Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भूत-प्रेत क्या होते हैं? एक तार्किक विश्लेषण...

हमें फॉलो करें भूत-प्रेत क्या होते हैं? एक तार्किक विश्लेषण...
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

भूत-प्रेत का नाम सुनते ही मन में भय व दहशत व्याप्त हो जाती है। तार्किक लोग भूत-प्रेत के अस्तित्व को सिरे से नकारते हैं वहीं कुछ अन्धविश्वासी सामान्य मनोरोगों को भी भूत-प्रेत से जोड़कर देखते हैं। लेकिन क्या सचमुच भूत-प्रेत होते हैं इस प्रश्न का उत्तर शायद ही किसी को संतुष्ट कर पाता हो। आज हम इसी रहस्य को समझने का प्रयास करेंगे। प्रारम्भिक दौर में विज्ञान भूत-प्रेत के अस्तित्व को खारिज करता आया है लेकिन वर्तमान दौर में वह इन्हें एक दिव्य ऊर्जा के रूप में स्वीकार करने लगा है। 
 
हमारे मतानुसार इस रहस्य को विज्ञान कभी भी नहीं जान पाएगा ऐसा इसलिए क्योंकि विज्ञान मशीनी उपकरणों के माध्यम से चेतना को जानने का प्रयास करता है जबकि यह चेतनाएं जिस एकमात्र उपकरण के माध्यम से जानी जा सकती हैं वह उपकरण है मनुष्य शरीर। हमारा भौतिक शरीर जिसे स्थूल शरीर भी कहा जाता है, कई शरीरों का संग्रहीत रूप है।

हमारे स्थूल शरीर के भीतर अन्य शरीरों की पर्तें होती हैं। इन शरीरों को सूक्ष्म शरीर, आकाश शरीर, मनस शरीर, आत्मिक शरीर, ब्रह्म शरीर व निर्वाण शरीर कहा जाता है। जिसे सामान्य भाषा में भूत-प्रेत कहा या समझा जाता है वह वास्तविक रूप में मनुष्य का सूक्ष्म शरीर होता है। 
 
इस सूक्ष्म शरीर में मनुष्य की सारी भावनाएं, मन, स्मृतियां व अन्य तत्व संग्रहीत रहते हैं। सामान्य मृत्यु में व्यक्ति का केवल भौतिक या स्थूल शरीर ही नष्ट होता है। सूक्ष्म शरीर आगे की यात्रा के लिए बचा रह जाता है। इसी सूक्ष्म शरीर के कारण मनुष्य को अगला जन्म प्राप्त होता है। यह सूक्ष्म शरीर आवागमन का आधार है। सूक्ष्म शरीर जब तक भौतिक शरीर धारण नहीं कर लेता है तब तक उसकी संसार में स्थिति व उपस्थिति को ही भूत-प्रेत के नाम से जाना जाता है। 
 
सरल शब्दों में भूत-प्रेत वास्तव में मनुष्य का सूक्ष्म शरीर ही है। सामान्यत: साधारण जीवात्माएं मृत्यु के उपरान्त बहुत शीघ्र ही नया जन्म ले लेती हैं लेकिन कुछ असाधारण जीवात्माएं; जिनमें बहुत श्रेष्ठ जिन्हें हम देवताओं की श्रेणी में रखते हैं और बहुत निकृष्ट जिन्हें हम भूत-प्रेत की श्रेणी में रखते हैं, अपने स्वभावगत कारणों व वासनाओं के कारण नया जन्म लेने में विलम्ब करती हैं। 
 
इस काल में ये जीवात्माएं सूक्ष्म शरीर के रूप में संसार में विद्यमान रहती हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में ये जीवात्माएं सांसारिक मनुष्यों के सम्पर्क में आकर अपनी उपस्थिति का अहसास भी कराती हैं लेकिन ये बहुत ही असाधारण परिस्थितियों में होता है। जिसे प्रचलित भाषा में बाबा,देव,माता,भूत-प्रेत इत्यादि नामों से जाना जाता है।

अक्सर समाज में भूत-प्रेत का भय दिखाकर जनमानस का शोषण किया जाता है। यह सर्वथा अनुचित है। सूक्ष्म शरीर का साँसारिक क्रियाकलापों में हस्तक्षेप बहुत ही असाधारण परिस्थितियों में होता है। अत: ना तो इन सूक्ष्म शरीरों से अत्यधिक भयभीत होने की आवश्यकता है और ना इनके अस्तित्व को सिरे से नकारना ही उचित है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

होली 2018: कब है होली, जानिए होलिका दहन के शुभ पूजन मुहूर्त