नवीन ऊर्जा वाहनों की स्वीकार्यता भारत में तेजी से बढ़ेगी, सर्वे में आई बात सामने
खरीदार 49 प्रतिशत अधिक खर्च करने को होंगे तैयार
energy vehicles: नई कार खरीदने वाले अधिकांश लोग वर्ष 2030 तक नवीन ऊर्जा वाहनों (electric and hydrogen etc) को ही एकमात्र विकल्प के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। अर्बन साइंस और द हैरिस पोल के एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि खरीदार 1 इलेक्ट्रिक वाहन के लिए पेट्रोल/डीजल (petrol/diesel) वाहन की लागत से 49 प्रतिशत अधिक खर्च करने को तैयार होंगे।
वैश्विक सर्वेक्षण में शामिल 1,000 संभावित भारतीय खरीदारों में से लगभग 83 प्रतिशत ने कहा कि वे इस दशक के अंत तक नई इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर विचार करेंगे। अर्बन साइंस की ओर से द हैरिस पोल द्वारा ऑनलाइन किए गए सर्वेक्षण में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन और जर्मनी सहित विभिन्न बाजारों से प्रतिक्रियाएं मिलीं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में नवीन ऊर्जा वाहनों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण, सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग ढांचे के तेजी से विस्तार से प्रेरित हो रहा है। ईवी चार्जिंग ढांचे की प्रमुख शहरों में उल्लेखनीय उपस्थिति है और दूसरी श्रेणी के शहरों में भी इसकी पहुंच बढ़ रही है।
राजमार्गों पर 6,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध : वर्तमान में भारत में प्रमुख शहरों और राजमार्गों पर 6,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं। यह संख्या 2027 तक बढ़कर 1 लाख से अधिक हो सकती है। सर्वेक्षण से पता चला है कि सकारात्मक दृष्टिकोण ईवी खंड के लिए सरकार की सक्रिय नीतिगत पहल के कारण भी है।
इसमें कहा गया है कि भारत को ईवी क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी और उत्पादन पैमाने तक पहुंच बनानी चाहिए जिसमें चीन ने महारत हासिल की है। सर्वेक्षण के अनुसार अवसर बढ़ रहे हैं, लेकिन भारत के ईवी अभियान को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर जब इस क्षेत्र में चीन के दबदबे से तुलना की जाती है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला है कि चीन लिथियम-आयन बैटरी, इलेक्ट्रिक मोटर के उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्बाध संचालन के लिए महत्वपूर्ण कलपुर्जों और चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना में अग्रणी है। इसमें कहा गया है कि इस विशेषज्ञता का लाभ उठाए बिना भारत की ईवी महत्वाकांक्षाओं को प्रासंगिक बनाए रखने में मुश्किल आ सकती है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta