Manikya: यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह नीच का है या किसी शत्रु ग्रह के साथ बैठा है तो उसे मजबूत बनाने के लिए ज्योतिष की सलाह पर माणिक्य रत्न पहनकर अपनी किस्मत को चमका सकते हैं क्योंकि सूर्य के शुभ फल देने से जातक शासन प्रशासन सहित उच्च क्षेत्र में अच्छा पद और मान सम्मान प्राप्त करता है।
माणिक्य का परिचय : माणिक अनार के दाने-सा दिखने वाला गुलाबी आभा वाला रत्न बहुमूल्य है। इसे अंग्रेजी में रूबी कहते हैं। सूर्य के खर-किरण से उसका जमीन पर गिरा हुआ रक्त सूखकर रजों द्वारा गगनगामी हो रहा था, पर रावण ने उसे राह में ही रोककर सिंहल द्वीप की उस नदी में डाल दिया, जहां सुपारी के पेड़ लगे हैं। तभी से उस नदी का नाम 'रावण गंगा' भी हो गया और उसमें पद्मराग-माणिक्य उत्पन्न होने लगे।
माणिक्य के उपरत्न : वैसे तो माणिक्य के कई उपरत्न होते हैं लेकिन उनमें से प्रमुख हैं, रेड गार्नेट यानी तामड़ा, रेड टर्मेलाइन यानी लाल तुरमली, स्पिनील या स्पाइनल यानी कंटकिज़, रेड स्वरोस्की आदि।
माणिक्य रत्न का प्रमुख उपरत्न लालड़ी अथवा सूर्यमणि को माना है। लाल, लालड़ी, माणिक्य मणि यह सब एक ही हैं। रंगभेद से लालड़ी दस प्रकार की पायी जाती है। यह भेद बहुत ही सूक्ष्म होते हैं। किसी जानकार से पूछकर ही पहनें। तामड़ा अथवा ताम्रमणि भी माणिक्य उपरत्न है। यह एक प्रकार का स्टोन है। सींगली एवं सूर्याश्म भी माणिक्य के पूरक बताएं जाते हैं।
किस धातु और अंगुली में पहनें माणिक्य : माणिक को तांबे या सोने की अंगूठी में जड़वाकर अनामिका में धारण करते हैं। माणिक के सभी उपरत्नों को चांदी में पहना जा सकता है। खालिस तांबे की अंगूठी से भी सूर्य पीड़ा को शांत किया जा सकता है।
किस रत्न के साथ न पहनें और किसके साथ पहनें : माणिक को नीलम, हीरा और गोमेद के साथ पहनना नुकसानदायक हो सकता है। माणिक्य को लोहे की अंगुठी में जड़वाकर पहनना नुकसानदायक है। माणिक को मोती, पन्ना, मूंगा और पुखराज के साथ पहन सकते हैं।
माणिक्य के प्रभाव : माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से 4 वर्षों तक रहता है, इसके बाद दूसरा माणिक्य जड़वाना चाहिए। यही नियम उपरोक्त उप रत्नों पर भी लागू होते हैं।
माणिक पहनने के फायदे : माणिक या माणिक्य से राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में सफलता मिलती है। यदि इसका लाभ हो रहा है तो आपके चेहरे पर चमक आ जाएगी अन्यथा सिरदर्द होगा और पारिवारिक समस्या भी बढ़ जाएगी। अपयश झेलना पड़ सकता है।
नुकसान : यह रत्न सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और इसे कुंडली के अनुसार ही धारण करने का विधान है अन्यथा यह नुकसान पहुंचा सकता है। नकली माणिक पहने से भी कई तरह के नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। कहते हैं कि सबसे उत्तम बर्मा का माणिक होता है। कितने कैरेट या रत्ती का माणिक पहनना चाहिए यह भी जानना जरूरी है। ऐसा भी होता है कि ज्यादा कैरेट का आपको सूट ना हो या कम कैरेट का सूट ना हो। माणिक को शनि की राशियों या लग्न में माणिक पहनने से पूर्व ज्योतिष की सलाह जरूर लें।