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बालाकोट एयर स्ट्राइक : वो सवाल जिनके जवाब आज तक नहीं मिले

हमें फॉलो करें बालाकोट एयर स्ट्राइक : वो सवाल जिनके जवाब आज तक नहीं मिले

BBC Hindi

, बुधवार, 26 फ़रवरी 2020 (09:47 IST)
सलमान रावी (बीबीसी)
 
बालाकोट एयर स्ट्राइक के दावे को 1 साल हो गए हैं लेकिन आज तक ऐसे कई सवाल हैं जिसके जवाब न तो भारत ने दिए और न ही पाकिस्तान ने।
 
साल 2019, तारीख़ 14 फ़रवरी। जम्मू और कश्मीर के पुलवामा के पास एक ज़ोरदार विस्फोट होता है और इसकी चपेट में आ जाता है केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 78 वाहनों का क़ाफ़िला। इस विस्फोट से 40 जवानों की घटनास्थल पर मौत हो जाती है और पूरे देश में दुःख और आक्रोश की लहर दौड़ जाती है। ये सब कुछ आम चुनावों से ठीक पहले होता है और घटना को लेकर राजनीति भी गरमा जाती है।
2 सप्ताह के बाद यानी 26 फ़रवरी को भारत ने दावा किया कि भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमान ने रात के अंधेरे में नियंत्रण रेखा को पार करके पाकिस्तान के पूर्वोत्तर इलाक़े खैबर पख़्तूनख़्वाह के शहर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन के 'प्रशिक्षण शिविरों' के ठिकानों पर सिलसिलेवार 'सर्जिकल स्ट्राइक' किया है।
 
भारत का बयान
 
सर्जिकल स्ट्राइक में भारत के तत्कालीन विदेश सचिव विजय गोखले का बयान आता है, 'इस ग़ैर सैन्य कार्रवाई में बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के चरमपंथी, उनको प्रशिक्षण देने वाले, संगठन के बड़े कमांडर और फ़िदायीन हमलों के लिए तैयार किए जा रहे जिहादियों को ख़त्म कर दिया गया है।'
 
अगले दिन पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई होती है। भारत के लड़ाकू विमान इस कार्रवाई के लिए तैयार हैं। भारत का दावा है 'डॉग-फाइट' में भारतीय वायुसेना के मिग-21 ने पाकिस्तानी वायुसेना के एक एफ़-16 को मार गिराया। बाद में पाकिस्तान ने भी मिग-21 को मार गिराया और विंग कमांडर अभिनंदन को गिरफ़्तार कर 2 दिनों के बाद रिहा कर दिया।
अनुत्तरित प्रश्न
 
बालाकोट के 'सर्जिकल स्ट्राइक' को लेकर पाकिस्तान और भारत के बीच दावों और प्रतिदावों के बीच इस पूरे प्रकरण में कई सवाल ऐसे भी हैं जिनका जवाब नहीं मिल पाया है। इनमें सबसे अहम सवाल आज भी ज्यों का त्यों खड़ा है कि जिस उद्देश्य से बालाकोट पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' की गई, क्या भारत उसमें कामयाब हो पाया?
 
'मरकज़ सैयद अहमद शहीद'- यही नाम है जैश-ए-मोहम्मद के उस मदरसे का जिसे भारत मानता है कि ये दरअसल एक कैम्प है, जहां फिदायीन दस्ते को प्रशिक्षण दिया जाता रहा है। 'सर्जिकल स्ट्राइक' के बाद पाकिस्तान की सेना पत्रकारों के एक दल को बालाकोट ज़रूर ले गई।
 
पाकिस्तान की सेना
 
मगर आरोप है कि इस दल को उस भवन तक नहीं ले जाया गया, जहां पर भारत ने हमला करने की बात कही थी। ये भी आरोप है कि अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रायटर्स के पत्रकारों ने उस पहाड़ी पर जाने के प्रयास भी किए, जहां यह भवन स्थित है। मगर उन्हें पाकिस्तान की सेना ने ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह की उस पहाड़ी पर जाने की अनुमति नहीं दी। क्यों नहीं दी? इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
 
