Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Rohini nakshatra : सूर्य जाएंगे रोहिणी नक्षत्र में, रोहिणी नक्षत्र क्या है, Rohini Nakshatra की कथा

हमें फॉलो करें Rohini nakshatra
, गुरुवार, 25 मई 2023 (14:14 IST)
Rohini nakshatra in hindi : पंचांग अनुसार सूर्यदेव 25 मई गुरुवार को रात्रि के करीब 09 बजकर 12 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। सूर्यदेव 15 दिन इसी नक्षत्र में रहते हैं। शुरुआती 9 दिन को नौतपा कहते हैं। सूर्य के रोहणी में जाने से सूर्य की किरणें सीधी धरती पर पड़ती है और तब उन क्षेत्रों में ज्यादा गर्मी होती है जो दक्षिणी ध्रुव या उत्तरी ध्रुव से दूर है। रोहिणी नक्षत्र क्या है और क्या है रोहणी नक्षत्र की कथा?
 
रोहिणी नक्षत्र क्या है | What is Rohini Nakshatra?
आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं। प्राचीन आचार्यों ने हमारे आकाश मंडल को 28 नक्षत्र मंडलों में बांटा है। इन में रोहिणी चौथा है। आकाश मंडल के चौथे नक्षत्र रोहिणी का अर्थ 'लाल' होता है। अंग्रेजी में इसे एल्डेबारन कहते हैं। यह 5 तारों का समूह है, जो धरती से किसी भूसा गाड़ी की तरह दिखाई देता है। यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है। यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है। 
 
रोहिणी नक्षत्र की खास बातें । Special things of Rohini Nakshatra: रोहिणी नक्षत्र का राशि स्वामी शुक्र है और नक्षत्र स्वामी चन्द्रमा है। वृषभ राशि में रोहिणी नक्षत्र के 4 चरण होते हैं। इसका रंग सफेद, वृक्ष जामुन, देवता प्रजापति ब्रह्मा, वर्ण वैश्य, वश्य चतुष्पद, योनि सर्प, महावैर योनि नेवला, गण मानव तथा नाड़ी अंत्य है। इस नक्षत्र का योग- सौभाग्य, जाति- स्त्री, स्वभाव से शुभ है और उसकी विंशोतरी दशा का स्वामी ग्रह चंद्र है।
webdunia
रोहिणी नक्षत्र की कथा । Story of Rohini Nakshatra : पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति परमपिता ब्रह्मा के पुत्र थे, जो कश्मीर घाटी के हिमालय क्षेत्र में रहते थे। प्रजापति दक्ष की दो पत्नियां थीं- प्रसूति और वीरणी। प्रसूति से दक्ष की 24 कन्याएं थीं और वीरणी से 60 कन्याएं। इस तरह दक्ष की 84 पुत्रियां थीं। राजा दक्ष की ने रोहिणी का विवाह चंद्रमा से कर दिया था। रोहिणी चंद्र की 27 (सत्ताईस) पत्नियों में सबसे सुंदर, तेजस्वी, सुंदर वस्त्र धारण करने वाली है। ज्यों-ज्यों चंद्र रोहिणी के पास जाता है, त्यों-त्यों उसका रूप अधिक खिल उठता है। चंद्र के साथ एकाकार होकर छुप भी जाती है। रोहिणी चंद्रमा की सुंदर पत्नी है। 
 
कथा विस्तार : दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रदेव के साथ किया था। दक्ष की इन 27 कन्याओं में रोहिणी सबसे अधिक सुन्दर थीं। यही कारण था कि चंद्रदेव उसे ज्यादा प्यार करते थे और अन्य 26 पत्नियों की उपेक्षा हो जाती थी। यह बात जब राजा दक्ष को पता चली तो उन्होंने चंद्रदेव को आमंत्रित करके उन्हें विनम्रता पूर्वक इस अनुचित भेदभाव के प्रति चंद्रदेव को सर्तक किया। चंद्रदेव ने वचन दिया कि वो भविष्य में ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे।
 
परन्तु चंद्रदेव ने अपना भेदभावपूर्ण व्यव्हार जारी रखा। दक्ष की कन्याएं क्या करती, उन्होंने पुनः अपने पिता को इस संबंध में दुखी होकर बताया। इस बार दक्ष ने चंद्रलोक जाकर चंद्रदेव को समझाने का निर्णय लिया। दक्ष प्रजापति और चंद्रदेव की बात इतना बढ़ गयी कि अंत में क्रोधित होकर दक्ष ने चंद्रदेव को कुरूप होने का श्राप दे दिया।
 
श्राप के चलते दिन-प्रतिदिन चन्द्रमा की सुन्दरता और तेज घटने लगा। एक दिन नारद मुनि चन्द्रलोक पहुंचे तो चन्द्रमा ने उनसे इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। नारदमुनि ने चन्द्रमा से कहा कि वो श्राप मुक्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें। चंद्रमा ने ऐसा ही किया और शिव ने उन्हें श्रापमुक्त कर दिया।
 
कुछ दिन बाद नारद मुनि घूमते हुए दक्ष के दरबार में पहुंचे और उन्होंने चंद्रमा की श्रापमुक्ति के बारे में उन्हें बताया। दक्ष को बड़ा क्रोध आया और वे शिव से युद्ध करने कैलाश पर्वत पहुंच गए। शिव और दक्ष का युद्ध होने लगा। इस युद्ध को रोकने के लिए ब्रह्मा और भगवान विष्णु वहां पहुंचे और दोनों को शांत कराया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

chanakya niti : चाणक्य के अनुसार इन 5 लोगों का कभी अपमान न करें