21 जून 2019 शुक्रवार को सूर्य कर्क रेखा के ठीक उपर रहेंगे। परिभ्रमण पथ के दौरान 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर एकदम लंबवत हो जाएंगे इस दिन भारत सहित उत्तरी गोलार्ध में स्थित सभी देशों में सबसे बड़ा दिन तथा रात सबसे छोटी होगी।
21 जून को श्रवण नक्षत्र और चतुर्थी तिथि रहेगी। इंदौर में सूर्योदय सुबह 5 बजकर 42 मिट और 23 सेकंड पर होगा जबकि सूर्योस्त 7 बजकर 14 मिनट और 11 सेकंड पर होगा। इस दौरान मध्यकाल में परछाई भी आपका साथ छोड़ेगी। दरअसल ऐसा सूर्य की कर्क रेखा में स्थिति होने के चलते होगा।
हिन्दू पंचाग अनुसार जब जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है तब इस समय को उत्तरायण कहते हैं और जब सूर्य कर्क रेखा से भ्रमण करता है तो इसे दक्षिणायन कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि है और उत्तरायण का काल उनका दिन है।
सूर्य के दक्षिणायन होने का अर्थ यह है कि ग्रीष्म ऋतु समाप्त होकर वर्षा ऋतु का प्रारंभ होना। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य देव 21 जून को दक्षिणायन गमन करेंगे जो 22 दिसंबर तक दक्षिणायन रहेंगे। सूर्य के दक्षिणायन रहने के दौरान तीन ऋतुएं वर्षा, शरद और हेमंत ऋतु आती हैं और दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगते हैं जबकि रातें लंबी हो जाती हैं।
15 जून 2019, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन शाम 05:38 पर सूर्यदेव ने वृष से मिथुन राशि में प्रवेश कर लिया है। जिस दिन भी सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन को सूर्य संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। उस दृष्टि से 15 जून 2019 को सूर्य की मिथुन संक्रांति थीं।
सूर्य मिथुन राशि में 17 जुलाई की सुबह 04 बजकर 34 मिनट तक रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस खगोलीय घटना के अंतर्गत 21 जून के बाद से सूर्य दक्षिण की ओर गति करना प्रारंभ कर देगा, जिसे दक्षिणायन का प्रारंभ कहा जाता है। पंचांग में संक्रांति के तौर पर दर्ज इस दिन पृथ्वी का अक्षीय झुकाव सूर्य की ओर अधिकतम होने पर दिन की अवधि बढ़ जाती है। कर्क संक्रांति के समय पर सूरज की ओर पृथ्वी अपनी धुरी पर 23 डिग्री और 26 मिनट तक झुकी रहती है, जोकि इसके झुकाव की अधिकतम सीमा है।
भारतीय संस्कृति के अनुसार काल गणना की शून्य रेखा भी उज्जैन व डोंगला से गुजरती है। अतः डोंगला में कर्क रेखा (पूर्व से पश्चिम) व शून्य रेखा (उत्तर से दक्षिण) का कटाव बिंदू होने से विश्व में डोंगला वेधशाला कालगणना हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सौर वर्षमान के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 6 घंटे संक्रांति आगे बढ़ जाती है और चौथे वर्ष लीप ईयर में समाहित होकर फरवरी माह 29 दिन का होता है।
निषेध:- सूर्य के दक्षिणायन स्थिति में रहने के कारण मांगलिक कार्य निषेध माने जाते हैं। सूर्य के दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं।