अयोध्या। 27 वर्षों से लावारिश लाशों का मुफ्त में अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद शरीफ को भी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बुधवार को होने वाले भूमि पूजन पर निमंत्रण दिया है। ट्रस्ट ने कहा है कि मोहम्मद शरीफ वह इंसान हैं, जो लोगों का मुफ्त में अंतिम संस्कार करते हैं और करीब 10 हजार लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है।
ट्रस्ट के पदाधिकारी ने कहा कि वह अयोध्या के निवासी हैं और हमने उन्हें आमंत्रित किया है। पिछले 27 सालों से हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई किसी भी लावारिश लाश को फेंकने नहीं दिया। शरीफ के लिए हिन्दू हो तो सरयू घाट पर और मुस्लिम हो तो कब्रिस्तान पर दफन करना रोजमर्रा का काम बन गया था।
शरीफ ने 'यूनीवार्ता' से बातचीत में कहा 'मैं बहुत खुश हूं कि आज पूरे देश में हिन्दू, मुस्लिम एकता का संदेश जा रहा है। अब तक करीब तीन हजार हिन्दू और ढाई हजार मुस्लिम शवों का अंतिम संस्कार करवा चुका हूँ।
उन्होंने बताया कि मेरा बेटा मेडिकल में काम करता था और वह सुलतानपुर गया था, जहां उसकी हत्या करके शव को फेंक दिया गया। परिजनों ने उसे बहुत खोजा पर शव नहीं मिला। उसी दिन से लावारिश शवों को खोजकर उनका अंतिम संस्कार करने का प्रण लिया था।
आम लोगों के बीच वह शरीफ चाचा के नाम से मशहूर हैं। वह कहते हैं कि जब तक मुझमे जान है लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करते रहेंगे। मैं 27 वर्षों से इस सेवा में जुटा हुआ हूं और मुझे बहुत सुकून मिलता है।
PM मोदी का स्वागत रामनामी दुपट्टा और रामचरित मानस से : विवादित बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे राममंदिर निर्माण के भूमि-पूजन के अवसर पर निमंत्रण देकर बुलाया है। मैं अवश्य जाऊंगा और मोदी जी का स्वागत रामनामी दुपट्टा व रामचरित मानस भेंट करके करूंगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आने से अयोध्या का अब विकास दिखेगा, हम खुश हैैं। पूरे हिंदुस्तान के मुसलमानों ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।
अंसारी ने कहा कि अयोध्या में मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे व चर्च भी हैं। हम सब मिलकर इसका भी विकास करेंगे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे हाशिम अंसारी ने भी हमेशा यही कहा कि अदालत का फैसला जो भी होगा मान्य होगा और उसी के अनुसार मैं अपना कर्तव्य निभा रहा हूं।
उन्होंने बताया कि मंदिरों में ज्यादातर मुस्लिम समाज के लोग ही फूल-माला देते हैं और यहां पर कभी भी हिन्दू-मुस्लिम में आपसी विवाद नहीं हुआ। मंगलवार को हो रहे भूमि पूजन से पूरे देश और विश्व में एक माहौल बनेगा कि हिन्दू-मुस्लिम एक हैं। (वार्ता)