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अयोध्या का पुराना नाम क्या है?

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अनिरुद्ध जोशी

, गुरुवार, 7 नवंबर 2019 (11:35 IST)
अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता |
मनुना मानवेन्द्रेण या पुरी निर्मिता स्वयम् || रामायण १-५-६

सरयू नदी के तट पर बसी अयोध्या नगरी रामायण के अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापित की गई थी। स्‍कंद पुराण के अनुसार अयोध्‍या भगवान विष्‍णु के चक्र पर विराजमान है। यह हिन्दुओं की प्राचीन सप्त पुरियों में से एक है।
 
 
कहते हैं कि 'अयोध्या' शब्द 'अयुद्धा' का बिगड़ा स्वरूप है। रामायण काल में यह नगर कोसल राज्य की राजधानी थी। भगवान राम के पुत्र लव ने श्रावस्ती नगरी बसाई थी। बौद्ध काल में यह श्रावस्ती राज्य का प्रमुख शहर बन गया और इसका नाम 'साकेत' प्रचलित हुआ। कालिदास ने उत्तर कोसल की राजधानी साकेत और अयोध्या दोनों ही का नामोल्लेख किया है।
 
 
दरअसल, बौद्ध काल में कोसल के दो भाग हो गए थे- उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल जिनके बीच में सरयू नदी बहती थी। अयोध्या या साकेत उत्तरी भाग की और श्रावस्ती दक्षिणी भाग की राजधानी थी। इस काल में श्रावस्ती का महत्त्व अधिक था। कहते हैं कि बौद्ध काल में ही अयोध्या के निकट एक नई बस्ती बन गई थी जिसका नाम साकेत था। जीपी मललसेकर, डिक्शनरी ऑफा पालि प्रापर नेम्स के भाग 2 पृष्ठ 1086 के अनुसार पालि-परंपरा के साकेत को सई नदी के किनारे उन्नाव जिले में स्थित सुजानकोट से जोड़ा है जहां के खंडहर इस बात का सबूत है।
 
 
कुछ विद्वानों के अनुसार प्राचीनकाल में अयोध्या कोसल क्षेत्र के एक विशेष क्षेत्र अवध की राजधानी थी इसलिए इसे 'अवधपुरी' भी कहा जाता था। 'अवध' अर्थात जहां किसी का वध न होता हो। अयोध्या का अर्थ- जिसे कोई युद्ध से जीत न सके। स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु है तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है। इसका शाब्दिक अर्थ है- जहां पर युद्ध न हो।
 
 
कहते हैं कि अयोध्या का पुराना नाम भी अयोध्या ही था, क्योंकि वाल्मीकि रामायण में इसका नाम अयोध्या वर्णित है और पुराणों में जब प्राचीन सप्त पुरियों का उल्लेख किया जाता है, तब भी उस नामोल्लेख में 'अयोध्या' शब्द का ही उपयोग किया गया है।
 
 
अथर्व वेद में अयोध्या को 'ईश्वर का नगर' बताया गया है, 'अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या'। नंदूलाल डे, द जियोग्राफ़िकल डिक्शनरी ऑफ़, ऐंश्येंट एंड मिडिवल इंडिया के पृष्ठ 14 पर लिखे उल्लेख के अनुसार राम के समय इस नगर का नाम अवध था।
 

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