- फ़्लॉर मैक्डोनल्ड (बीबीसी ट्रैवल)
अफ़्रीका दुनिया का ऐसा महाद्वीप है जहां आदिवासियों की तादाद सबसे ज़्यादा है। हालांकि अफ़्रीका के बहुत से देश काफ़ी तरक़्क़ी कर चुके हैं फिर भी ज़िंदगी जीने का तरीक़ा बहुत हद तक जनजतियों जैसा है।
पुरातन समाज होने के बावजूद कई अफ़्रीकी क़बीलों में महिलाओं को मर्दों के बराबर ही माना जाता है। यहां महिला योद्धाओं का लंबा इतिहास रहा है। ये प्रथा आज भी जारी है। अफ़्रीकी देश बेनिन में एक वक़्त दाहोमे राज्य था और इनकी राजधानी थी अबोमे। कहा जाता है कि इस राज्य की बागडोर महिलाओं के हाथ में थी। सुरक्षाकर्मियों से लेकर फ़ौज तक का ज़िम्मा महिलाओं के पास था। इन महिला योद्धाओं को अमेज़ोन्स कहा जाता है।
आज भी यहां के क़बीले की सबसे ब़ुज़ुर्ग महिला को राज्य की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है और दूसरी सभी महिलाएं उसकी रक्षा करती हैं। हालांकि, आधुनिकता की बयार ने पुराने क़बीलों के तमाम रिवाज बदल डाले हैं। मगर दाहोमे शहर और आस-पास के इलाक़ों में अब भी तमाम ज़िम्मेदारियां महिलाएं ही निभाती हैं।
बेनिन की लोककथाओं के मुताबिक़, दाहोमे राज्य पश्चिमी अफ़्रीका में 1625 से लेकर 1894 तक रहा। इस राज्य की मुख्य ताक़त थी बहादुर और निडर महिला योद्धाओं की सेना जो किसी से भी लोहा लेने में पीछे नहीं रहती थी।
महिला योद्धाओं की टुकड़ी आज भी
कहा जाता है कि 1892 में जब फ़्रांस के साथ लड़ाई हुई तो इन महिला योद्धाओं ने डटकर उनका मुक़ाबला किया। 434 महिला योद्धाओं में से महज़ 17 ही ज़िंदा बची थीं। ये और बात है कि इस लड़ाई के बाद दाहोमे राज्य फ़्रांस का उपनिवेश बन गया था। इन योद्धाओं ने यूरोप और पड़ोसी जनजातियों को कभी अपने राज्य में दाख़िल नहीं होने दिया। दाहोमे की रियासत के वारिस आज भी बेनिन में रहते हैं।
कहते हैं कि दाहोमे की इन महिला योद्धाओं की सेना की बुनियाद महारानी हैंगबे ने रखी थी। हैंगबे ने अठारहवीं सदी में अपने जुड़वां भाई अकाबा की मौत के बाद राजपाट संभाला था। लेकिन कुछ ही समय बाद छोटे भाई अगाजा ने उसे गद्दी से हटा दिया। मौजूदा रानी के मुताबिक़ अगाजा ने हैंगबे के ज़माने की तमाम निशानियों को तहस-नहस कर दिया।
अगाजा मर्दवादी था। उसे लगता था कि राज करने का हक़ सिर्फ़ मर्दों का है। उसने औरतों के शासनकाल की तमाम निशानियों को मिटा दिया। इसीलिए कुछ इतिहासकार भी रानी हैंगबे के वजूद के बारे में पुख़्ता तौर पर ज़िक्र नहीं करते।
इस के बावजूद रानी हैंगबे की विरासत और महिला योद्धाओं की टुकड़ी रखने का चलन आज भी ज़िंदा है। अमेज़ोन्स के वजूद को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। कुछ का कहना है कि ये हाथियों का शिकार करती थीं लेकिन इन्हें इंसानों के शिकार में भी महारत हासिल थी। वहीं एक अन्य थ्योरी के मुताबिक़ अमेज़ोन्स शाही सुरक्षाकर्मी थीं, जो महारानी हैंगबे और उसके बाद के शासकों की भी सुरक्षा गार्ड बनती रहीं।
1818 से 1858 तक राजा घीज़ो ने दाहेमो राज्य की बागडोर संभाल रखी थी और उसी ने अमेज़ोन्स को अपनी फ़ौज में आधिकारिक रूप से शामिल किया था। इस क़दम के पीछे भी एक बड़ी वजह थी। अफ़्रीक़ी जनजातियों के मर्दों को बड़े पैमाने पर यूरोपियन अपने यहां ग़ुलाम बना लेते थे। ऐसे में अफ़्रीकी समाज में मर्दों की कमी होने लगी थी। मर्दों की ज़िम्मेदारियों का भार भी महिलाओं पर आ गया था।
भगवान जो मर्द और औरत है
बेनिन के लोगों का धर्म वुडन है और इनका देवता है मावु-लिसा जो मर्द और औरत दोनों है। माना जाता है कि इसी देवता ने सृष्टि का सृजन किया है। इसीलिए मर्द और औरत में कोई भेद नहीं किया गया और सभी क्षेत्रों में उनकी बराबर भागीदारी रही। लेकिन राज्य की कमान किसी मर्द के हाथ में ही थी।
बहुत से यूरोपियन ग़ुलामों के सौदागर, मिशनरी और उपनिवेशवादियों के दस्तावेज़ों में अमेज़ोन्स का ज़िक्र मिलता है जो निडर योद्धा के तौर पर उनका बखान करते हैं। इटली के एक धार्मिक गुरु फ़्रांसिस्को बोरघेरो 1861 के एक सैन्य अभियान का ज़िक्र करते हुए लिखते हैं कि हज़ारों की संख्या में महिला योद्धाओं से उनका सामना हुआ था। इनमें से बहुत महिला सिपाही 120 मीटर ऊंचे ख़ारदार बबूल पर उफ़ किए बिना नंगे पैर चढ़ गईं और आख़िरी दम तक वार करती रहीं।
19वीं शताब्दी में जिन यूरोपियन लोगों ने दाहेमो राज्य का दौरा किया था वो सभी ग्रीक योद्धाओं के बाद अफ़्रीकी अमेज़ोन्स को ही सबसे ज़्यादा बहादुर मानते हैं। आज के इतिहासकार अमेज़ोन्स के वजूद का ज़िक्र करने लगे हैं। वो इनके लिए मिनो शब्द का इस्तेमाल करते हैं जिसका मतलब है हमारी मां। लेकिन लियोनार्ड वांचिकोन इससे इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते। उनके मुताबिक़ मिनो का मतलब है चुड़ैल। लियोनार्ड बेनिन में ही पैदा हुए हैं और फ़िलहाल प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में राजनीति के प्रोफ़ेसर हैं।
आज दाहेमो राज्य तो नहीं है, लेकिन रानी हैंगबे और उनके अमेज़ोन्स आज भी हैं। इनका ज़िक्र पूजा-पाठ में होता है। धार्मिक समारोहों में ही रानी और अमेज़ोन्स शाही अंदाज़ में नज़र आती हैं। लेकिन आज भी जब रानी चलती है तो उसकी महिला सुरक्षाकर्मी उसके साथ छाता लेकर चलती है जिस पर कशीदाकारी से रानी हैंगबे लिखा रहता है।
18वीं और 19वीं सदी में ये छाते सादा होते थे। उस पर कहीं-कहीं पशु-पक्षियों के चित्र बने होते थे साथ ही इस पर हराए गए दुश्मनों की हड्डियां सजी होती थीं। चूंकि दाहेमो राज्य आदिवासियों के इलाक़े में था, लिहाज़ा वहां रानी का महल भी बहुत फूहड़ अंदाज़ से बनाया जाता था। महल की दीवारों पर जंग में इस्तेमाल होने वाले हथियारों की तस्वीरें उकेरी हुई हैं।
इंसानी खोपड़ी हो सकती है ट्रॉफ़ी
इस राज्य में प्रथा थी कि हरेक नया राजा अपने पूर्वजों के महल के साथ ही अपने लिए नया महल बनाएगा। पुराने राजा के महल को म्यूज़ियम बना दिया जाता था। हालांकि, दाहेमो राज्य के अंतिम शासक बेहानज़िन ने फ़्रेंच योद्धाओं के पहुंचने से पहले अपने महल में आग लगा ली थी। फिर भी उसके कुछ अवशेष बाक़ी हैं जिन पर यूनेस्को का बोर्ड लटका है।
इन अवशेषों पर की गई नक़्क़ाशी बताती है कि अमेज़ोन्स कैसे लाठी का इस्तेमाल करती थीं और कैसे बंदूकों, चाकू छुरियों का इस्तेमाल कर दुश्मन को पछाड़ देती थीं। महल की एक अल्मारी से इंसानी खोपड़ी में घोड़े की दुम रखी पाई गई है। इसके बारे में कहा जाता है कि ये एक तरह की ट्रॉफ़ी थी जिसे एक अमेज़ोन ने अपने सम्राट को सौंपा था। इसका इस्तेमाल मक्खीमार के तौर पर होता था।
अमेज़ोन्स की कहानी हमेशा ही प्रेरणा देती रही है। हो सकता है 2018 में आई फ़िल्म ब्लैक पैंथर भी इन्हीं से प्रभावित होकर बनाई गई हो। डॉ. ऑर्थर वीडो का कहना है कि अफ़्रीका में महिलाओं का इतिहास बदलता रहा है। कुछ इतिहासकार अमेज़ोन्स के इतिहास को शौर्य और वीरता का इतिहास बताते हैं जबकि कुछ इतिहासकारों का मत है कि अमेज़ोन्स वही करती थीं जो एक योद्धा को करना चाहिए। लिहाज़ा उनका रोल बहुत बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बताया जाना चाहिए।
प्रोफ़ेसर वान्चेकोन का कहना है कि अमेज़ोन आत्म निर्भर होती थीं। वो अपने फ़ैसले ख़ुद करती थीं। साथ ही वो दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा का ज़रिया थीं। इसीलिए मौजूदा वक़्त में भी अमेज़ोन्स का किरदार अफ़्रीक़ी समाज के लिए काफ़ी अहम है।
(मूल लेख अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, जो बीबीसी ट्रैवल पर उपलब्ध है।)