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पापांकुशा एकादशी का महत्व, व्रत करने का तरीका और पारण का सही समय

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Papankusha ekadashi 2023 : हर साल शारदीय नवरात्रि के समाप्ति के पश्चात विजयादशमी/ दशहरा पर्व के अगले दिन ग्यारस तिथि पर यानी आश्विन शुक्ल एकादशी को 'पापांकुशा एकादशी' का व्रत रखा जाता है। इस दिन श्री हरि नारायण का पूजन करके व्रत-उपवास रखा जाता है तथा पारण के पश्चात एकादशी व्रत का समापन होता है। आपको बता दें कि इस बार एकादशी तिथि की शुरुआत मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023 से होगी तथा 25 अक्टूबर को पापाकुंशा एकादशी व्रत किया जाएगा, जिसका पारण 26 अक्टूबर, गुरुवार को होगा। 
 
आइए यहां जानते हैं पापांकुशा एकादशी का धार्मिक महत्व और पारण का सही समय क्या हैं? 
 
धार्मिक महत्व- पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत रख कर श्रीहरि का पूजन-अर्चन करने से वे प्रसन्न होकर समस्त पापों का नाश करके धन-धान्य, सुख-समृद्धि तथा ऐश्वर्य और सफलता का आशीष देते हैं।

मान्यतानुसार इस दिन व्रत रखने से पुण्य फलों की प्राप्ति होकर स्‍वर्ग का मार्ग प्रशस्‍त होता है। यदि पापांकुशा एकादशी का व्रत और पारण विधि-विधानपूर्वक किया जाए तो शरीर तथा आत्मा शुद्ध होता है। यह एकादशी अपार धन, समृद्धि और सुख देती है। इतना ही नहीं पापांकुशा एकादशी 1000 अश्वमेघ यज्ञ तथा 100 सूर्य यज्ञ करने के समान फल देने वाली मानी गई है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है। 
 
पापांकुशा एकादशी का प्रारंभ तथा पारण का उचित समय- 
 
- इस बार एकादशी तिथि का प्रारंभ- मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023 को 06:44 मिनट से शुरू होकर 
- एकादशी तिथि की समाप्ति- बुधवार, 25 अक्टूबर 2023 को 04:02 ए एम पर होगी।
 
- उदयातिथि के हिसाब से गौण पापांकुशा एकादशी व्रत की सही तारीख 25 अक्टूबर 2023, बुधवार के दिन होने से इसी दिन एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
 
- गौण पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण समय- गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023 को 05:01 ए एम से 07:30 ए एम तक रहेगा।
 
एकादशी व्रत का तरीका: 
 
- ध्यान रहे कि पापांकुशा एकादशी व्रत को करने वाले साधक को एकादशी के एक दिन पहले रात्रि में यानी दशमी को रात में भोजन नहीं करना चाहिए। 
- आश्विन शुक्ल एकादशी के दिन व्रतधारी को प्रात: स्नान-ध्यान करने के पश्चात श्री विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 
- तत्पश्चात ईशान कोण में भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को पीले वस्त्र पर रखें।
- अब उस मूर्ति को स्नान कराएं।
- इस दिन ध्यान रहे कि भगवान विष्णु के पूजन में चावल का प्रयोग न करें।
- इस दिन चावल की जगह गेहूं की ढेरी पर भगवान का कलश रखें। 
- उसमें गंगा जल भरकर उस पर पान के पत्ते और श्रीफल/ नारियल रखें। 
- कलश पर में रोली से ॐ और स्वास्तिक बनाएं।
- फिर श्री विष्णु को पीले पुष्प और पीले फल आदि अर्पित करें।
- यदि संभव हो तो एकादशी व्रत रखने वाले जातक रात्रि जागरण करें।
- इस दिन साधक को अपने सामर्थ्य के अनुसार पूजा.पाठ, भजन, भगवान का ध्यान-कीर्तन, मंत्र जाप करना चाहिए।
- अगले दिन यानी पारण वाले दिन किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही स्वयं व्रत खोलें।
- इस दिन ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा अवश्य ही दें।
- व्रत वाले दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। 
- व्रत वाले दिन अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए। 
- पापांकुशा एकादशी व्रत श्रद्धा तथा भक्ति भाव से करना चाहिए।

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