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शनि, राहु और बृहस्पति के गोचर से वर्ष 2025 में क्या होगा? विद्वान ज्योतिषाचार्य से जानें

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 9 अगस्त 2024 (11:55 IST)
shani guru 2025
Astrology Prediction 2025: वर्ष 2020 के बाद से ही देश और दुनिया के हालात लगातार बदलते और बिगड़ते जा रहे हैं। महामारी, भूकंप, बाढ़, दंगे, विद्रोह, आंदोलन, तख्तापलट, युद्ध, आतंकवाद और महंगाई की चपेट में हर देश है। ऐसा समय करीब 80 वर्ष पहले था जबकि दूसरा विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ था। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि यह सभी ग्रहों के कारण हुआ था और वर्तमान में भी ग्रहों की ऐसी ही स्थिति बन रही है। आओ नजर डालते हैं कि विद्वान ज्योतिष आगामी ग्रह गोचर पर क्या कहते हैं।ALSO READ: 2025 predictions: वर्ष 2025 के बारे में ज्योतिष, नास्त्रेदमस, बाबा वेंगा, अच्युतानंद की भविष्यवाणी
 
शनि का मीन में गोचर : अगले वर्ष 29 मार्च 2025 को शनि ग्रह मीन राशि में प्रवेश करेंगे। शनि ने जब मकर में प्रवेश किया ता तो कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी। फिर शनि ने जब कुंभ में प्रवेश किया था तो दो देशों के बीच तनाव चरम पर रहा। रशिया-यूक्रेन और इजरायल-फिलिस्तीन दे हालात बदल दिए। अब जब शनि मीन राशि में जाएंगे तो हालात क्या और भी बिगड़ जाएंगे। क्या यह तृतीय विश्‍व युद्ध की आहट है?
 
1. 1937 में मार्च में जब शनि मीन राशि में आया था तब द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हो चली थी। चीन ने जापान पर आक्रमण किया और धीरे-धीरे दुनिया में तनाव बढ़ता गया।
 
2. 1965-66 के बीच जब शनि मीन में जाने वाला था तक भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए इंदिरा गांधी को अपना नेता चुना। इसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर गोरक्षा आन्दोलन चला, जिसमें हजारों हिंदुओं का नरसंहार किया गया। दूसरी ओर वियतनाम युद्ध हुआ था। 
 
3. 1995 के जून में शनि मीन राशि में आया था तब जापान में बड़ा भूकंप आया था जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और बोस्नियाई युद्ध में करीब 8,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
 
4. अब शनि 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे तब यह आशंका जताई जा रही है कि कोई बड़ा भूकंप और युद्ध होने वाला है।
 
विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित हेमंत रिछारिया का कहना है कि शनि जब राशि परिवर्तन करते हैं तो देश दुनिया में परिवर्तन देखे जा सकते हैं। फिर चाहे वह सत्ता परिवर्तन हो, जन विद्रोह हो, दुर्भिक्ष संकट हो या अकाल हो, इस प्रकार के योग शनि के राशि परिवर्तन में बनते हैं। लेकिन, इसका प्रभाव अच्छा या बुरा दोनों तरह से देखा जा सकता है। जैसे जिन जिन राज्य के अधिपति या राष्ट्र के अधिपतियों की कुंडली में शनि यदि बहुत अच्‍छा है तो उनके लिए शनि का परिवर्तन शुभ होगा और जिनकी कुंडली में अशुभ है तो अशुभ होगा। इसमें इनके राष्ट्राध्यक्षों के जो मूल ग्रहाचार है उसके अनुसार न्यूनाधिक इसका फल देखने को मिलेगा। जैसे, बंटवारा हुआ तो भारत की दृष्टि से उसे माना जाए तो यह उनके लिए गलत हुआ। मान लीजिये ग्रह गोचर बना उसने देश के दो टुकड़े किए लेकिन वह भारत के राष्ट्राध्यक्ष के हिसाब से हानि हुई और पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष के हिसाब से लाभ हुआ क्योंकि उनको एक नया देश मिला। घटना एक ही घटी है लेकिन किसी को लाभ हुआ और किसी को हानि। फिर जब दूसरी बार ग्रह गोचर का परिवर्तन हुआ तो पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान की हानि हुई और बांग्लादेश को लाभ हुआ। तब भी घटना एक ही घटी थी। तो ग्रह गोचर के ये फल उनके राष्ट्राध्यक्ष के हिसाब से न्यूनाधिक मिल रहे हैं। मान लीजिये अभी जो यूक्रेन और रशिया का युद्ध चल रहा है तो जो पक्ष भारी पड़ रहा है उसको तो लाभ हो रहा है। लेकिन प्राकृतिक आपदा की बात करें तो वह सारे देशों पर एक समान आती है। जैसे भूकंप आया या कोरोना आया तो वह इतना विस्तार से आया कि उसने सारे देशों को चपेट में ले लिया, लेकिन उसमें भी कुछ देश उससे अलिप्त रहे। ग्रह गोचर तो समान ही था। फिर कुछ  देशों में तो यह बिल्कुल सामान्य बीमारी की तरह होकर निकल गया और कहीं तो उसमें बहुत हानि हो गई। तो फर्क सभी पर पड़ा लेकिन उनके राष्ट्राध्यक्षों के हिसाब से उसमें न्यूनाधिक फल आया। हालांकि गोचर को ज्योतिष में 10 से 20 प्रतिशत ही महत्व दिया जाता है। इसमें राष्ट्राध्यक्षों के ग्रहाचार का योगदान ज्यादा होता है।
शनि के गोचर से कैसे बदला दुनिया का भविष्य?
- शनि ने जब 24 जनवरी 2020 में मकर राशि में प्रवेश किया था, तब दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप फैल गया था। 
- फिर शनि ने जब 29 अप्रैल 2022 को कुंभ में प्रवेश किया तब महामारी का दौर खत्म हुआ और दुनियाभर में युद्ध, अराजकता, महंगाई, प्रदर्शन और सत्ता परिवर्तन का नया दौर प्रारंभ हुआ।
- 28-29 अप्रैल 2022 के दरमियान शनि ग्रह अपनी खुद की राशि मकर से निकलकर खुद ही की राशि कुंभ राशि में प्रवेश किया था।
- 29 अप्रैल 2022 को शनि ने मकर से निकलकर कुंभ राशि में जब प्रवेश किया तो उसी के आसपास यूक्रेन और रशिया का वार शुरू हो गया।
- इसके कुंभ गोचर के काल में ही भूकंप और बड़े तूफान के साथ ही अब इजरायल और हमास का युद्ध भी शुरु हो चला है।
- शनि जब अपना मार्ग बदला तब इजरायल और हमास का युद्ध शुरू हो गया था।
- युद्ध के लिए शनि और मंगल के साथ ही राहु के गोचर को जिम्मेदार माना जाता है। इनकी युति या आपसी दृष्टि, वक्री चाल आदि से धरती पर नकारात्मक असर देखने को मिलता है।
- अब आशंका जताई जा रही है कि शनि ग्रह जब मीन राशि में प्रवेश करेगा तब दुनिया में विश्व युद्ध की शुरुआत होगी।
 
तीन गुना अतिचारी बृहस्पति का मिथुन में गोचर : ज्योतिष के अनुसार 14 मई 2025 से गुरु ग्रह वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में 3 गुना अतिचारी हो रहे हैं। अतिचारी यानी वे अब तेज गति से एक राशि को बहुत कम समय में पार करके पुन: उसी राशि में वक्री लौटेंगे और फिर मार्गी होकर पुन: अगली राशि में चले जाएंगे। ऐसे वे 8 वर्षों तक करेंगे। बृहस्पति की इस असामान्य गति से धरती पर हलचल बढ़ जाएगी, क्योंकि बृहस्पति की मीन राशि में शनि और राहु की युति मई 18 मई 2025 तक रहेगी। बृहस्पति ग्रह जीवन, शीतलता, सुख, समृद्धि, उन्नति और बुद्धि प्रदान करता है परंतु जब इसकी चाल बिगड़ जाए तो भारी नुकसान देखने को मिलते हैं। बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा।
 
वैदिक ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु शास्त्री डॉ. कामना लाड़ का कहना है कि नवग्रहों में पित्त वर्णी ग्रह देवगुरु बृहस्पति; प्रचलित नाम 'गुरु' को सबसे शुभ और महत्वपूर्ण ग्रह के रूप में जाना एवं माना जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में गुरु को ज्ञान, धर्म, सुख-समृद्धि, दान, पांडित्य, ब्राह्मण, विवाह, अध्यात्म, संत, विद्या, बुद्धि आदि का कारक माना जाता है। पंचतत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है। गुरु एक राशि में एक वर्ष के अंतराल में गोचर करते हैं और इस प्रकार वे 12 वर्ष की यात्रा में 12 राशियों में भ्रमण करते हैं। अभी बृहस्पति अपनी शत्रु राशि वृषभ में हैं। वृषभ राशि के शुक्र स्वामी हैं और वे असुरों के गुरु हैं। असुरों के गुरु शुक्र का देवताओं के गुरु बृहस्पति से शत्रुता का संबंध है। विश्व वर्तमान परिदृश्य में गुरु के अपने शत्रु राशि चक्र से विचरण के प्रभाव दृष्टिगोचर हो रहे हैं। इस राशि में देवगुरु बृहस्पति 13 मई, 2025 तक रहेंगे। इसके अगले दिन 14 मई को देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। 14 मई को देवगुरु बृहस्पति देर रात 10 बजकर 36 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। और इसी समय से गुरु अगले 8 वर्षों के लिए अतिचारी हो जाएंगे।
 
कोई भी ग्रह अतिचारी होता है तो उस ग्रह की प्रकृति और प्रभाव क्षेत्र के अनुसार व्याख्या की जाती है। अतिचार से तात्पर्य है किसी भी ग्रह की अपनी कक्षा में तीव्र गति। इस खगोलिय स्थिति में बृहस्पति बहुत कम समय में एक राशि से दूसरी राशि में मार्गी एवं वक्र गति से भ्रमण करेंगे।  बृहस्पति के अतिचारी होने से जहां धर्म, अध्यात्म, ज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि की स्थिति बनेगी वहीं  वैश्विक स्तर पर विभिन्न देश युद्ध की ओर बढ़ेंगे। महाभारत के समय की खगोलीय घटनाओं के अध्ययन से भी यह पता चलता है कि तब भी गुरु ग्रह 7 वर्षों के लिए अतिचारी हुए थे। धर्म की स्थापना के लिए एक महायुद्ध होता है और इसी समय भगवान श्री कृष्ण गीता का अद्भुत उपदेश भी देते हैं अर्थात अतिचारी गुरु की स्थिति में ज्ञान के द्वार भी खुलते हैं।
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वैदिक ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु शास्त्री डॉ. कामना लाड़ का कहना है कि सौरमंडल में देवगुरु बृहस्पति यानी गुरु ग्रह गुरु की भूमिका में होते हैं। ज्ञान देने वाला ही जब अतिचारी हो जाए, तब सौर-मंडल की व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हो जाएगा। जन सामान्य में भी इससे एक बैचेनी सी आने लगती है। देवगुरु बृहस्पति की यह स्थिति वैश्विक असंतोष, युद्ध, तनाव, वर्चस्व की लड़ाई और बौद्धिक संपदा में वृद्धि का संकेत करती है।ALSO READ: बांग्लादेश पर इस ज्योतिष ने पहले ही कर दी थी भविष्यवाणी, जानें भारत से रिश्तों पर क्या कहा?
 
न्याय के देवता शनिदेव 29 मार्च 2025 को रात्रि 09 बजकर 44 मिनट पर कुम्भ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में शनिदेव 03 जून 2027 तक रहेंगे। की अवधि में शनिदेव बृहस्पति की राशि में होंगे। इसके बाद शनिदेव का राशि परिवर्तन होगा। शनि जब मकर राशि में थे तो वे कालपुरुष की कुंडली में कर्म स्थान अर्थात 10वें भाव से गोचर कर रहे थे, तब इसके प्रभाव स्वरूप कोरोना महामारी का प्रकोप पूरे विश्व पर व्याप्त था। साथ ही तब व्यापक स्तर पर कार्य-प्रणाली में परिवर्तन होता है, लाइफ स्टाइल में परिवर्तन आता है।
 
वर्तमान में कालपुरुष की कुंडली में शनि ग्रह एकादश भाव से भ्रमण कर रहे हैं। शनि अपनी राशि कुंभ राशि में है तो इससे बड़े देशों में राष्ट्रवादी भावनाएं प्रबलता से जागृत होती हैं। पहले भी जब वह कुंभ राशि में थे तब भी तो यही स्थितियां बनी थीं। शनि ग्रह की इस स्थिति से एक यथार्थवादी सोच आने लगती है। जब शनि मीन राशि अर्थात काल पुरुष की कुंडली में द्वादश स्थान से भ्रमण करेंगे तब स्वर्ण धातु के मूल्य में अविश्वसनीय परिवर्तन दृष्टिगोचर होने की संभावना है। सैन्य खर्चों में वृद्धि होगी, महंगाई में वृद्धि एवं खनिज तेल के आयात-निर्यात में समस्या उत्पन्न होने की संभावना है। शनि सदैव परिवर्तन लाने वाले प्रमुख गृह रहे हैं। हालांकि केवल शनि के भ्रमण को देखकर भविष्य का विश्लेषण नहीं किया जा सकता। सभी ग्रहों के गोचर का अध्ययन करके सम्मिलित रूप से विश्लेषण, व्याख्या एवं प्रभाव के संबंध में भविष्यवाणी की जाती है। इसी के साथ उनके प्रभाव क्षेत्र को भी देखना होगा। जैसे सूर्य की रश्मियां धरती पर सभी जगह एक जैसी नहीं पड़ रही है। इसलिए सूर्य के प्रभाव की भी गणना की जाती है। कोई एक ग्रह के प्रभाव के चलते संपूर्ण रूप से परिवर्तन नहीं होता। 
 
यह सही है कि गुरु, शनि, राहु और केतु के सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि यह ग्रह बड़े समय अंतराल में राशि परिवर्तन करते हैं। ग्रह एक राशि के अलग-अलग नक्षत्र से भी भ्रमण करते हैं और हर नक्षत्र में भ्रमण का फल भी अलग होता है। वर्तमान में राहु मीन राशि और केतु कन्या राशि में विराजमान हैं। राहु-केतु का गोचर 30 अक्तूबर 2023 को हुआ था। दोनों ग्रह 18 मई 2025 तक इन्हीं राशियों रहेंगे। राहु 18 मई 2025 को शाम 04 बजकर 30 मिनट के बाद कुंभ राशि में प्रवेश करेगा और केतु सिंह राशि में गोचर कर जाएगा। राहु-केतु वक्री गति से चलते हैं। किसी भी ग्रह की वक्री गति का अर्थ उनकी उलटी चाल से होता है। राहु 18 मई 2025 को मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इस राशि में राहु 24 नवंबर  2026 तक रहेंगे। इस अवधि में कुछ समय के लिए राहु-शनि युति भी निर्मित होगी जो कि राजनीतिक उथल-पुथल, युद्ध, अपराध प्राकृतिक आपदा का भी संकेत करती है।
 
