17 अगस्त को सूर्य राशि बदल रहे हैं... यानी इस दिन सिंह संक्रांति हैं, वह दिन जब सूर्य कर्क से सिंह राशि में प्रवेश करता है। पूरे साल में 12 संक्रांतियां होती है जिसमें ये संयोग बनता है।
सूर्य जब राशि बदलता है तो उसे संक्रांति कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना होता है और अपनी इच्छा अनुसार दान-पुण्य करने की भी परंपरा है।
इस बार कोरोना की वजह से अधिकांश नदियों में स्नान करना मना है... अत: संक्रांति पूजा के लिए घर में रखे गंगाजल से ही स्नान कर लें। स्नान करते वक्त पवित्र नदियों और तीर्थ स्थानों के साथ भगवान सूर्य का ध्यान करें। साथ हीअनाज औऱ जरुर सामान जरुर दान करें।
भादो मास में जब सूर्यदेव अपनी राशि परिवर्तन करते हैं तो उस संक्रांति को सिंह संक्रांति कहते हैं। इस संक्रांति में घी के सेवन का विशेष महत्व है।
इस दिन घी का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जाता है, अत: सिंह संक्रांति को घी संक्रांति भी कहा जाता है।
आयुर्वेद में चरक संहिता के अंतर्गत यह वर्णित है कि गाय का शुद्ध (गौ घृत) अर्थात देसी घी स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज बढ़ाता है, गाय का घी वसावर्धक है तथा वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो गाय का घी नहीं खाता उसे अगले जन्म में गनेल यानी घोंघे के रूप में जन्म लेना पड़ता है।
राहु-केतु के बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनिवार को सात्विक रहने तथा हनुमान जी को लाल फूल व मिठाई चढ़ाने से राहत मिलती है।
पांच देवों में से एक देव भगवान सूर्य को माना जाता है, किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत के लिए गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्यदेव की पूजा की जाती है।
सूर्य मंत्र- ऊँ नमो सूर्याय नम: का जाप करते रहें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें।