अंगूठी पहनना आपके लिए घातक भी हो सकता है। लाल किताब में अंगूठी पहनने के बारे में कई तरह के नियम बताए गए हैं। कई लोगों के हाथ में या कुंडली में गुरु अच्छा है तब भी पुखराज पहन लेते हैं। जरूरी नहीं कि गुरु उच्चा का या नीच का हो तो ही पुखराज पहनें।
लाल किताब कहती है रत्न शुभ फल देने की शक्ति रखता है तो अशुभ फल देने की भी इसमें ताकत है। रत्नों के नाकारात्मक फल का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए रत्नों को धारण करने से पहले कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। वैसे लाल किताब अंगूठी पहनने की सालाह कम ही देती है। न पहने तो ही अच्छा है और पहने तो लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही पहने।
कुंडली के अनुसार सावधानी रखें:-
* चंद्र 12वें या 10वें घर में है तो मोती नहीं पहनना चाहिए।
* राहु 12वें, वें11, 5वें, 8वें या 9वें स्थान पर हो तो गोमेद नहीं पहनना चाहिए।
* तीसरे और छटे भाव में केतु है तो लहसुनिया नहीं पहनना चाहिए।
* बुध तीसरे या 12वें हो तो पन्ना नहीं पहनना चाहिए।
* शनि लग्न, पंचम या 11वें स्थान पर हो तो नीलम नहीं।
* तीसरे, पांचवें और आठवें स्थान पर शुक्र हो तो हीरा नहीं पहनना चाहिए।
* धनु लग्न में यदि गुरु लग्न में है तो पुखराज या सोना केवल गले में ही धारण करना चाहिए हाथों में नहीं। यदि हाथों में पहनेंगे तो ये ग्रह कुंडली के तीसरे घर में स्थापित हो जाएंगे।
किस्मत को चमकाने वाला छल्ला :-लाल किताब में धातुओं के छल्ले को पहनने का उल्लेख मिलता है। जैसे कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा। लेकिन जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ खालिस लोहे का होगा।
बुध यदि 12वें भाव में हो या बुध एवं राहु मुश्तर्का या अलग अलग भावों में मंदे हो रहे हों तो यह छल्ला जिस्म पर धारण करेंगे तो मददगार होगा। 12वां भाव, खाना या घर राहु का घर भी है। खालिस लोहे का छल्ला बुध शनि मुश्तर्का है। बुध यदि 12वें भाव में है तो वह 6टें अर्थात खाना नंबर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देता है। अक्ल (बुध) के साथ अगर चतुराई (शनि) का साथ नंबर 2-12 मिल जावे तो जहर से मरे हुए के लिए यह छल्ला अमृत होगा।
भावों को जगाने के लिए रत्न :-
* जिस ग्रह का रत्न धारण करना हो उस ग्रह से संबंधित धातु की अंगूठी में रत्न धारण करना चाहिए या धातु ही पनहना चाहिए।
*लाल किताब के अनुसार रत्नों में मंदे, कमजोर एवं सोये हुए ग्रहों को नेक, बलशाली, एवं जगाने की क्षमता होती है। लेकिन जब तक सही ज्योतिषी सलाह ना मिले, तब रत्न धारण करने ने नुकसान हो सकता है।
*लाल किताब अनुसार यदि किसी घर में कोई ग्रह सोया हुआ हो तो उस घर को और उस ग्रह के प्रभाव को जाग्रत करने के लिए उस घर का रत्न धारण करें। जैसे पहले घर को जगाने के लिए मंगल का रत्न, दूसरे घर को जगाने के लिए चंद्र का, तीसरे के लिए बुध का, चैथे के लिए चंद्र का, पांचवें के लिए सूर्य का, छठे के लिए राहु का, सातवें के लिए शुक्र का, आठवें के लिए चंद्र, नौवें के लिए गुरु का, दसवें के लिए शनि का, ग्यारहवें के लिए गुरु का और बारहवें घर को जगाने के लिए केतु का रत्न धारण किए जाने की सलाह दी जाती है।
अन्य बातें :-
* कुछ लाल किताबी मानते हैं कि लाल किताब के अनुसार जब जातक की कुंडली में जिस ग्रह की महादशा चल रही है उसी के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए जैसे जातक बृहस्पति की महादशा में पुखराज बिना किसी फिक्र के पहन सकता है और इसकी अवधि 16 वर्ष की होती है।
*यदि दो ग्रह आपसी टक्कर के हो और उनमें शत्रु भाव उत्पन्न हो रहा हो तो दोनों ही ग्रहों के रत्न एक साथ ही पहनना चाहिए। लाला किताब अनुसार जिन दो ग्रहों के बीच मुकाबला हो उनमें एक ग्रह की धातु या रत्न ही धारण करना चाहिए अन्यथा शुभ परिणाम की जगह अशुभ परिणाम प्राप्त होने लगता है।
* जिस ग्रह को बलवान करना हो उस ग्रह का रत्न उसकी धातु के साथ जड़वा कर पहनना चाहिए।
* जन्म का ग्रह और जन्म समय का ग्रह यदि एक हो तो वह व्यक्ति के लिए हमेशा शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। अतः उसका रत्न धारण करना चाहिए।
* समय के ग्रह : रविवार दिन का दूसरा प्रहर सूर्य, सोमवार चांदनी रात चंद्र, मंगलवार पूर्ण दोपहर मंगल, बुधवार दिन का तीसरा प्रहार बुध, गुरुवार दिन का प्रथम प्रहर गुरु, शुक्रवार कालीरात शुक्र, शनिवार रात्रि एवं अंधकारमय शनि, गुरुवार शाम पूर्णशाम राहु, रविवार प्रातः सूर्योदय से पूर्व केतु ग्रह।
*रत्न और धातु : सूर्य माणिक्य सोना, चंद्र मोती चांदी, मंगल मूंगा तांबा, बुध पन्ना सोना, गुरु पुखराज सोना, शुक्र हीरा चांदी, शनि नीलम लोहा, राहु गोमेद ऊपर धातु, केतु लहसुनिया सोना या तांबा।