* साल में दूसरी बार शनि का राशि परिवर्तन, इन राशियों पर होगा प्रभाव
हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। शनि को सूर्यपुत्र और नव ग्रह में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। शनि के संबंध में अनेक गलत धारणाएं प्रचलित हैं जिस वजह से शनि को अशुभ और दुख का कारक माना जाता है लेकिन यह सही नहीं है। शनि शत्रु नहीं, बल्कि मित्र है। शनि मोक्ष देने वाला एकमात्र ग्रह है। शनि एक न्यायप्रिय ग्रह है, जो हर प्राणी के साथ न्याय करता है। लेकिन जो लोग अनैतिक और गलत कार्य करते हैं, उन्हें शनि का दंड भोगना पड़ता है।
वैदिक ज्योतिष में शनि के प्रभाव का बड़ा महत्व है। शनि गोचर, शनि की महादशा और साढ़ेसाती के फलस्वरूप मनुष्य के जीवन में बड़े परिवर्तन होते हैं, हालांकि ये परिवर्तन सुखद और कष्टकारी दोनों हो सकते हैं। इसका फल मनुष्य के कर्म और राशि व कुंडली में शनि की चाल और स्थिति पर निर्भर करता है। विभिन्न भावों में शनि के गोचर करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है।
26 अक्टूबर, 2017 गुरुवार को 12 बजकर 40 मिनट पर शनि ने दोबारा धनु राशि में प्रवेश कर लिया है, जो 24 जनवरी 2020 तक रहेगा। इसे राजनीतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
4 दिसंबर, सोमवार को सूर्य के समीप होने पर शनि का प्रभाव कम हो जाएगा और 8 जनवरी 2018 तक शनि इसी अवस्था में रहेगा। शनि के इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर होगा। शनिदेव 26 अक्टूबर को 3 राशियों को छोड़कर चले गए हैं।
शनि के धनु राशि में स्थान परिवर्तन से मेष और सिंह राशि पर चली आ रही ढैया समाप्त हो गई, क्योंकि इन दो राशियों पर ढाई साल से शनि की ढैया चल रही थी। वहीं अब यह ढैया वृषभ और कन्या राशि पर प्रारंभ होकर ढाई साल तक रहेगी।
इसके अलावा तुला राशि पर शनि की साढ़ेसाती भी 26 अक्टूबर को समाप्त हो गई, जिसके चलते मेष, सिंह और तुला राशि पर शनि की कृपा दोबारा से मिलने लगेगी यानी कि सारे बिगड़े काम बनने लगेंगे और धनलाभ के प्रबल संकेत हैं।
एक तरफ जहां 3 राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया समाप्त हो गई वहीं दूसरी तरफ कुछ राशियों पर शनि की बुरी नजर पड़नी शुरू हो गई है। वृषभ और कन्या राशि पर 26 अक्टूबर से पुन: शनि की ढैया लग गई है और साथ ही मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो गई है।