पूजन के यह 3 प्रकार देते हैं मनचाहा वरदान

पं. हेमन्त रिछारिया
पूजा करना सनातन धर्म का अभिन्न अंग है। ईश्वर ने हमें जीवन दिया है, हम उसे कैसे धन्यवाद दें। इसके समाधान हेतु हमारे शास्त्रों ने दैनिक पूजा का विधान बताया है। पूजा करने के विलग-विलग उद्देश्य होते हैं उनमें सर्वश्रेष्ठ व पवित्र उद्देश्य है ईश्वर के प्रति अपना प्रेम व कृतज्ञता ज्ञापित करना। पूजा का तरीका व्यक्ति की श्रद्धा पर निर्भर है लेकिन हमारे शास्त्रों में पूजा करने के कुछ अनिवार्य अंग बताए गए हैं जिन्हें 'पंचोपचार','दशोपचार' व 'षोडषोपचार' पूजन कहा जाता है। आइए जानते हैं कि इन उपचार पूजनों के अंतर्गत क्या अनिवार्य हैं।
 
पंचोपचार पूजन-
 
1. गन्ध 2. पुष्प 3. धूप 4. दीप 5. नैवेद्य
 
दशोपचार- 
 
1. पाद्य 2. अर्घ्य 3. आचमन 4. स्नान 5. वस्त्र 6. गंध 7. पुष्प 8. धूप 9. दीप 10. नैवेद्य
 
षोडशोपचार-
 
1. पाद्य 2. अर्घ्य 3. आचमन 4. स्नान 5. वस्त्र 6. आभूषण 7. गन्ध 8. पुष्प 9. धूप 10. दीप 11. नैवेद्य 12. आचमन 13. ताम्बूल 14. स्तवन पाठ 15. तर्पण 16. नमस्कार
 
भगवान की पूजन के यह तीन प्रकार शास्त्रोक्त हैं, इनके द्वारा आराधना करने से मनचाहा वरदान मिलता है। अक्षत हर पूजन में अनिवार्य है। 
 
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
Show comments

ज़रूर पढ़ें

Dhanu sankranti : धनु संक्रांति से देश और दुनिया में क्या परिवर्तन होंगे?

नया सप्ताह कैसा रहेगा 12 राशियों के लिए, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल

सूर्य का धनु राशि में प्रवेश, जानिए 12 राशियों का राशिफल, क्या होगा भविष्यफल

महाकुंभ में क्या है धर्मध्वजा का महत्व, जानिए किस अखाड़े की कौन सी है पताका

बुध का वृश्चिक राशि में उदय, 3 राशियां रहें संभलकर

सभी देखें

नवीनतम

Aaj Ka Rashifal: इन 5 राशियों के लिए सफलता वाला रहेगा 17 दिसंबर का दिन, पढ़ें दैनिक राशिफल

17 दिसंबर 2024 : आपका जन्मदिन

17 दिसंबर 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में 16 प्रमुख हिंदू व्रत त्योहारों की सही दिनांक जानिए

Dhanu sankranti : धनु संक्रांति से देश और दुनिया में क्या परिवर्तन होंगे?

अगला लेख
More