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शनिदोष को शांत करते हैं यह 13 सरल उपाय

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शनि एक ग्रह है और शनि एक देव भी हैं। हम यहां देव की बात नहीं ग्रह की बात कर रहे हैं। सूर्य और चंद्र की तरह प्रत्येक ग्रह उदय और अस्त होता है। हमें वह आसमान में दिखाई देता है। कुछ लोग उसे पहचानते हैं और कुछ नहीं।
 
जिस तरह सूरज और चंद्र का प्रभाव धरती पड़ता है उसी तरह अन्य ग्रहों का प्रभाव भी पड़ता है। जिस तरह चंद्र के प्रभाव से धरती के प्रत्येक भाग का जल प्रभावित होता है फिर चाहे वह जल समुद्र में हो या मानव पेट में, उसी तरह शनि का प्रभाव धरती के प्रत्येक लौह तत्व पर होता है। हमारे शरीर में भी लौहतत्व होता है।
 
शनि के बुरे प्रभाव के चलते दांत, बाल और हड्डियां समय पूर्व की कमजोर होने लगती है। पेट के रोग उत्पन्न हो जाते हैं और दिमाग की खराबियां भी होने लगती है। व्यक्ति में क्रोध भी बढ़ जाता है। गृह कलह उत्पन्न होने लगता है। ऐसे में शनि के कुछ उपाय आपको बताएं जा रहे हैं जिससे शनि के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
 
उल्लेखनीय है कि शनि का दुष्प्रभाव उस घर, मकान या भवन पर भी होता है, जहां का वास्तु बिगड़ा हो। ऐसे में ये उपाय काम नहीं आएंगे।
 
1. छाया दान करें : अर्थात एक स्टील की कटोरी में सरसों का तेल डालें और उसमें अपनी छाया देखकर उसे किसी भी मंदिर में रख आएं या प्रत्येक शनिवार को लोहे की कटोरी में तेल भरकर अपना चेहरा देखकर गरीब को देना चाहिए। अगर कोई न मिले तो उसमें बत्ती लगाकर उसे शनि मंदिर में जला देना चाहिए।
 
2. हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनिवार व मंगलवार को क्रोध न करें। इससे आपका दिमाग सही रहेगा।
 
3. खाली पेट नाश्ते से पूर्व काली मिर्च चबाकर गुड़ या बताशे से खाएं। भोजन करते समय नमक कम होने पर काला नमक तथा मिर्च कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें। भोजन के उपरांत लौंग खाएं। भोजन करते समय मौन रहें।

5. गरीबों, असहायों को काला कंबल सप्तधान्य, काले वस्त्र दान करें। 
 
6.प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर तेल मसलें।
 
7.मांस, मछली, मद्य तथा नशीली चीजों का सेवन बिलकुल न करें।
 
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8.घर की महिला जातक के साथ सहानुभूति व स्नेह बरतें। गृहलक्ष्मी के झगड़ालू होने से घर से शनि की सुख-शांति व समृद्धि रूठ जाती है। महिला जातक के माध्यम से शनि प्रधान व्यक्ति का भाग्य उदय होता है।
 
9.गुड़ व चने से बनी वस्तु भोग लगाकर अधिक से अधिक लोगों को बांटना चाहिए।
 
10.प्रत्येक शनि अमावस्या को अपने वजन का दशांश सरसों के तेल का अभिषेक करना चाहिए।
 
11.उड़द की दाल के बड़े या उड़द की दाल, चावल की खिचड़ी बांटनी चाहिए। 
 
12.काले घोड़े की नाल अथवा नाव की कील से बना छल्ला अभिमंत्रित करके धारण करना शनि के कुप्रभाव को हटाता है।
 
13. शनि की वस्तुओं का दान ग्रहण नहीं करें।

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