वैशाख कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन शनिश्चरी अमावस्या है। चूंकि अमावस्या तिथि शनिवार के साथ है, इसीलिए यह शनिश्चरी अमावस्या है। शास्त्रों में शनिश्चरी अमावस्या का बड़ा ही महत्व है।
आज के दिन पितरों की पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा का विशेष रूप से महत्व है। कहते हैं आज के दिन शनिदेव की पूजा करने से, उनके निमित्त उपाय करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं, साथ ही जन्मपत्रिका में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों, जैसे शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से भी छुटकारा मिलता है। शनि देव कर्मफल दाता हैं, वे न्याय के देवता हैं। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्म के आधार पर फल देते हैं।
ऐसे करें शनि को प्रसन्न
अगर जन्मपत्रिका में शनि दोष के कारण आपके काम ठीक से नहीं बन पा रहे हैं, आपके कामों में अड़चनें आ रही हैं, तो शनिश्चरी अमावस्या के दिन घर पर शमी, जिसे खेजड़ी भी कहते हैं, का पेड़ लाकर गमले में लगाएं और उसके चारों तरफ गमले में काले तिल डाल दीजिए।
‘शमी शम्यते पापं’, यानी शमी का पेड़ पापों का शमन करता है और परेशानियों से मुक्ति दिलाता है। अतः आज के दिन शमी का पेड़ जरूर लगाएं और उसके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाकर ॐ शंयो देविरमिष्ट्य आपो भवन्तु पीतये, शनियोरभि स्तवन्तु नः मंत्र का 11 बार जप करें। इससे शनिदेव आपसे प्रसन्न होंगे और जल्द ही परेशानियों से राहत मिलेगी।