भारतीय संस्कृति में भविष्यवाणी के ज्ञान का विशाल भंडार निहित है। तकनीकी रूप से इनका कोई लिखित इतिहास नहीं है लेकिन पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह ज्ञान हस्तांतरित हो रहा है और मानना होगा कि इनके माध्यम से की गई भविष्यवाणियां अचूक सिद्ध होती हैं।
प्रस्तुत है परंपरागत रूप से मिला कुछ अनोखा संकलन -
* जिस वर्ष अक्क खूब फूलता है तो कोदों की फसल अच्छी होती है। नीम के पेड़ में अधिक फूल-फल लगे तो जौ की फसल अच्छी होती है। खस्स की वृद्धि हो तो गेहूं, बेर और चने की फसल अच्छी होती है।
* सामने की छींक लड़ाई-झगड़े को बतलाती है। पीछे की छींक से सुख से सुख मिलता है। दाईं तरफ की छींक धन को नष्ट करती है। बाईं तरफ की छींक से सुख मिलता है। ऊंची छींक बड़ी ही उत्तम होती है। नीची छींक बड़ी दुखदायिनी होती है और चलते समय अपनी छींक बड़ा दुख देने वाली होती है।
* घर से चलते समय यदि कुत्ता कान फड़के तो कार्य बिगड़ जाता है।
* यदि एक महीने में दो ग्रहण हो तो राजा या मंत्री की मृत्यु होती है।
* तीतर का जोड़ा जब खाने लगता है और बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में हो तो उस दिन वर्षा होगी।
* आलू को सदा कृष्ण पक्ष में बोना चाहिए।
* एक बादल यदि दूसरे बादल में घुसे तो उसी समय पानी बरसे।
* यदि एक ढेले पर बैठकर चील बोले तो भारी वर्षा होगी।
* यदि सावन शुदि (शुक्ला) सप्तमी को आधी रात के समय बादल गरजे और पानी बरसे तो अकाल पड़ेगा।
* चित्रा नक्षत्र की वर्षा प्राय: सारी खेती नष्ट कर देती है।
नोट : यह जानकारी परंपरागत रूप से प्राप्त ज्ञान पर आधारित है। पाठकों की सहमति-असहमति स्वविवेक पर निर्भर है।