हां! यह कहना उचित होगा कि इन ग्रहों के परिवर्तन से देश-दुनिया में परिवर्तन तो होंगे ही। मूल बात यह है कि सभी देश युद्ध से मुक्ति का रास्ता भी ढूंढ़ेंगे। वह पहले इसमें झोंके जाएंगे तभी इससे निकलने की राह ढूंढ़ंगे। ग्रह-गोचर की स्थिति देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी कुछ वर्ष वर्ष भारत वर्ष के लिए भी चुनौती पूर्ण रहेंगे।
 
गुरु की अतिचारी गति का परिणाम?
1. महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था। 
 
2. करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। 
 
3. प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी। 
 
4. पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इन वर्षों में जो हुआ वह सभी ने देखा है।
 
5. अब 14 मई 2025 से बृहस्पति ग्रह 3 गुना तेज गति से 8 वर्षों के लिए अतिचारी होंगे।
 
6. बृहस्पति के अतिचारी होने से 14 मई 2025 से लेकर 18 मार्च 2033 तक यानी 8 वर्षों तक दुनिया में बहुत बड़े बदलाव होने की संभावना है।
 
7. गुरु के अतिचारी, शनि के मीन में गोचर और राहु का कुंभ में गोचर के दौरान देश और दुनिया का संपूर्ण परिदृश्य बदल जाएगा।
 
8. उपरोक्त तीनों ग्रहों की गति के कारण वर्तमान में चल रहे युद्ध आगे चलकर महायुद्ध में बदल जाने की संभावना है। 
 
9. गुरु के अतिचारी होने से देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था में और शासन व्यवस्था में भी भारी बदलाव देखने को मिलेंगे।
 
10. कोरोना वायरस की तरह  किसी नई महामारी के आने की संभावना है।
 
11. टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो जाएगी जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। लोग अंतरिक्ष में जाने की योजना बनाएंगे। 
 
12. बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के मौसम और तापमान में बदलाव हो जाएगा।
 
राहु का कुंभ में गोचर : 18 मई 2025 को राहु ग्रह बृहस्पति की राशि मीन से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेगा। कुंभ में राहु के जाने से देश दुनिया हलचल और तेज हो जाएगी। कोरोना वायरस की तरह किसी नई महामारी के आने की संभावना है। टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो जाएगी जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। लोग अंतरिक्ष में जाने की योजना बनाएंगे।
 
भागवत कथा वाचक और ज्योतिषाचार्य श्री सुरेश बिल्लोरे जी के अनुसार वर्ष 2025 में ग्रह गोचर की स्थिति इस प्रकार हो रही है जैसे कि गुरु का वृषभ राशि में भ्रमण, फिर मिथुन राशि में प्रवेश, कुछ समय पश्चात वक्री होकर वृषभ राशि में प्रवेश इस प्रकार बार-बार होगा। गुरु का यह चक्र देश, विदेश या यह कहें कि पूरे विश्व के लिए ठीक नहीं रहेगा, उथल-पुथल हाहाकार, मारकाट के योग बनेंगे। साथ में 29 मार्च 2025 से शनि का मीन राशि में प्रवेश का प्रभाव शुभ नहीं रहेगा इससे विश्व में जनता पर दुख, कष्ट रहेगा। पृथ्वी पर भूकंप, ज्वालामुखी, प्राकृतिक प्रकोप के साथ-साथ इंसानों की आपस में मारकाट, लड़ाई-झगड़े, खून-खराबा, जन-धन की हानि यह सब होगा। कई देशों में सरकार पर बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी होने की संभावना है। जन विद्रोह के कारण सत्ता चलाना मुश्किल हो जाएगा। मनुष्य विद्रोह पर उतर आएंगा। अचानक मृत्यु होना, दुर्घटना होना विशेष रूप से यह प्रभाव युवा पीढ़ी पर रहेगा।

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