जबकि घटना के 1 महीने के बाद यानी 28 मार्च को पाकिस्तान की सेना पत्रकारों के एक दल को वहां ले गई जिसने मदरसे के भवन को सही-सलामत पाया। पत्रकारों ने मदरसे में पढ़ रहे बच्चों और स्थानीय नागरिकों से भी बात की। मगर भारत का आरोप है कि 1 महीने के अंदर पाकिस्तान की सेना ने हमले में हुए नुक़सान पर लीपापोती कर दी।
 
तो सवाल ये भी उठता है कि क्या भारत के फाइटर जहाज़ों से बरसाए गए बम अपने चिन्हित किए गए ठिकाने यानी चरमपंथियों को प्रशिक्षण देने वाले भवन पर गिर भी पाए? क्या वाक़ई चरमपंथियों को इसका नुक़सान उठाना पड़ा?
 
हमले में पाकिस्तान को कितना नुक़सान?
 
इसका कोई ठोस आकलन सरकारी तौर पर नहीं है। हां, अलबत्ता भारतीय मीडिया ने सरकारी सूत्रों का हवाला देते हुए दावा किया कि 'इस हमले में 300 के आसपास आतंकी मारे गए।' समाचार एजेंसी एएनआई का दावा था कि हमले बालाकोट, चाकोठी और मुज़फ़्फ़राबाद में स्थित कुल तीन 'आतंकी ठिकानों' पर किए गए। मगर इस जानकारी के सार्वजनिक होने के बाद भारत ने स्पष्ट किया कि उसने हमला सिर्फ़ बालाकोट में ही किया है।
 
भारत की तरफ़ से आधिकारिक बयान एयर वाइस मार्शल आरजीके कपूर का आया जिन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से संचालित होने वाले 'आतंकी ठिकानों' पर हमला किया है जिसमें 'आतंकी संगठन' को काफ़ी नुक़सान हुआ है। उन्होंने ये भी कहा कि नुक़सान का अनुमान भी लगाया जा रहा है।
 
कपूर ने देश के राजनीतिक नेतृत्व पर इस बात को छोड़ दिया कि वो बताएंगे कि कितना नुक़सान हुआ है। लेकिन इसके बावजूद ये आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस हमले में कितने 'आतंकवादी' मारे गए थे।
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जिस वक़्त सर्जिकल स्ट्राइक हुई...
 
लेकिन बालाकोट में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में कितने 'आतंकी' मारे गए और उनका कितना नुक़सान हुआ इसको लेकर सिर्फ़ मीडिया में ही ख़बरें आती रहीं, वो भी सूत्रों के हवाले से। ये कहा गया कि जिस वक़्त सर्जिकल स्ट्राइक हुई, उस वक़्त मदरसे में 200 के आसपास मोबाइल मौजूद थे जिन्हें ट्रेस करते हुए भारतीय वायुसेना के विमानों ने निशाना साधा था। इसलिए भारत हमले में 'आतंकी संगठन' के लगभग 200 'फिदायीन' के मारे जाने की बात करता है।
 
मगर इन दावों का भी कोई ठोस जवाब नहीं मिल सका कि क्या भारत ने वाक़ई पाकिस्तान के एक लड़ाकू एफ़-16 विमान को मार गिराया था। यह विमान पाकिस्तान को अमेरिका ने इसी शर्त पर दिया था कि इनका युद्ध में इस्तेमाल नहीं होगा।
 
आख़िर बम कहां गिरे?
 
सर्जिकल स्ट्राइक के 1 महीने से भी ज़्यादा के बाद पाकिस्तान की सेना ने समाचार एजेंसी रायटर्स, अल-जज़ीरा और बीबीसी के पत्रकारों को उस इलाक़े में जाने की अनुमति दी जहां भारत ने 'आतंकवादी अड्डे' को ध्वस्त करने का दावा किया था। जब पत्रकारों को पाकिस्तान की सेना के अधिकारी उस मदरसे में ले गए तो वहां बच्चे पढ़ रहे थे और पत्रकारों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मदरसे के भवन को कोई नुक़सान होने के संकेत नहीं दिख रहे थे।
 
कुछ पत्रकारों ने पास के गांवों का दौरा भी किया और एक चश्मदीद के हवाले से लिखा कि विस्फोटों की आवाज़ें सुनाई दीं। एक ग्रामीण के घायल होने की बात भी कही गई है जिसके माथे पर चोट लगी। चश्मदीद ने पत्रकारों को बताया कि बम पास के जंगल में गिरे थे। फिर पत्रकारों का दल उस स्थान पर गया तो उन्हें टूटे हुए पेड़ और विस्फोट की वजह से ज़मीन में हुए गड्ढे के संकेत भी मिले।
 
भारत क्या कहता है?
 
