* शनि हुए वक्री, जानिए कैसा रहेगा यह समय देश के लिए...
शनि ने इसी वर्ष 26 जनवरी को धनु राशि में प्रवेश किया था, लेकिन इसके चार माह बाद 7 अप्रैल को वापस उल्टी चाल शुरू कर दी थी। अब फिर से 20 जून को शनि ने वक्र गति से वृश्चिक में प्रवेश किया है।
पं. जोशी के अनुसार न्यायाधिकारी कहलाने वाला ग्रह शनि 20 जून की रात पुन: वक्री होकर वृश्चिक में आ गया है, यानी उल्टी चाल चलकर धनु राशि से निकल कर वापस वृश्चिक राशि में आ गया है। शनि ने यह प्रवेश 20 जून की रात 4.41 बजे किया तथा चार माह यही रहेगा। चार माह के बाद 26 अक्टूबर को शनि वापस मार्गी होकर धनु राशि में पहुंचेगा।
इस तरह से आएगा असर
इससे पहले शनि ने अपना प्रभाव दिखना शुरू कर दिया है। पं. जोशी की दृष्टि में राजनीतिक हलचल, जीएसटी को लेकर ऊहापोह और किसान आंदोलन को न्यायाधिकारी शनि की वक्री गति से ही देखा जा रहा है। शनि अपने वक्री होने का पूरा प्रभाव दिखाएंगे। फलस्वरूप राजनीतिक हलचल और तेज हो सकती है। विपक्ष सक्रिय हो सकता है और आंदोलन की स्थिति बन सकती है, लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिन नहीं रहेगी।
अगस्त 2017 के बाद फिर से सब कुछ पटरी पर आने लगेगा। प्रदेश को आंदोलनों से निजात मिलेगी। आपसी समझौते हो जाएंगे। सरकार जनहित में योजनाएं लागू कर सकती है। इधर वक्री शनि विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग-अलग प्रभाव डालेगा।
पृथ्वी से दूरी करती है प्रभावित
ग्रहों के वक्री या मार्गी होने का अलग-अलग प्रभाव होता है। बुध, शुक्र, मंगल, गुरु तथा शनि जब पृथ्वी के निकट आते हैं तो वक्री होते हैं। इससे इनकी तीव्रता एवं प्रभाव में वृद्धि हो जाती है।
कौन-सा ग्रह कितने दिनों में वक्री
पं. जोशी के अनुसार, बुध ग्रह 115, शुक्र 571, मंगल 780, गुरु 399 व शनि 378 दिनों में वक्री होते हैं। राहु और केतु हमेशा वक्री ही रहते हैं। इन दोनों ग्रहों को छोड़कर शेष सात ग्रह अपनी-अपनी गति से अपने-अपने कक्ष में चक्कर लगाते हुए दिखते हैं। इसे ग्रहों का मार्गी होना कहते हैं।