Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

जानिए क्या है होरा, ज्योतिष में क्यों है इसका विशेष महत्व

हमें फॉलो करें जानिए क्या है होरा, ज्योतिष में क्यों है इसका विशेष महत्व
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

ज्योतिष शास्त्र में होरा का बहुत महत्त्व होता है। होरा से जातक की धन-संपत्ति के बारे में विचार किया जाता है। एक होरा का मान 15 अंश होता है। एक राशि का मान 30 अंश होता है। इस प्रकार एक राशि के अन्तर्गत दो होरा आती हैं। 
 
आइए जानते हैं कि होरा लग्न का निर्धारण कैसे किया जाता है।
 
- यदि लग्न में विषम राशि हो और लग्न का मान 15 अंश तक हो तो 'होरा' लग्न सूर्य की होगी। 
- यदि लग्न में विषम राशि हो और लग्न का मान 16 अंश से 30 अंश तक हो तो 'होरा' लग्न चन्द्र की होगी।
- यदि लग्न में सम राशि हो और लग्न का मान 15 अंश तक हो तो 'होरा' लग्न चन्द्रमा की होगी।
- यदि लग्न में सम राशि हो और लग्न का मान 16 अंश से 30 अंश तक हो तो 'होरा' लग्न सूर्य की होगी।
होरा कुण्डली से फलादेश-
 
- यदि कर्क राशि की होरा में सभी सौम्य ग्रह स्थित हों तो यह एक अनुकूल स्थिति है। इसके फ़लस्वरूप जातक सौम्य स्वभाव वाला, सम्पत्तिवान, धनी एवं सुखी होता है।
 
- यदि कर्क राशि की होरा में सभी क्रूर ग्रह स्थित हों तो यह प्रतिकूल स्थिति होती है। इसके परिणामस्वरूप जातक नीच कर्म करने वाला, निर्धन व दु:खी होता है।
 
- यदि सूर्य राशि की होरा में सभी क्रूर ग्रह विद्यमान हों तो यह एक अनुकूल स्थिति है। इसके परिणाम स्वरूप जातक साहसी, पराक्रमी व धनाढ्य होता है।
- यदि सूर्य व चन्द्र की होरा में सौम्य व क्रूर ग्रह दोनों स्थित हों तो जातक को मिश्रित परिणाम प्राप्त होते हैं।

 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्रावण मास में आदर करें निर्माल्य का, जानिए किसे कहते हैं निर्माल्य