही हैं कि सब मोदी मोदी कर रहे हैं लेकिन उनकी बहन तो मायावती हैं। जोड़ी गांव की चुनावी हवा कमोबेश पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश की है। बगल के ही नेवाडा गांव के राजकुमार कहते हैं कि उनके गांव के दलित दोनों तरफ़ वोट करेंगे।
राजकुमार कहते हैं, ''यहां दलितों के वोट बंट जाएंगे। हमने तो जयंत को आज तक देखा ही नहीं। उनके आने के बाद ही वोट पर कुछ फ़ैसला होगा।'' गांव के जाटों में जयंत को लेकर हमदर्दी है लेकिन क्या यह वोट में ट्रांसफ़र हो पाएगा? यहां के बुज़ुर्गों में अजित सिंह और उनके पिता चौधरी चरण सिंह को लेकर सहानुभूति दिखती है।
मेरठ में चौधरी चरण सिंह को याद करते हुए एक शिक्षक मोदी सरकार की तीखी आलोचना करते हैं। वो कहते हैं कि उनके लिए अजित सिंह बड़े नेता हैं। हालांकि वो युवा जाटों में पीएम मोदी की लोकप्रियता को लेकर नाराज़गी भी ज़ाहिर करते हैं।
इस इलाक़े के मुसलमान मायावती और अखिलेश के गठबंधन से ख़ुश और आश्वस्त नज़र आ रहे हैं। कांग्रेस ने इस इलाक़े की पांच सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला किया है। हालांकि इलाक़े के मुसलमान चुनाव को लेकर अभी खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। इस इलाक़े में चुनाव को लेकर सरगर्मी धीरे-धीरे चढ़ रही है।
इसी इलाक़े में बड़ौत के अंकुर जैन कहते हैं, ''चाहे जिसे खड़ा कर दो हमें तो मोदी ही दिखाई दे रहे हैं। हम उन्हें दोबारा पीएम बनाना चाहते हैं।'' अंकुर जैन के कारोबारी दोस्त राजीव भी मोदी को ही पीएम बनाने की बात कर रहे हैं। राजीव मोदी को पसंद करने की कई वजहें बताते हैं। वो कहते हैं, ''मोदी विकास कर रहे हैं, पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है और उनकी छवि साफ़ है।''
अंकुर कहते हैं, ''हमें पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 20 साल पहले कार्रवाई करनी चाहिए थी। मोदी जी नहीं आते को यह अब तक नहीं होती। मोदी के अलावा ये किसी और में ये हिम्मत नहीं थी। मोदी के कारण अरब के देश भी हमारे साथ हैं।''
मेरठ में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी की प्रो. वीसी विमला कहती हैं कि धारणाओं की लड़ाई में बीजेपी आगे है। मेरठ के समाजशास्त्री धर्मवीर महाजन का मानना है कि बीजेपी का अपना वोटबैंक है और मोदी सरकार ने ग़रीबों के लिए कई योजनाएं भी बनाई हैं।
महाजन का मानना है कि गठबंधन से बहुत फ़ायदा नहीं होगा। मायावती और अखिलेश की पार्टी का ध्यान जाट, मुसलमान और अनुसूचित जातियों पर है। एक अनुमान के अनुसार बागपत में कुल 16 लाख वोटर हैं जिनमें 4.5 लाख जाट, 3.5 लाख मुस्लिम और दो लाख अनुसूचित जाति से हैं। इस बार कहा जा रहा है कि ग़ैरजाट वोट बीजेपी को मिलना आसान नहीं है और जाट वोट भी बंट सकता है।
राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार उनकी पार्टी की स्थिति बहुत मज़बूत है। हालांकि इसी इलाक़े के रियाज़ुद्दीन का मानना है कि वोट के दिन ही साफ़ होगा कि किसकी स्थिति कैसी है। वो मानते हैं कि इस बार अखिलेश और मायावती के गठबंधन के लिए काफ़ी अच्छा मौक़ा है।