मरगज रत्न पहनने के हैं ये 6 फायदे

अनिरुद्ध जोशी
रत्न और उपरत्न कई प्रकार के होते हैं। जैसे- मूंगा (प्रवाल), ओपल या हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, पुखराज, नील, गोमेद, लहसुनिया सुलेमानी पत्थर, वैक्रांत, यशद, फिरोजा, अजूबा, अहवा, अबरी, अमलिया, उपल, उदाऊ, कर्पिशमणि, कसौटी, कटैला, कांसला, कुरण्ड, कुदरत, गुदड़ी, गोदंती, गौरी, चकमक, चन्द्रकांत, चित्तो, चुम्बक, जबरजद्द, जहर मोहरा, जजेमानी, झरना, टेढ़ी, डूर, तिलियर, तुरसावा, तृणमणि, दाने फिरग, दांतला, दारचना, दूरनजफ, धुनला, नरम या लालड़ी, नीलोपल या लाजवर्त, पनघन, हकीक, पारस, फाते जहर, फिरोजा, बसरो, बांसी, बेरुंज, मरगज, मकड़ी, मासर मणि, माक्षिक, मूवेनजफ, रक्तमणि या तामड़ा, रक्ताश्म, रातरतुआ, लास, मकराना, लूधिया, शेष मणि, शैलमणि या स्फटिक, शोभामणि या वैक्रांत, संगिया, संगेहदीद, संगेसिमाक, संगमूसा, संगमरमर, संगसितारा, सिफरी, सिन्दूरिया, सींगली, सीजरी, सुनहला, सूर्यकांत, सुरमा, सेलखड़ी, सोनामक्खी, हजरते बेर, हजरते ऊद, हरितोपल, हरितमणि आदि। प्राचीन ग्रंथों में रत्नों के 84 से अधिक प्रकार बताए गए हैं। उनमें से बहुत तो अब मिलते ही नहीं। आओ जानते हैं मरगज रत्न के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
मरगज के बारे में जानकारी :
1. मरगज को पन्ने का उपरत्न माना जा सकता है। मरगज, हरा हकीक, फिरोजा, पेरिडॉट, हरा ऑनेक्स यह सभी पन्ना के उपरत्न हैं।
 
2. संस्कृत में इसे हरिद रत्न, वृक्किज, हरितमणि और अंग्रेजी में जेड या नेफ्राइट कहते हैं।
 
3. मरगज अपारदर्शी, चिकना, कोमल, भारी और रहे रंग का रत्न होता है। जितने बड़े आकार का पहनेंगे उतना फायदा होगा।
 
4. वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न वाले लोग इसे धारण कर सकते हैं ज्योतिष की सलाह पर। इन लग्नों में बुध छठे, आठवें और 12वें में नहीं होना चाहिए तो यह रत्न पहन सकते हैं। इसके अलावा बुध अगर नीच राशि अर्थात मीन राशि में हैं तो भी इसे नहीं पहना जाता है। इसके अलावा सूया से अस्त है तो भी पन्ना और उसके कोई भी उपरत्न नहीं पहनते हैं। 
 
5. यह आमतौर पर चांदी में पहना जाता है।
 
 
मरगज रत्न पहने के फायदे :
1. पथरी, रक्त विकार, नेत्र रोग, दमा, बहुमूत्र, गुर्दे के विकार और पाण्डु में भी इसे लाभदायक माना जाता है।
 
2. इस रत्न को पहनने से जादू टोने का असर नहीं होता है। 
 
3. मरगज धारण करने से सुस्ती दूर होकर स्फूर्ति पैदा होगी है और व्यक्ति हर दम तरोताजा बना रहता है।
 
4. यह रत्न मानसिक बैचेनी, अशांति और सिरदर्द दूर करता है। इसकी भस्म से अनेक रोगों की दवा बनती हैं।
 
5. इस रत्न को पहनने से नौकरी और व्यापार में लाभ मिलता है। 
 
6. वाणी दोष में लाभ मिलता है और बुद्धि तेज हो जाती है।

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