सूर्य व मंगल दोनों ही अग्नि संबंधी, भरपूर ऊर्जा वाले ग्रह माने जाते हैं। यदि ये किसी कुंडली में साथ-साथ विराजमान हो, शुभ भावों के स्वामी होकर शुभ स्थान में हो तो इस युति वाले जातक अत्यंत महत्वाकांक्षी, प्रबल आत्मविश्वासी एवं जीवट वाले होते हैं। आक्रामकता व अति साहस इनमें कूट-कूटकर भरा होता है। दूसरों पर शासन करना, अधिकार जमाना इनकी खूबी होती है। विरोधियों पर विजय पाना व प्रतिकूल परिस्थिति में भी सामना करना इनके लिए सामान्य सी बात होती है।
ये व्यक्ति जिस क्षेत्र में रहते हैं, उसमें क्रांतिकारी परिवर्तन ले आते हैं। यह योग शासकों, सेनाध्यक्षों की कुंडली में देखा जाता है। ये व्यक्ति अपने दम पर सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की भूमिका बनाते हैं और यश-प्रतिष्ठा के भागी बनते हैं। अहंकार भी इनके स्वभाव का अंग होता है, सहजता से इन्हें समझाया नहीं जा सकता, न ही इनके विरोध में जाया जा सकता है।
स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें इन्हें होती हैं। रक्तचाप, हृदय रोग, दुर्घटना, पित्त रोग, हेमरेज जैसी बीमारियाँ इन्हें परेशानी करती हैं।