Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने की शक्ति हैं रत्नों में, जानें पौराणिक जानकारी...

हमें फॉलो करें ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने की शक्ति हैं रत्नों में, जानें पौराणिक जानकारी...
* ग्रह-नक्षत्र, रत्न और ज्योतिष का संबंध, जानिए...  
 
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार रत्न और ज्योतिष का आपस में बड़ा ही गहरा संबंध है। वर्तमान में भी प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में आगामी समय, जीवन की महत्वपूर्ण घटने वाली घटनाओं एवं घात-प्रतिघात को जानने का सदा ही इच्छुक रहता है, आतुर रहता है।

अतः ऋषियों-महर्षियों ने भावी जीवन के संबंध में जानकारी हेतु अनेकों सिद्धांतों को प्रतिपादित किया है, जिसमें ज्योतिष शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, तांत्रिक व रमल आदि प्रमुख हैं। इस विश्व तथा ब्रह्मांड की सभी वस्तुएं निरंतर चलायमान रहती हैं, जिससे सारी वस्तुएं एक दूसरे को निश्चित रूप से किसी न किसी अंश में प्रभावित करती हैं। सौर मंडल में स्थित ग्रह-नक्षत्रों पर तथा भू-मंडलस्थ प्राणियों एवं वस्तुओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है। यह विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित है।
 
सौर मंडल का प्रत्येक ग्रह एक विशिष्ट वर्ण का प्रकाश प्रसारित करता है। उसकी किरणें उसी वर्ण में प्रसारित होकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के कण-कण को स्पर्श करती हैं, जिससे सृष्टि के सभी प्राणी भी उन किरणों से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। अतः शिशु जन्म धारण करते ही उन ग्रह-नक्षत्रों की किरणों से प्रभावित होता है। वह व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवन काल में उन्हीं ग्रह-नक्षत्रों (किरणों) के प्रभाव से संचालित रहता है। 
 
पूरे सौर मंडल में 9 ग्रह, 27 नक्षत्र तथा असंख्य तारे हैं, जिनकी प्रकाश की किरणें इस भूमंडल के प्रत्येक प्राणी तथा वनस्पति को चेतनानुभूति, क्रियाशीलता व जीवनीय शक्ति प्रदान करती है। सभी ग्रह-नक्षत्र व तारे एक साथ न होकर भिन्न-भिन्न दूरी पर होते हैं तथा कभी पृथ्वी के निकट तो कभी दूर आते-जाते हैं। जो ग्रह नक्षत्र या तारा पृथ्वी के जितना ही समीप होता है, वह पृथ्वी को, पृथ्वी के प्राणियों व वस्तुओं को तथा वनस्पतियों को अपनी किरणों से उतना ही अधिक प्रभावित करता है। दूर स्थित ग्रह नक्षत्र व तारों की किरण भूमंडल पर आते-आते क्षीण हो जाती है, अतः इनका प्रभाव कम हो जाता है।
 
मनुष्य सदा से ही तीव्र गति से अपना उत्थान चाहता रहा है तथा छोटी-बड़ी सभी प्रकार की आपदाओं से मुक्त रहना चाहता है। मनुष्य के जीवन संचालन में ग्रहों की किरणों का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान है, परन्तु यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक ग्रह की किरणें प्रत्येक मनुष्य को हर समय लाभ ही पहुंचाएं या हानि ही करें। यह निश्चित है कि ग्रहों की किरणों के प्रभाव न होने से मानव ही नहीं अपितु सम्पूर्ण सृष्टि ही हीनता से ग्रसित हो जाती है। कभी-कभी एक से अधिक ग्रह की किरणों का प्रभाव पड़ता है, जो कि सामूहिक रश्मियों के होने के कारण लाभ भी हो सकता है और हानि भी।
 
अतः विभिन्न प्रकार के रत्न विभिन्न ग्रहों की किरणों को अपने में शोषित करने की क्षमता रखते हैं। कौन रत्न किस ग्रह की किरणों को विशेष रूप से आत्मसात करने में सफल होता है। यह विशिष्ट विद्वानों द्वारा तथा विशेष अनुभवों व अनुसंधानों के द्वारा निश्चय किया जा चुका है। 
 
अतः आज के वर्तमान युग में ही नहीं अपितु अति प्राग ऐतिहासिक काल से ही ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने व निर्बल ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने के दृष्टिकोण से रत्न धारण करने की प्रक्रिया विश्वभर में आज भी प्रचलित है। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जानिए जून 2018 में शुभ विवाह के मंगलमयी मुहूर्त