Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Wedding Muhurat Vidhi : कैसे निकाले जाते हैं विवाह के मुहूर्त, जानिए काम की बातें

हमें फॉलो करें Wedding Muhurat Vidhi : कैसे निकाले जाते हैं विवाह के मुहूर्त, जानिए काम की बातें
webdunia

आचार्य राजेश कुमार

बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके गुण मिलान में 24 से 32 गुण तक मिलते हैं लेकिन वैवाहिक जीवन बहुत ही दूभर (दुश्वारियों) भरा होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि पुरुष-स्त्री दोनों के जीवन का अलग-अलग विश्लेषण करने से पता चलता है कि उनमें से किसी का सप्तमेश पंचमेश काफी दूषित है, जो कुंडली मिलान में पता नहीं चलता। कुछ ऐसे लोग भी आते हैं जिनके मात्र 5 से 10 गुण ही मिलते हैं लेकिन जीवन सुखमय चल रहा होता है।
 
रीति-रिवाज और पंचांग के अनुसार विवाह में वर और वधू के बीच दोनों की कुंडलियों को मिलाया जाता है। इस व्यवस्था को कुंडली मिलान या गुण मिलान के नाम से जानते हैं। इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखकर उनके 36 गुणों को मिलाया जाता है। जब दोनों के न्यूनतम 18 से 32 गुण मिल जाते हैं तो ही उनकी शादी के सफल होने की संभावना बनती है। कुंडली में जो 7वां घर होता है, वह विवाह के विषय में बताता है।
 
जब कुंडली में गुण मिलान की प्रक्रिया संपन्न हो जाती है तब वर-वधू की जन्म राशि के आधार पर विवाह संस्कार के लिए निश्चित तिथि, वार, नक्षत्र तथा समय को निकाला जाता है, जो विवाह मुहूर्त कहलाता है। विवाह मुहूर्त के लिए ग्रहों की दशा व नक्षत्रों का ऐसे विश्लेषण किया जाता है-
 
वर अथवा कन्या का जन्म जिस चंद्र नक्षत्र में होता है, उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर को भी विवाह की तिथि ज्ञात करने में प्रयोग किया जाता है। वर-कन्या की राशियों में विवाह के लिए एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिए लिया जाता है।
 
विवाह मुहूर्त में लग्न का महत्व
 
शादी-ब्याह के संबंध में लग्न का अर्थ होता है फेरे का समय। लग्न का निर्धारण शादी की तारीख तय होने के बाद ही होता है। यदि विवाह लग्न के निर्धारण में गलती होती है तो विवाह के लिए यह एक गंभीर दोष माना जाता है। विवाह संस्कार में तिथि को शरीर, चंद्रमा को मन, योग व नक्षत्रों को शरीर का अंग और लग्न को आत्मा माना गया है यानी लग्न के बिना विवाह अधूरा होता है।
 
विवाह लग्न को निर्धारित करते समय रखें यह सावधानियां
 
वर-वधू के लग्न राशि से अष्टम राशि का लग्न, विवाह लग्न के लिए शुभ नहीं है।
जन्म कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी विवाह लग्न में स्थित न हो।
विवाह लग्न से द्वादश भाव में शनि और दशम भाव में शनि स्थित न हो।
विवाह लग्न से तृतीय भाव में शुक्र और लग्न भाव में कोई पापी ग्रह स्थित न हों।
विवाह लग्न में पीड़ित चंद्रमा न हो।
विवाह लग्न से चंद्र, शुक्र व मंगल अष्टम भाव में स्थित नहीं होने चाहिए।
विवाह लग्न से सप्तम भाव में कोई ग्रह नहीं होने चाहिए।
विवाह लग्न पाप कर्तरी दोषयुक्त (विवाह लग्न के द्वितीय व द्वादश भाव में कोई भी पापी ग्रह) नहीं होना चाहिए।
दिव्यांश ज्योतिष केंद्र (rajpra.infocom@gmail.com)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राहुकाल में पूजा पाठ मंत्र जाप करनी चाहिए या नहीं?