पितृ पक्ष में अगर आप अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर सके हैं तो अमावस्या की शुभ तिथि समस्त पूर्वजों के लिए है।
अमावस्या के दिन सभी पितरों के निमित्त एक साथ तर्पण, दान व पूजन सकते हैं। हमें जिन पितरों की तिथि या तारीख का ध्यान न हो, जो अज्ञात हों, उन सभी पितरों का अमावस्या के दिन ही श्राद्ध किया जाता है। इसे अमरत्व का दिन माना गया है। मान्यता है कि सभी पितृ इस दिन श्रद्धा से किए श्राद्ध को ग्रहण करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या 19 सितंबर को है। सभी पितृ अमावस्या तक अपने लिए श्राद्ध की प्रतीक्षा करते हैं।
जिन चीजों को पूर्वजों की खरीदने की इच्छा थी, उन्हें पितृपक्ष में खरीदने से घर में खुशी का आगमन होता है। पूर्वजों की पसंद का भोग लगाने से उन्हें खुशी मिलती है।
पितृपक्ष के समय जलाशयों में जाकर पितृ का आह्वान कर अंजलि में कुश लेकर जल लेकर जलाशय में छोड़ दें। इससे तर्पण जल पूर्वजों तक पहुंच जाता है। सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर सभी पितरों का एक साथ आह्वान कर उन्हें जल और भोग तर्पण करें। इससे घर में खुशहाली और शांति आएगी।