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इस पक्षी को देखने से ही होती है धन की प्राप्ति, जानें इसका नाम

हमें फॉलो करें इस पक्षी को देखने से ही होती है धन की प्राप्ति, जानें इसका नाम
, मंगलवार, 1 अगस्त 2023 (11:56 IST)
Hornbills Dhanesh in india : हमारे देश में कई पवित्र पक्षी है जिन्हें देखने से मन प्रसन्न हो जाता है। हिन्दू धर्म में कई पक्षियों को शुभ माना जाता है, जैसे मोर, हंस, तोता, नीलकंठ, गरुड़, क्रौंच, गौरैया आदि। परंतु हम बता रहे हैं ऐसे पक्षी के बारे में जिसे देखकर धन के मार्ग खुल जाते हैं। इस पक्षी के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
 
धनेश धूसर पक्षी : इस पक्षी का नाम है धनेश। विश्व में धनेश की 45 प्रजातियां और भारत में 9 से 16 प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में अधितर जगहों पर धूसर प्रजाति का पाया जाता है। यानी भूरे सलेटी रंग का धनेश सबसे आम और अधिक पाया जाने वाला पक्षी है। इसकी चोंच से लेकर पूंछ तक का रंग एक जैसा होता है। इसकी चोंच कठफोड़वे की चोंच जैसी होती है परंतु इसकी चोंच के उपर एक और चोंच होती है। 
 
धनेश की पूंछ पंखे के समान लंबी होती है, जिसके छोर पर सफेदी होती है। नर का शरीर धूसरपन लिए सलेटी होता है जबकि मादा का रंग पीलापन लिए कत्थई या भूरापन लिए हुए होता है। इसका आकार चील के बराबर, लगभग 61 से.मी. का होता है
 
भारत में हॉर्नबिल पक्षी की सबसे बड़ी प्रजाति कौन सी है?
भारत में हॉर्नबिल पक्षी की सबसे बड़ी प्रजाति महाधनेश कहलाती है। महाधनेश यानी भीमकाय धनेश जिसे ग्रेट हॉर्न बिल कहते हैं। यह अरुणाचल प्रदेश और केरल का राज्य पक्षी है।
 
धनेश के हैं कई नाम : हिन्दी में इसे धनेश, धन्मार, धानेल, लामदार, पंजाबी में धनचिड़ी, गुजराती में चिलोत्रो, बांग्ला में पुटियल धनेश, उड़िया में कोचिलखाई, मराठी में भिनास, कन्नड़ में बूडु कोडुकोक्कि, तेलुगु में कोम्मु कसिरि और तमिल में इरावक्के कहा जाता है।
 
धनेश पक्षी क्या खाता है?
ये अंजीर की नई पत्तियां, जंगली फल, बीज, बेरियां, सूंडी, कीड़े मकोड़े, कीड़ों और छिपकलियां आदि खाते हैं।
 
धनेश पक्षी को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
इस पक्षी को अंग्रेजी में हॉर्नबिल (hornbills in india) कहते हैं। इसका चोंच का ऊपरी भाग सींग-सा टेढ़ा होता है। इसे शिरस्त्राण (कैसक्यू) कहते हैं। यानी चोंच की बनावट सींग की सी होने के कारण ही अंग्रेज़ी में इसे हॉर्न (सींग) बिल (चोंच) के नाम से पुकारते हैं। 
 
विलुप्त होता धनेश पक्षी:
अंधविश्वास और प्राकृतिक कठिनाइयों के चलते यह पक्षी लुप्त होता जा रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तथा गठिया रोग के लिए धनेश का तेल रामबाण औषधि है, जबकि यह एक अंधविश्वास है। इस पक्षी को किसी भी तरह के सताने से नुकसान होता है। धनेश को पालन या इसे खाना दोनों ही पाप माने जाते हैं। इसका मात्र दर्शन करना ही लाभदायक है।

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