गाय बेहद शांत और सौम्य पशु है। हिन्दू धर्म में यह पवित्र और पुजनीय मानी गई है। यहां तक कि ज्योतिष के कई बड़े शास्त्रों में गाय की विशेष महिमा बताई गई है। आइए जानें गाय के 10 शुभ शकुन...जो चौंकाने वाले हैं....
1. ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
2. यदि यात्रा के प्रारंभ में गाय सामने आ जाए अथवा अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने आ जाए तो यात्रा सफल होती है।
3. जिस घर में गाय होती है, उसमें वास्तुदोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है।
4. जन्मपत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राशि कन्या पर हो, शुक्र की दशा चल रही हो या शुक्र अशुभ भाव (6, 8, 12)- में स्थित हो तो प्रात:काल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की गाय को खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंधी कुदोष स्वत: समाप्त हो जाता है।
5. पितृदोष से मुक्ति- सूर्य, चंद्र, मंगल या शुक्र की युति राहु से हो तो पितृदोष होता है। यह भी मान्यता है कि सूर्य का संबंध पिता से एवं मंगल का संबंध रक्त से होने के कारण सूर्य यदि शनि, राहु या केतु के साथ स्थित हो या दृष्टि संबंध हो तथा मंगल की युति राहु या केतु से हो तो पितृदोष होता है। इस दोष से जीवन संघर्षमय बन जाता है। यदि पितृदोष हो तो गाय को प्रतिदिन या अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है।
6. किसी की जन्मपत्री में सूर्य नीच राशि तुला पर हो या अशुभ स्थिति में हो अथवा केतु के द्वारा परेशानियां आ रही हों तो गाय में सूर्य-केतु नाड़ी में होने के फलस्वरूप गाय की पूजा करनी चाहिए, दोष समाप्त होंगे।
7. यदि रास्ते में जाते समय गोमाता आती हुई दिखाई दें तो उन्हें अपने दाहिने से जाने देना चाहिए, यात्रा सफल होगी।
8. यदि बुरे स्वप्न दिखाई दें तो मनुष्य गोमाता का नाम ले, बुरे स्वप्न दिखने बंद हो जाएंगे।
9. गाय के घी का एक नाम आयु भी है- 'आयुर्वै घृतम्'। अत: गाय के दूध-घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है। हस्तरेखा में आयुरेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी काम में लें तथा गाय की पूजा करें।
10. देशी गाय की पीठ पर जो ककुद् (कूबड़) होता है, वह 'बृहस्पति' है। अत: जन्म पत्रिका में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में हों या अशुभ स्थिति में हों तो देशी गाय के इस बृहस्पति भाग एवं शिवलिंगरूपी ककुद् के दर्शन करने चाहिए। गुड़ तथा चने की दाल रखकर गाय को रोटी भी दें। गोमाता के नेत्रों में प्रकाश स्वरूप भगवान सूर्य तथा ज्योत्स्ना के अधिष्ठाता चन्द्रदेव का निवास होता है। जन्मपत्री में सूर्य-चन्द्र कमजोर हो तो गोनेत्र के दर्शन करें, लाभ होगा।
(पं. श्रीश्रीकृष्णजी शर्मा)