जीतू का नाम सुनते ही वो आग-बबूला हो गई, "मैं उस काफ़िर का मुंह नहीं देखना चाहती, मेरा बस चले तो मैं उसके टुकड़े-टुकड़े कर कुत्तों को खिला दूं।" जीतू तक ख़बर पहुंची तो वो भागा-भागा लाहौर गया, "इस्मत पर मां-बाप का चाहे जितना दबाव हो, मैं होता तो वो ऐसा बिल्कुल नहीं कहती।" पर इस्मत का परिवार वहां से लापता हो चुका था।