Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

नक्षत्र और राशि के बीच क्या अंतर है? नक्षत्रों की ये विशेषताएं नहीं जानते हैं आप

हमें फॉलो करें नक्षत्र और राशि के बीच क्या अंतर है? नक्षत्रों की ये विशेषताएं नहीं जानते हैं आप
webdunia

आचार्य राजेश कुमार

क्या आप जानते हैं की दुनिया में जितने लोग हैं सभी की बनावट, रंग, गुण, स्वभाव एवं कार्य क्षेत्र इत्यादि-इत्यादि में भिन्नता क्यों होती है? तारा मंडल को ग्रह, नक्षत्र एव राशि में कैसे विभाजित करते हैं? नक्षत्र का पौराणिक महत्व क्या है? नक्षत्र और राशि के बीच क्या अंतर है? आइए जानें विस्तार से... 
 
नक्षत्र- वैदिक ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र, पंचांग का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होता है। भारतीय ज्योतिष में, नक्षत्र को चंद्र महल भी कहा जाता है। लोग ज्योतिषीय विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणियों के लिए नक्षत्र की अवधारणा का उपयोग करते हैं। शास्त्रों में नक्षत्रों की कुल संख्या 27 बताई गई है। अभिजीत नक्षत्र को लेकर कुल 28 नक्षत्र होते हैं तो आइए जानते हैं इन नक्षत्रों के नाम और उनकी विशेषताओं के बारे में : -
 
27 नक्षत्रों के नाम :- 
 
अश्विनी नक्षत्र
भरणी नक्षत्र
कृत्तिका नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र
मृगशिरा नक्षत्र
आर्द्रा नक्षत्र
पुनर्वसु नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र
आश्लेषा नक्षत्र
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
हस्त नक्षत्र
चित्रा नक्षत्र
स्वाति नक्षत्र
विशाखा नक्षत्र
अनुराधा नक्षत्र
ज्येष्ठा नक्षत्र
मूल नक्षत्र
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
श्रवण नक्षत्र
धनिष्ठा नक्षत्र
शतभिषा नक्षत्र
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
रेवती नक्षत्र
पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
मघा नक्षत्र
 
नक्षत्र :- वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्र माने जाते हैं। आसमान में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। वैदिक ज्योतिष में नक्षत्र को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। वेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी नक्षत्रों के बारे में विशेष जानकारी दी गई है। नक्षत्र अपने प्रभाव से किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदलने की क्षमता रखता है। इसीलिए लोग नक्षत्रों को अनुकूल करने के लिए उनसे संबंधित ग्रहों की पूजा-पाठ और व्रत आदि करते हैं। शास्त्रों में नक्षत्रों की कुल संख्या 27 बताई गई है।

 
नक्षत्र का पौराणिक महत्व :- पुराणों में इन 27 नक्षत्रों की पहचान दक्ष प्रजापति की बेटियों के तौर पर है। इन तारों का विवाह सोम देव अर्थात चंद्रमा के साथ हुआ था। चंद्रमा को इन सभी रानियों में सबसे प्रिय थी रोहिणी, जिसकी वजह से चंद्रमा को श्राप का सामना भी करना पड़ा था। वैदिक काल से हीं नक्षत्रों का अपना अलग महत्व रहा है।
 
पुराणों के अनुसार ऋषि मुनियों ने आसमान का विभाजन 12 हिस्सों में कर दिया था, जिसे हम 12 अलग-अलग राशियों- 'मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन' के नाम से जानते हैं। इसके और सूक्ष्‍म अध्‍ययन के लिए उन्होंने इसको 27 भागों में बांट दिया, जिसके बाद परिणामस्वरूप एक राशि के भीतर लगभग 2.25 नक्षत्र आते हैं। अगर देखा जाए तो चंद्रमा अपनी कक्षा पर चलता हुआ पृथ्वी की एक परिक्रमा को 27.3 दिन में पूरी करता है। वैदिक ज्योतिषी के अनुसार चंद्रमा प्रतिदिन तकरीबन एक भाग (नक्षत्र) की यात्रा करता है। ज्योतिष शास्त्र में सही और सटीक भविष्यवाणी करने के लिए नक्षत्र का उपयोग किया जाता हैं।
 
नक्षत्र द्वारा किसी व्यक्ति के सोचने की शक्ति, अंतर्दृष्टि और उसकी विशेषताओं का विश्लेषण आसानी से किया जा सकता है और यहां तक कि नक्षत्र आपकी दशा अवधि की गणना करने में भी मदद करता है। लोग ज्योतिषीय विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणियों के लिए नक्षत्र की अवधारणा का उपयोग करते हैं। 

webdunia
नक्षत्र और राशि के बीच क्या अंतर है?
 
यदि आप आकाश को 12 समान भागों में विभाजित करते हैं, तो प्रत्येक भाग को राशि कहा जाता है, लेकिन अगर आप आकाश को 27 समान भागों में विभाजित करते हैं तो प्रत्येक भाग को नक्षत्र कहा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आकाश किसी भी वृत्तीय आकार की तरह 360 डिग्री का होता है। अब यदि हम 360 डिग्री को 12 भागों में बांटते हैं, तो हमें एक राशि चिह्न 30 डिग्री के रूप में प्राप्त होता है। इसी प्रकार, नक्षत्रों के लिए, यदि हम 360 डिग्री को 27 भागों बांटते हैं, तो एक नक्षत्र 13.33 डिग्री (लगभग) के रूप में आती है। इसलिए, नक्षत्रों की कुल संख्या 27 और राशियों की कुल संख्या 12 होती है। अगर देखा जाए तो नक्षत्र एक छोटा-सा हिस्सा है और राशि एक बड़ा हिस्सा होता है। किसी भी राशि चिह्न में सवा दो नक्षत्र आते हैं।
 
कैसे ज्ञात करते हैं नक्षत्र?
 
जैसा कि हम सभी जानते हैं जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है, वही उस व्यक्ति का जन्म नक्षत्र होता है। यदि किसी व्यक्ति के वास्तविक जन्म नक्षत्र की जानकारी हो तो उस व्यक्ति के बारे में बिलकुल सही भविष्यवाणी की जा सकती है। आपके नक्षत्रों की सही गणना आपको काफी लाभ पहुंचा सकती हैं। साथ ही आप अपने अनेक प्रकार के दोषों और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के उपाय भी ढूंढ सकते हैं। सभी नक्षत्रों के अपने शासक ग्रह और देवता होते हैं। विवाह के समय भी वर और वधू का कुंडली मिलान करते समय नक्षत्र का सबसे अधिक महत्व होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्रावण 2019 विशेष : 10 मनोकामना, 10 द्रव्य, 10 सरल अभिषेक