अयोध्या के वह प्राचीन स्थान जहां प्रभु श्रीराम ने किए थे खास कार्य

WD Feature Desk
Temples and places of Shri Ram in Ayodhya: प्रभु श्रीराम का जहां जन्म हुआ वहां एक प्राचीन महल था जिसके उजाड़ होने के बाद वहां पर विक्रमादित्य ने एक भव्य मंदिर बनाया था। अयोध्या में जन्मभूमि के अलावा ऐसे भी कई स्थान है जो प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़े हैं और वे वहां जाकर खास कार्य करते थे। 150 से अधिक पौराणिक स्थानों का जीर्णोद्धार किया है। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ स्थानों के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
दशरथ महल : अयोध्या में रामकोट स्थित 'दशरथ महल' दशरथ जी का राजमहल जो जिसे आज एक सिद्ध पीठ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार राजा दशरथ ने त्रेता युग में इस महल की स्थापना की थी। महाराज दशरथ के महल को बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर राम विवाह, दीपावली, श्रावण मेला, चैत्र रामनवमी और कार्तिक मेला का यहां उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्तमान में इस स्थान पर श्री वैष्णव परम्परा की प्रसिद्ध पीठ एवं विन्दुगादी की सर्वोच्च पीठ भी स्थित है। इस पौराणिक महल का कालांतर में कई बार जीर्णोद्धार हुआ है। 
 
सरयू नदी : अयोध्या में सरयू नदी इस बात की गवाह है कि जिसे पार करके श्रीराम वनवास के लिए गए थे और अंत में जिस नदी में प्रभु श्रीराम ने जल समाधि ले ली थी। मान्यता अनुसार इस नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद मिलता है। सरयू नदी के गुप्तार घर पर ही श्रीराम ने ध्यान किया था और यहीं उन्होंने समाधि ली थी। 
 
कनक भवन : यहां पर श्रीराम और सीता एक साथ रहते थे। यह भवन नए स्वरूप में आज भी विद्यमान है। इसे कनक भवन इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां पर प्रभु श्रीराम और सीता सोने का मुकुट पहने हुए है। सोना यानी कनन।
 
नंदीग्राम : अयोध्या के पास वह स्थान जहां पर राज भरत रहकर शासन करते थे और वनवास के बाद प्रभु श्रीराम सबसे पहले यहीं आकर रुके थे।
दंत धावन कुंड : जहां प्रभु राम अपने दांतों की सफाई करते थे। उस स्थान को दंत धावन कुंड या राम दतौन कहते हैं। हनुमानी गढ़ी क्षेत्र में ही दन्तधावन कुंड है जहां श्रीराम अपने भाइयों के साथ अपने दांतों की सफाई कर कुल्ला करते थे। इसे ही राम दतौन भी कहते हैं। इस कुंड में कई दुर्लभ प्रजाती के कछुए तैरते रहते हैं। अयोध्या में उत्सव के दौरान इस कुंड के आसपास लाइटिंग की जाती है और इसे सजाया जाता है।  
 
हनुमानगढ़ी : अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। माना जाता है कि लंका विजय करने के बाद हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और राम जन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। इसे ही हनुमानजी का घर भी कहा गया।
 
रामकोट : रामकोट रामकोट अयोध्या में सबसे अधिक बार देखा जाने वाला धार्मिक स्थल है। रामकोट का एक प्राचीन गढ़, जो शहर के पश्चिमी भाग में एक ऊंचे मैदान पर स्थित है। इसे भगवान राम का किले के रूप में जाना जाता है। यह वही स्थान है जहां भगवान राम को 'कोशल' साम्राज्य का राज्य प्रदान किया गया था।

त्रेता के ठाकुर : यह काले राम के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। कहते हैं कि यहां भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था। कुल्लू के राजा ने लगभग तीन शताब्दी पूर्व इस मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्वार करवाया।

छोटी देवकाली मंदिर : माना जाता है कि माता सीता अयोध्या में भगवान राम के साथ अपने विवाहोपरांत देवी गिरिजा की मूर्ति के साथ आयीं थीं। राजा दशरथ ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया तथा इस मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया था। वर्तमान में यह मंदिर देवी देवकाली को समर्पित है।
 
इसके आलावा यहां सीता कुंड, दशरथ कुंड, विभीषण कुंड है जो उनके निजी हुआ करते थे। इसके अलावा वशिष्ठ कुंड, लोमश गणेश कुंड, सूर्य कुंड, शत्रुघ्न कुंड और बृहस्पति कुंड भी है। ब्रह्मा कुंड जहां ब्रह्मा ने तप और यज्ञ किया था और जहां पर सिख गुरुनानकदेवी ने ध्यान किया था।

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