अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन पर RSS प्रमुख मोहन भागवत को याद आया संकल्प

Webdunia
बुधवार, 5 अगस्त 2020 (17:42 IST)
अयोध्या। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागत ने राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखे जाने के बाद कहा कि यह आनंद का क्षण है क्योंकि जो संकल्प लिया गया था, वह आज पूरा हुआ है।
 
उन्होंने कहा, एक संकल्प लिया था और मुझे स्मरण है तब कि हमारे सर संघचालक बाला साहब देवरस जी ने हमको कदम आगे बढ़ाने से पहले यह बात याद दिलाई थी कि 20-30 साल लगकर काम करना पड़ेगा और 30वें साल के प्रारंभ में हमको संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है।
 
अयोध्या में भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा, अनेक लोगों ने बलिदान दिया है और वे सूक्ष्म रूप में यहां उपस्थित हैं, क्योंकि वे प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित नहीं हो सकते हैं। ऐसे भी लोग हैं जो यहां आ नहीं सकते। रथयात्रा का नेतृत्व करने वाले आडवाणी जी अपने घर में बैठकर इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे। कितने ही लोग हैं, जो आ भी सकते हैं लेकिन बुलाए नहीं जा सकते, परिस्थति ऐसी है।
 
उन्होंने कहा, पूरे देश में देख रहा हूं कि आनंद की लहर है, सदियों की आस पूरी होने का आनंद है। लेकिन सबसे बड़ा आनंद है भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास की आवश्यकता थी और जिस आत्म-भान की आवश्यकता थी, उसका साकार अधिष्ठान बनने का शुभारंभ आज हो रहा है।भागवत ने कहा, यह अधिष्ठान है आध्यात्मिक दृष्टि का। सारे जगत में अपने को और अपने में सारे जगत को देखने की भारत की दृष्टि का।
 
उन्होंने कहा, अगर आज अशोक सिंहल यहां रहते तो कितना अच्छा होता, महंत परमहंस रामदास जी अगर आज होते तो कितना अच्छा होता। लेकिन जो इच्छा उसकी (ईश्वर) है, वैसा होता है। लेकिन मेरा विश्वास है कि जो है, वह मन से है और जो नहीं हैं, वे सूक्ष्म रूप से आज यहां हैं।
 
भागवत ने कहा, इस आनंद में एक उत्साह है...अभी यह कोरोना का दौर चल रहा है, सारा विश्व अंतर्मुख हो गया है और विचार कर रहा है कि कहां गलती हुई।
 
उन्होंने कहा, प्रभु श्रीराम हमारी रग-रग में हैं, उनको हमने खोया नहीं है। सब राम के हैं और सबमें राम हैं। इसलिए यहां अब मंदिर बनेगा और भव्य मंदिर बनेगा।संघ प्रमुख ने कहा, ' सारी प्रक्रिया शुरू हो गई है, दायित्व बांटे गए हैं जिसका जो काम है, वह करेंगे। हम सब लोगों को अपने मन की अयोध्या को सजाना-संवारना है।
 
उन्होंने कहा, 'यहां पर जैसे-जैसे मंदिर बनेगा, वैसे ही अयोध्या भी बनती चली जानी चाहिए और इस मंदिर के पूर्ण होने के पहले हमारा मन मंदिर बनकर तैयार रहना चाहिए। हमारा हृदय भी राम का बसेरा होना चाहिए। (भाषा) 

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