यहां सवाल उठता है कि पत्रकारों को घटनास्थल पर ले जाने की पाकिस्तान की सेना ने फ़ौरन अनुमति क्यों नहीं दी? फिर 1 महीने से भी ज़्यादा समय के बाद पत्रकारों के दल को वहां क्यों ले जाया गया? भारत सरकार का आरोप है कि इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने सभी सबूतों को नष्ट करने का काम किया। 'सर्जिकल स्ट्राइक' के फ़ौरन बाद जिन तस्वीरों को भारत के पत्रकारों को दिखाया गया था, उनकी छतें क्षतिग्रस्त दिख रही थीं।
 
मगर 1 महीने के बाद जब पाकिस्तान में मौजूद विदेशी एजेंसियों के पत्रकारों को वहां ले जाया गया तो भवन में नुक़सान के कोई सबूत नज़र नहीं आ रहे थे।
 
पाकिस्तान क्या कहता है?
 
पाकिस्तानी सेना की तरफ़ से मेजर जनरल आसिफ ग़फ़ूर ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत का यह ऑपरेशन ख़ाली पहाड़ियों पर बम दाग़कर पूरा हुआ जिसमें कोई घायल नहीं हुआ।उनका दावा था कि कुछ पेड़ों को नुक़सान हुआ था। उनका कहना था, जब पाकिस्तान के रडार पर भारत के जेट विमान आए तो पाकिस्तानी वायुसेना ने उन्हें चुनौती दी और वो वापस लौटने लगे। लौटने के क्रम में उन्होंने 'जाबा' पहाड़ियों पर बम गिराया।
 
लेकिन ग़फ़ूर ने यह नहीं बताया कि चुनौती दिए जाने के बावजूद भारत के लड़ाकू विमान बम गिराने में कैसे कामयाब हो गए? पाकिस्तानी मीडिया ने सेना के हवाले से कहा था कि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के 2 विमान गिरा दिए हैं और 2 पायलटों को पकड़ा है।
 
मगर बाद में सिर्फ़ एक ही विमान गिराने की पुष्टि हुई जिससे विंग कमांडर अभिनंदन को गिरफ़्तार किया गया था। अभिनंदन को 2 दिनों के बाद पाकिस्तान ने रिहा भी कर दिया था।
 
भारत का दावा
 
भारतीय वायुसेना ने भारत को 'हाई रिज़ॉल्यूशन' की तस्वीरें दिखाईं जिसमें 4 इमारतें क्षतिग्रस्त नज़र आ रही थीं। भारत का कहना था कि उसकी एक संस्थान 'नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन' यानी 'एनटीआरओ' ने बताया था कि जिस वक़्त 'सर्जिकल स्ट्राइक' की गई, उस वक़्त मदरसे में 200 के आसपास मोबाइल काम कर रहे थे जिन्हे 'ट्रैक' किया गया और ये पक्का हो गया था कि उस वक़्त वहां 'आतंकियों' की मौजूदगी के सबूत थे। भारत का दावा है कि बाद में इन इमारतों की मरम्मत के बाद ही वहां पत्रकारों को ले जाया गया।
 
तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि पाकिस्तान इसलिए भी नुक़सान की बात से इंकार कर रहा है, क्योंकि अगर वो ऐसा करता है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय उससे फ़ौरन पूछता कि कितना नुकसान हुआ और भवन में कितने लोग मौजूद थे? कितने मारे गए और कितने घायल हैं। इन सवालों से पाकिस्तान बचना चाहता था।
 
बहरहाल, दोनों ही देशों की तरफ़ ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका कोई जवाब नहीं मिल पाया है। दोनों ही देश अपने अपने दावों पर क़ायम हैं। वो दावा तो करते हैं कि उनके पास सबूत हैं, मगर दोनों ही देश अपने दावों के सबूत दिखाने को तैयार नहीं।

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