स्कन्द षष्ठी की पूजा विधि, महत्व, मुहूर्त, आरती सहित कथा और मंत्र

Webdunia
इस बार शुक्रवार, 7 जनवरी 2022 (7 January 2022, Firday) को भगवान कार्तिकेय का प्रिय स्कन्द षष्ठी व्रत पड़ रहा है। स्कन्द पुराण में वर्णित नारद-श्री विष्णु संवाद के अनुसार स्कन्द षष्ठी व्रत (Skanda Sashti 2022) जीवन में चल रही बाधा, हर तरह पीड़ा, संतान पाने तथा संतान की पीड़ाओं को दूर करने में यह बहुत लाभकारी माना गया है।


हर माह की मासिक षष्‍ठी तिथि (Masik skand sasthi) पर भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey Worship) का पूजन करने से जहां जीवन में उच्च योग के लक्षणों की प्राप्ति होती है, वहीं जीवन की हर परेशानी का निवारण भी होता है। यहां पढ़ें महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त, आरती, कथा एवं मंत्र- skand sasthi information 
 
स्कन्द षष्ठी पूजा विधि-skand sasthi Puja Vidhi 
 
- स्कन्द या चंपा षष्ठी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठ कर घर की साफ-सफाई करें। 
- प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादि करके भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन व्रतधारी को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके भगवान कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए।
- अब भगवान कार्तिकेय के साथ शिव-पार्वती जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- पूजन में घी, दही, जल और पुष्प से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।
- साथ ही कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन, इत्र आदि से पूजन करें।
- इस दिन निम्न मंत्र से कार्तिकेय का पूजन करने का विधान है। 
- 'देव सेनापते स्कन्द कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥' मंत्र का जप करें।
- मौसमी फल, फूल, मेवा का प्रसाद चढ़ाएं। 
- भगवान कार्तिकेय से क्षमा प्रार्थना करें और पूरे दिन व्रत रखें।
- सायंकाल के समय पुनः पूजा के बाद भजन, कीर्तन और आरती करने के बाद फलाहार करें।
- रात्रि में भूमि पर शयन करना चाहिए।

 
मंत्र-skand sasthi Mantra 
 
- दुख व कष्ट से मुक्ति का कार्तिकेय गायत्री मंत्र-
'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोदयात'।
- शत्रु नाशक मंत्र-
ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कन्दा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।
 
स्कन्द षष्ठी पूजन के शुभ मुहूर्त-skand sasthi 2022 Muhurat
 
इस बार पौष शुक्ल षष्ठी तिथि का आरंभ: 7 जनवरी, शुक्रवार को प्रातः 11.10 मिनट से 
षष्ठी तिथि की समाप्ति: 8 जनवरी, शनिवार प्रातः 10.42 मिनट पर होगी। 
 
स्कन्द षष्ठी कथा-skand sasthi Vrat Katha 
 
पौराणिक कथा के अनुसार जब पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव की पत्नी 'सती' कूदकर भस्म हो गईं, तब शिव जी विलाप करते हुए गहरी तपस्या में लीन हो गए। उनके ऐसा करने से सृष्टि शक्तिहीन हो जाती है। इस मौके का फायदा दैत्य उठाते हैं और धरती पर तारकासुर नामक दैत्य का चारों ओर आतंक फैल जाता है। देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ता है। चारों तरफ हाहाकार मच जाता है तब सभी देवता ब्रह्माजी से प्रार्थना करते हैं। तब ब्रह्माजी कहते हैं कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा।

 
इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास जाते हैं, तब भगवान शंकर 'पार्वती' के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होते हैं और इस तरह शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिव और पार्वती जी का विवाह हो जाता है। इस प्रकार कार्तिकेय का जन्म होता है। कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। 
 
इस संबंध एक अन्य कथा यह भी है कि भगवान कार्तिकेय का जन्म छ: अप्सराओं के छ. अलग-अलग गर्भों से हुआ था और फिर वे छ: अलग-अलग शरीर एक में ही मिल गए थे। 
 
आरती- Lord Kartikeya Aarti
 
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
 
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
 
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर
 
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
 
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
 
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
 
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।

ALSO READ: मासिक स्कन्द षष्ठी 7 जनवरी को, भगवान कार्तिकेय के पूजन से होगा रोग, दुःख और दरिद्रता का अंत

ALSO READ: घर में है ये वास्तुदोष तो आ सकती है बीमारी, जानिए बचने के उपाय

Lord Kartikeya
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Akshay Amla Navami 2024: अक्षय नवमी कब है? जानें पौराणिक महत्व

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देव उठनी एकादशी की 3 पौराणिक कथाएं

Tulsi vivah 2024: तुलसी विवाह पूजा की विधि स्टेप बाय स्टेप में, 25 काम की बातें भी जानिए

सभी देखें

नवीनतम

11 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

11 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Saptahik Muhurat 2024: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 11 से 17 नवंबर

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 10 नवंबर का राशिफल

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More