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कर्नाटक के ताकतवर रेवन्ना परिवार का सितारा 60 दिनों के अंदर कैसे डूबता चला गया?

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BBC Hindi

, मंगलवार, 25 जून 2024 (08:19 IST)
इमरान कुरैशी, बेंगलुरू से बीबीसी हिंदी के लिए
कर्नाटक में ऐसा कोई राजनीतिक परिवार नहीं है जिसे दो महीने में ही जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी रेवन्ना के परिवार की तरह बड़ा झटका लगा हो। पिछले 60 दिनों के भीतर ही हालात इस कदर बदले हैं कि रेवन्ना परिवार खुद को अजीब स्थिति में पा रहा है। इस परिवार के दो बेटों पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं।
 
प्रज्वल रेवन्ना पर तो यौन उत्पीड़न का आरोप लगा ही था। अब उनके भाई सूरज रेवन्ना भी अप्राकृतिक यौनाचार के आरोप से घिर गए हैं। उससे भी खराब स्थिति ये है कि उनके माता-पिता पर एक महिला के अपहरण का आरोप लगा है। इस महिला ने तो दोनों बेटों में से एक के ख़िलाफ़ रेप का आरोप लगाया है।
 
कर्नाटक के अस्तित्व में आने के 50 साल के इतिहास में राजनीतिक तौर पर ताकतवर कई लोगों और मंत्रियों पर सेक्स स्कैंडल में शामिल होने के आरोप लगे हैं। लेकिन किसी दक्षिण भारतीय राज्य में पूरे परिवार के सेक्स स्कैंडल में फंसने का ये पहला मामला है। हाल तक रेवन्ना परिवार का हर सदस्य किसी न किसी निर्वाचित पद पर था।
 
एचडी रेवन्ना के छोटे बेटे प्रज्वल रेवन्ना हासन के सांसद थे। हालांकि इस लोकसभा चुनाव में वो हार गए। वो जनता दल (सेक्लुयर) और बीजेपी गठबंधन के उम्मीदवार थे। उन पर महिलाओं के यौन शोषण और रेप के आरोप हैं। फिलहाल वो बेंगलुरू में एसआईटी की हिरासत में हैं।
 
उनके बड़े भाई सूरज रेवन्ना को रविवार (23 जून, 2024) को अप्राकृतिक यौनाचार और लोगों को बंधक बनाने के मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ एक पार्टी कार्यकर्ता ने शिकायत की थी। अब सूरज न्यायिक हिरासत में हैं।
 
उनके पिता एचडी रेवन्ना होले नरसीपुरा से विधायक हैं। वह मंत्री रह चुके हैं। एचडी रेवन्ना और उनकी पत्नी भवानी रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न का आरोप है। भवानी रेवन्ना ज़िला पंचायत की अध्यक्ष हैं। उन पर उस महिला के अपहरण के आरोप हैं जिसने प्रज्वल रेवन्ना पर रेप के आरोप लगाए हैं। एचडी रेवन्ना और उनकी पत्नी भवानी रेवन्ना दोनों फिलहाल जमानत पर हैं।
 
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क्या ये 'रेवन्ना राज' का अंत है?
राजनीतिक तौर पर एचडी रेवन्ना के समर्थक और विरोधी दोनों मान कर चल रहे हैं कि शायद ये कर्नाटक के हासन जिले में रेवन्ना राज का अंत है।
 
हासन में रेवन्ना राज या रिपब्लिक ऑफ रेवन्ना जैसे जुमलों का इस्तेमाल इसलिए हो रहा है क्योंकि यहां पूरी तरह इस परिवार का कब्ज़ा रहा है। ज़िले का हर मामला इस परिवार के सदस्यों के हाथ में था।
 
जनता दल (सेक्युलर) के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी हिंदी को बताया कि एचडी रेवन्ना की मर्ज़ी के बगैर में ज़िला प्रशासन में कुछ नहीं हो सकता था।
 
राजनीतिक टिप्पणीकार संदीप शास्त्री कहते हैं, 'ऐसा लगता है कि है सारी परिस्थितियां एक साथ जुड़ गई हैं और सब एक ही परिवार की ओर मुड़ गई हैं और वो भी अनैतिक रूप में।'
 
देवगौड़ा परिवार में शक्ति संतुलन
राज्य की राजनीति में हासन ज़िले की अहमियत की शुरुआत जनता पार्टी और क्रांति-रंगा के गठजोड़ के बाद हुई। दोनों दलों ने राज्य में 1983 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के एकाधिकार को तोड़ दिया था। इन चुनावों के बाद प्रशासन पर भी इन्हीं दोनों का दबदबा हो गया।
 
ये पहली बार था जब राज्य के राजनीतिक वर्ग को ये अहसास हुआ कि एचडी रेवन्ना के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा कितनी आसानी से लोक निर्माण और सिंचाई मंत्री बन गए और उन्होंने हासन ज़िले में अपना दबदबा बना लिया। वो दक्षिणी कर्नाटक में रुतबे वाली वोक्कालिगा जाति के निर्विवाद नेता बनते चले गए।
 
2019 में देवगौड़ा ने अपनी हासन लोकसभा सीट प्रज्वल रेवन्ना को सौंप दिया। प्रज्वल को उन्होंने अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर पेश किया था। दूसरी ओर, उन्होंने अपने दूसरे पोते यानी पूर्व मुख्यमंत्री और फिलहाल केंद्र में भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल गौड़ा को मंड्या सीट से चुनाव लड़वाया।
 
परिवार में ताकत का संतुलन बिठाना उनके लिए ज़रूरी था क्योंकि उन्हें डर था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो रेवन्ना और उनकी पत्नी भवानी और कुमारस्वामी और उनकी पत्नी अनिता के बीच राजनीतिक जंग छिड़ सकती है। अनिता कुमारस्वामी विधायक थीं और भवानी ने ज़िला पंचायत में अपने पति रेवन्ना की जगह ले ली थी।
 
लेकिन 2023 में कुमारस्वामी ने ये पक्का कर दिया था कि भवानी को हासन विधानसभा सीट से टिकट न मिले। इन सबके बीच परिवार में शक्ति संतुलन ने उस समय एक नया मोड़ ले लिया जब 21 अप्रैल को प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित अश्लील वीडियो के पेन ड्राइव बस स्टैंड्स, पार्कों और सार्वजनिक जगहों पर डंप किए जाने लगे।
 
ये सब लोकसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान के ठीक दिन पहले हुआ। लेकिन प्रज्वल रेवन्ना मतदान खत्म होते ही 27 अप्रैल को तड़के ही देश छोड़ कर चले गए।
 
एचडी कुमारस्वामी का रुख़
सरकार ने इस मामले के बाद इन वीडियो में प्रज्वल रेवन्ना की भूमिका और सार्वजनिक जगहों पर पेन ड्राइव डंप करने की घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित की।
 
लेकिन इस दौरान उनके चाचा और जनता दल (एस) के अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी अपने रुख़ पर डटे रहे। उन्होंने ना तो प्रज्वल रेवन्ना और ना ही उनके पिता एचडी रेवन्ना का बचाव किया। वो लगातार ये कहते रहे कि कानून अपना काम करेगा और ये प्रज्वल रेवन्ना का निजी मामला है। उन्होंने कहा कि ये शर्मनाक मामला है। मैं किसी को नहीं बचा रहा हूं।
 
एक समय तो उन्होंने ये भी कहा कि प्रज्वल रेवन्ना जहां भी हैं, वो देश लौट जाएं और कानून का सामना करें। उनकी ज़िम्मेदारी है कि वो इस मामले में खुद को पाक-साफ़ साबित करें। लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि इस स्कैंडल का एक मात्र मकसद उनके परिवार को बदनाम करना और जनता दल (सेक्युलर) को खत्म करना है। हालांकि उन्होंने पार्टी को प्रज्वल रेवन्ना विवाद से बचाए रखने की कोशिश की।
 
जब रविवार को पत्रकारों ने इस केस में सूरज रेवन्ना के कथित तौर पर शामिल होने के बारे में सवाल पूछे तो उन्होंने कहा, 'क्या ये पूछने लायक सवाल है।'
 
डॉ. शास्त्री कहते ने कहा कि रेवन्ना परिवार के ख़िलाफ़ जो मुकदमे दर्ज हुए हैं वो इस परिवार पर बहुत भारी साबित होने जा रहे हैं।
 
यही वजह है कि कुमारस्वामी जो कर रहे हैं सोच-समझ कर रहे हैं। यानी वो भाई से दूरी बना कर चल रहे हैं। साथ ही वो ये भी बता रहे हैं कि पिता की विरासत उनके हाथ में है।
 
सहानुभूति किसके साथ?
लेकिन इस मामले में जनता दल (सेक्युलर) के दबदबे वाले दक्षिणी कर्नाटक के ज़िलों में पार्टी के कार्यकर्ता मोहभंग की स्थिति में हैं। हासन ज़िले में पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता ने कहा, 'हम क्या कह सकते हैं सर। हमें पता ही नहीं चला कि हम पर किसकी मार पड़ी है।’
 
हासन ज़िले के एक और पार्टी कार्यकर्ता अकमल अहमद ने बीबीसी हिंदी से कहा, 'रेवन्ना परिवार पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो अभी आरोप ही हैं। साबित नहीं हुए हैं। हमें इन आरोपों पर विश्वास नहीं है। ये साजिश लग रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि देवगौड़ा के प्रति लोगों में काफी सहानुभूति है।’
 
हासन जिले में मादिगा दंदोरा संघ के अध्यक्ष विजय कुमार अकमल अहमद के नजरिये से इत्तेफ़ाक रखते हैं। उनका भी कहना है कि लोगों की सहानुभूति देवगौड़ा के साथ है।
 
विजय कुमार ने बीबीसी हिंदी से कहा, 'ईमानदारी से आपको बताऊं तो मैंने देवगौड़ा और रेवन्ना को एक ही बार वोट दिया है। लेकिन मैं आपको बताऊं कि इस घटना के बाद देवगौड़ा के प्रति लोगों में काफी सहानूभूति है। जो शख़्स यहां से उठ कर प्रधानमंत्री बना उसे इस हालत में देखना काफी दुखद है। उन्हें जीते जी मारा जा रहा है।'
 
विजय ने कहा, 'रेवन्ना परिवार के ख़िलाफ़ लोगों में काफ़ी गुस्सा है। लोग इस मामले पर अब बात करने से भी डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पता नहीं मीडिया के सामने कुछ बोल दिया और कुछ कार्रवाई ना हो जाए। लेकिन वोक्कालिगा समुदाय उनका सम्मान गिराने नहीं देगा। हमें अभी देखना होगा कि आगे-आगे होता क्या है।'
 
इस पूरे प्रकरण पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीएल शंकर ने बीबीसी हिंदी से कहा कि अब किसी को आगे बढ़ कर हासन ज़िले का नेतृत्व संभालना होगा। अभी ये कहना मुश्किल है कौन इस भूमिका के लिए मुफ़ीद होगा। लेकिन ऐसा कब तक चलेगा। श्रेयस पटेल अब यहां से कांग्रेस के सांसद है। वो 1800 वोटों से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। अब वो लोकसभा के सांसद हैं। यानी अब दूसरी पीढ़ी आ रही है।

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