नासिका विचार : नासिका स्वर जानकर ही करें यात्रा

अनिरुद्ध जोशी
यात्रा पर जाने से पूर्व कई बार ग्रह, नक्षत्र, वार, तिथि, करण, योग, मुहूर्त, दिशाशूल, राहुकाल या चौघड़िया आदि देखा जाता है। परंतु कई बार यह जानना संभव नहीं होता है कि इस समय कौनसा शुभ मुहूर्त चल रहा है तो किसी दिशा में यात्रा करना चाहिए या नहीं। ऐसे में नासिका विचार बहुत काम आता है। इसे जानकर ही यात्रा का विचार किया जा सकता है।
 
 
स्वरोदय शास्त्र में नासिका स्वर संबंधी और भी अन्य कई बातों का उल्लेख मिलता है। बाएं नासापुट के श्वास को इडा में चलना, दाहिनी नासिका के श्वास को पिंगला में चलना और दोनों पुटों से एक समान चलने पर उसे सुषुम्ना में चलना कहते हैं। एक नासापुट को दबाकर दूसरे के द्वारा श्वास को बाहर निकालने पर यह साफ मालूम हो जाता है कि एक नासिका से सरलतापूर्वक श्वास प्रवाह चल रहा है और दूसरा नासापुट मानो बंद है अर्थात उससे दूसरी नासिका की तरह सरलतापूर्वक श्वास बाहर नहीं निकलता। जिस नासिका से सरलतापूर्वक श्वास बाहर निकलता हो, उस समय उसी नासिका का श्वास कहना चाहिए।
 
 
1. हम श्वास लेते हैं तो हमारी नासिका के दो छिद्रों से श्वास लेते हैं। इसमें बायां छिद्र चंद्र स्वर और दायां छिद्र सूर्य स्वर कहलाता है। अर्थात नासिका का बायां स्वर चन्द्र तथा दाहिना स्वर सूर्य संज्ञक होता है।
 
2. चंद्र स्वर में यात्रा करना शुभ माना जाता है जबकि सूर्य स्वर में अशुभ। 
 
3. जो स्वर बहर रहा हो उसी ओर का पैर पहले उठाकर यात्रा करने से विजय प्राप्त होती है।
 
4. जब दोनों स्वर एक साथ चलते हों तो शून्य स्वर कहलाता है, उस समय में यात्रा करना हानिकारक होता है।
 
5. यह यात्रा शब्द का बोध दैनिक जीवन यात्रा से भी जुडा होता है। यानी जब हम सबसे पहले अपनी रोजाना की जीवन यात्रा से भी मानकर चलते हैं और सुबह जागकर बिस्तर से पैर को नीचे रखने से ही यात्रा का शुभारम्भ माना जाता है।
 
6. जब भी यात्रा प्रारंभ करें तो यह देख लें कि कौनसा स्वर चल रहा है तो उसी ओर का पैर उठाकर यात्रा आरंभ करें।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

इस मंदिर में है रहस्यमयी शिवलिंग, दिन में तीन बार बदलता है रंग, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए हैं रहस्य

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित

सूर्य की शत्रु ग्रह शनि से युति के चलते 4 राशियों को मिलेगा फायदा

असम में मौजूद है नॉर्थ ईस्ट का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, महाशिवरात्रि पर उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब

Mahashivaratri 2025: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, आरती और कथा सभी एक साथ

सभी देखें

नवीनतम

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर?

जानकी जयंती 2025: माता सीता का जन्म कब और कैसे हुआ था?

Mahashivratri 2025: कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत?

Aaj Ka Rashifal: इन 5 राशियों को मिलेगा आज कारोबार में अपार धनलाभ, पढ़ें 17 फरवरी का दैनिक भविष्यफल

17 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More