लाल परम तेजस्वी और उग्र ग्रह मंगल को लेकर कई भ्रामक बातें प्रचारित की जाती है। मंगल प्रसन्न हो जाए तो नाम के अनुरूप ही मंगल करते हैं। मंगल की उत्पत्ति की विभिन्न कथाएं हैं। पढ़ें यहां 10 विशेष जानकारी :
1 . जब हिरण्यकशिपु का बड़ा भाई हिरण्याक्ष पृथ्वी को चुरा कर ले गया था तब भगवान ने वाराहावतार लिया और हिरण्याक्ष को मार कर पृथ्वी का उद्धार किया था। इस पर पृथ्वी ने प्रभुु को पति रूप में पाने की इच्छा की। प्रभुु ने उनकी मनोकामना पूरी की। इनके विवाह के फलस्वरूप मंगल की उत्पत्ति हुई।
2 . इनकी चार भुजाएं हैं तथा शरीर के रोम लाल रंग के हैं।
3 . इनके वस्त्रों का रंग भी लाल है। यह भेड़ के वाहन पर सवार हैं।
4. इनके हाथों ने त्रिशूल, गदा, अभयमुद्रा तथा वरमुद्रा धारण की हुई है। पुराणों में इनकी बड़ी महिमा बताई गई है।
5. मंगल प्रसन्न हो जाए तो मनुष्य की हर इच्छा पूरी हो जाती है।
6 . इनके नाम का पाठ करने से ऋण से मुक्ति मिल जाती है। यदि इनकी गति वक्री ना हो तो यह हर राशि में एक-एक पक्ष बिताते हुए बारह राशियों को ड़ेढ़ वर्ष में पार करते हैं।
7. इनको शुभ व अशुभ दोनों प्रकार का ग्रह माना जाता है। इनकी महादशा सात वर्षों तक रहती है।
8 . इनकी शान्ति के लिए शिव उपासना, मंगलवार को व्रत और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
9 . मंगल मेष तथा वृश्चिक राशि के स्वामी हैं।
10. इनका सामान्य मंत्र : ॐ अं अंगारकाय नम: है। इसके जाप का समय प्रात: काल का है। इसका एक निश्चित संख्या में, निश्चित समय में पाठ करना चाहिए।