ग्रहण में सूतक क्यों, मंदिर क्यों नहीं खुलते, क्यों नहीं करते भोजन, आपके हर सवाल का जवाब है यहां...

पं. हेमन्त रिछारिया
ग्रहण में सूतक क्यों, मंदिर क्यों नहीं खुलते, क्यों नहीं करते भोजन, आपके हर सवाल का जवाब है यहां... 
 
27 जुलाई 2018 को खग्रास चन्द्रग्रहण लगेगा। ग्रहण का सूतक दोपहर 2 बजकर 55 मिनट दिन से मान्य होगा एवं ग्रहण का स्पर्शकाल रात्रि 11 बजकर 55 मिनट पर होगा।

ग्रहण का मोक्ष अर्थात शुद्धिकाल मध्यरात्रि 3 बजकर 49 मिनट पर होगा।

ग्रहण से जुड़ी जो सबसे बड़ी धारणा है, वह है सूतक। ग्रहण के सूतक के नाम पर लोगों का घर से बाहर आना-जाना अवरुद्ध कर दिया जाता है। यहां तक कि सूतक के कारण मन्दिरों के भी पट बंद कर दिए जाते हैं। 
 
ग्रहणकाल में भोजन पकाना एवं भोजन करना वर्जित माना गया है। ग्रहण के मोक्ष अर्थात् ग्रहणकाल के समाप्त होते ही स्नान करने की परम्परा है।

यहां हम स्पष्ट कर दें कि इन सभी परम्पराओं के पीछे मूल कारण तो वैज्ञानिक है, शेष उस कारण से होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने के उद्देश्य से बनाए गए देश-काल-परिस्थिति अनुसार लोक नियम। 
 
 
ALSO READ: 8 राशियों के लिए है घातक यह चंद्रग्रहण, जानिए कितना बुरा हो सकता है इसका असर, 10 बातें
वैज्ञानिक कारण तो स्थिर होते हैं लेकिन देश-काल-परिस्थिति अनुसार बनाए गए नियमों को हमें वर्तमान काल के अनुसार अद्यतन (अपडेट) करना आवश्यक होता है, तभी वे जनसामान्य के द्वारा मान्य होते हैं और उनका अस्तित्व भी बना रह पाता है अन्यथा वे परिवर्तन की भेंट चढ़ ध्वस्त हो जाते हैं। 
 
किसी भी नियम को स्थापित करने के पीछे मुख्य रूप से दो बातें प्रभावी होती हैं, पहली-भय और दूसरी-लोभ; लालच। इन दो बातों को विधिवत् प्रचारित कर आप किसी भी नियम को समाज में बड़ी सुगमता से स्थापित कर सकते हैं। धर्म में इन दोनों बातों का समावेश होता है।

ALSO READ: चंद्रग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचाएगा तुलसी पत्ते का एक उपाय

अत: हमारे समाज के तत्कालीन नीति-निर्धारकों ने वैज्ञानिक कारणों से होने वाले दुष्प्रभावों से जन-सामान्य को बचाने के उद्देश्य से अधिकतर धर्म का सहारा लिया। जिससे यह दुष्प्रभाव आम जन को प्रभावित ना कर सकें किन्तु आज के सूचना और प्रौद्योगिकी वाले युग में जब हम विज्ञान से भलीभाँति परिचित हैं तब इन बातों को समझाने हेतु धर्म का आधार लेकर आसानी से ग्राह्य ना हो सकने वाली बेतुकी दलीलें देना सर्वथा अनुचित सा प्रतीत होता है। 
 
 
ALSO READ: 27 जुलाई को है खग्रास चन्द्रग्रहण, किन 4 राशियों के लिए है अशुभ, जानिए 12 राशियों पर असर

आज की युवा पीढ़ी रुढ़बद्ध नियमों को स्वीकार करने में झिझकती है। यही बात ग्रहण से सन्दर्भ में शत-प्रतिशत लागू होती है। आज की पीढ़ी को 'सूतक' के स्थान पर सीधे-सीधे यह बताना अधिक कारगर है कि ग्रहण के दौरान चन्द्र व सूर्य से कुछ ऐसी किरणें उत्सर्जित होती हैं जिनके सम्पर्क में आ जाने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यदि ना चाहते हुए भी इन किरणों से सम्पर्क हो जाए तो स्नान करके इनके दुष्प्रभाव को समाप्त कर देना चाहिए। इन्हीं किरणों से भोजन भी दूषित हो जाता है। अत: उससे भी बचा जाता है।  वर्तमान समय में ग्रहण का यही अर्थ अधिक स्वीकार व मान्य प्रतीत होता है।
 
 
ALSO READ: डरना जरूरी है इस चंद्रग्रहण से, 6 माह तक असर रहेगा इस ग्रहण का, सेना, नेता और उद्योगपति रहें सावधान

मन्दिरों के पट बन्द करने के पीछे भी मुख्य उद्देश्य यही है क्योंकि जनमानस में नियमित मन्दिर जाने को लेकर एक प्रकार का नियम व श्रद्धा का भाव होता है। अतः जिन श्रद्धालुओं का नियमित मन्दिर जाने का नियम है उन्हें ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए मन्दिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं।
 
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

अगला लेख
More