हिन्दू माह का चौथा माह होता है आषाढ़ माह। इस माह की शुक्ल एकादशी से चातुमास प्रारंम हो जाते हैं। आषाढ़ी एकादशी के दिन से चार माह के लिए देव सो जाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार चातुर्मास का प्रारंभ 20 जुलाई 2021 को हो रहा है। आओ जानते हैं इस चार माह में क्या करें और क्या नहीं।
क्या करें :
1. व्रत करें : चातुर्मास के चार माह में व्रतों का पालन करना जरूरी है।
2. भूमि पर सोएं : इस दौरान फर्श या भूमि पर सोना लाभदायक होता है।
3. सूर्योदय से पूर्व उठें : सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है।
4. अच्छे से स्नान करें : इस माह में अच्छे से प्रतिदिन स्नान करना चाहिए।
5. मौन रहें : इन चार माह में अधिकतर समय मौन रहना चाहिए।
6. एकाशना : इन चार माह में दिन में केवल एक ही बार ही उत्तम भोजन ग्रहण करना चाहिए। रात्रि में फलाहार कर सकते हैं।
7. ब्रह्मचर्य का पालन : इन चार माह में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
8. ध्यान योग या संत्संग : प्रतिदिन सुबह और शाम को 20-20 मिनट का ध्यान करें और सूर्य नम:स्कार करें। यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो सत्संग का लाभ लें।
9. भगवान विष्णु और शिव की करें उपासना : प्रतिदिन सुबह और शाम को विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें या ॐ नमोः नारायणाय, ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र की रोज एक माला सुबह और शाम को जपें। इसी तरह शिवजी की उपासना भी करें।
10. दान करें : इन चार माह में 5 तरह का दान करें। 1.अन्नदान : किसी गरीब को, पशु या पक्षी को भोजन कराएं, 2.दीपदान : नदी के जल में दीप छोड़े या मंदिर में दीप जलाएं। 3. वस्त्रदान : किसी गरीब को वस्त्र का दान करें। 4. छायादान : कटोरी में सरसों के तेल में अपनी चेहरा देखकर उसे शनिमंदिर में दान कर दें। 5.श्रमदान : किसी मंदिर या आश्रम में सेवा करके श्रमदान दे सकते हैं।
ये न करें:
1. मंगल कार्य न करें : उक्त 4 माह में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं।
2. पलंग पर सोना : इन चार माह में पलंग, दरी या गादी पर ना सोएं।
3. पत्नी का संग : इन चार माह में पत्नी संग नहीं सोना चाहिए।
4. झूठ बोलना : इन चार माह में झूठ बोलना भी वर्जित है।
5. त्याज्य पदार्थ : इस माह तेल से बनी चीजें, दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल, आदि का त्याग कर दिया जाता है।
6. बाल और दाढ़ी नहीं कटवाते : उक्त चार माह बाल और दाढ़ी नहीं कटवाते। खासकर श्रावण माह में तो सख्त वर्जित है।
8. क्रोध नहीं करते : उक्त चार माह में किसी भी प्रकार से क्रोध नहीं करते हैं और संयम का पालन करते हैं। इन 4 महीनों में गुस्सा, ईर्ष्या, अभिमान जैसे भावनात्मक विकारों से बचने की कोशिश की जाती है।
9. नहीं करते यात्रा : उक्त चार माह में यदि व्रत धारण करके नियमों का पालन कर रहे हैं तो यात्रा नहीं करते हैं।
10. भौतिक सुविधाओं का त्याग : इन चार माह में व्यर्थ वार्तालाप, अनर्गल बातें, मनोरंजन के कार्य आदि त्याग देना चाहिए और बस प्रभु की भक्ति में ही रहना चाहिए। पंखा, कूलर और अन्य सुख-सुविधाओं के साधनों के साथ ही टीवी और मनोरंजन की चीजों से दूरी बना ली जाती है। इन दिनों में स्वयं के लिए कपड़े और ज्वैलरी नहीं खरीदी जाती।