ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु और केतु की भूमिका (Rahu Ketu) एक पुलिस अधिकारी की तरह है जो न्यायाधीश शनि के आदेश पर कार्य करते हैं। राहु का रंग काला और केतु का रंग सफेद माना जाता है। राहु की देवी सरस्वती जी और केतु के देवता भगवान गणेश जी है।
राहु और केतु शनि के अनुचर हैं। शरीर में इनके स्थान नियुक्त हैं। सिर राहु है तो केतु धड़। यदि आपके गले सहित ऊपर सिर तक किसी भी प्रकार की गंदगी या खार जमा है तो राहु का प्रकोप आपके ऊपर मंडरा रहा है और यदि फेफड़ें, पेट और पैर में किसी भी प्रकार का विकार है तो आप केतु के शिकार हैं। चूंकि राहु का सिर्फ सिर है और केतु का धड़ इसलिए राहु प्रधान व्यक्ति दिमाग से ज्यादा काम लेते हैं और केतु प्रधान व्यक्ति दिल से।
राहु का पशु हाथी और कांटेदार जंगली चूहा तथा केतु का पशु कुत्ता, गधा, सुअर और छिपकली है। राहु का वृक्ष नारियल का पेड़ व कुत्ता घास और केतु का इमली का दरख्त, तिल के पौधे व केला है। राहु शरीर के सिर और ठोड़ी पर और केतु कान, रीढ़, घुटने, लिंग और जोड़ पर प्रभाव डालता है। अत: इस तरह देखा जाए तो राहु ग्रह मनुष्य के दिमाग पर और केतु दिल पर असर करके मनुष्य के जीवन में उथल-पुथल मचा देता है।
राहु (Rahu) : यदि व्यक्ति अपने शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की गंदगी पाले रखता है तो उसके ऊपर काली छाया मंडराने लगती है अर्थात राहु के फेर में व्यक्ति के साथ अचानक होने वाली घटनाएं बढ़ जाती है। घटना-दुर्घटनाएं, होनी-अनहोनी और कल्पना-विचार की जगह भय और कुविचार जगह बना लेते हैं। राहु के फेर में आया व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। राहु ऐसे व्यक्ति की तरक्की रोक देता है।
राहु का खराब होना अर्थात् दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। राहु के खराब होने से गुरु भी साथ छोड़ देता है।
राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छे होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।
उपाय- सिर पर चोटी रख सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर। भोजन भोजनकक्ष में ही करें। ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें। रात को सिरहाने मूली रखें और उसे सुबह किसी मंदिर में दान कर दें।
केतु (Ketu) : जो व्यक्ति जुबान और दिल से गंदा है और रात होते ही जो रंग बदल देता है वह केतु का शिकार माना जाता है। यदि व्यक्ति किसी के साथ धोखा, फरेब, अत्याचार करता है तो केतु उसके पैरों से ऊपर चढ़ने लगता है और ऐसे व्यक्ति के जीवन की सारी गतिविधियां रुकने लगती है। नौकरी, धंधा, खाना और पीना सभी बंद होने लगता है।
ऐसा व्यक्ति सड़क पर या जेल में सोता है घर पर नहीं। उसकी रात की नींद हराम रहती है, लेकिन दिन में सोकर वह सभी जीवन समर्थक कार्यों से दूर होता जाता है। केतु के खराब होने से व्यक्ति पेशाब की बीमारी, जोड़ों का दर्द, सन्तान उत्पति में रुकावट और गृहकलह से ग्रस्त रहता है।
केतु के अच्छा होने से व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा और संतानों का सुख उठाता है और रात की नींद चैन से सोता है।
उपाय- भगवान गणेश की आराधना करें। संतानें केतु हैं। इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं। कान छिदवाएं। कुत्ता भी पाल सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर। (वेबदुनिया डेस्क)
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