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कब लग रहा है पंचक, 10 खास बातें

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, शुक्रवार, 10 जून 2022 (15:44 IST)
Panchak june 2022: हर माह पांच दिन का एक ऐसा अशुभ काल होता है जिसे पंचक कहते हैं। जून माह 2022 में कब लगेगा पंचक? आओ जानते हैं पंचक के बारे में 10 खास बातें।
 
1. कब लगेगा पंचक : 18 जून 2022 शनिवार को 18:43:37 बजे से पंचक लगेगा जो 23 जून गुरुवार 06:14:57 बजे तक रहेगा।
 
1. पंचक के प्रकार:-
1.रविवार को पड़ने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है।
2.सोमवार को पड़ने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है।
3.मंगलवार को पड़ने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है।
4.शुक्रवार को पड़ने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है।
5.शनिवार को पड़ने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है। 
6.इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में पड़ने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।
 
3. पंचक में मौत का समाधान:- 
गरुड़ पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके साथ उसी के कुल खानदान में पांच अन्य लोगों की मौत भी हो जाती है।
 
4. पंचक और नक्षत्र : आचार्यों के अनुसार धनिष्ठा से रेवती पर्यंत इन पांचों नक्षत्रों की क्रमशः पांच श्रेणियां हैं- ग्रामपंचक, कुलपंचक, रथ्यापंचक, गृहपंचक एवं ग्रामबाह्य पंचक। ऐसी मान्यता है कि यदि धनिष्ठा में जन्म-मरण हो, तो उस गांव-नगर में पांच और जन्म-मरण होता है। शतभिषा में हो तो उसी कुल में, पूर्वा में हो तो उसी मुहल्ले-टोले में, उत्तरा में हो तो उसी घर में और रेवती में हो तो दूसरे गांव-नगर में पांच बच्चों का जन्म एवं पांच लोगों की मृत्यु संभव है। 
 
5. पंचक में जन्म मरण : मान्यतानुसार किसी नक्षत्र में किसी एक के जन्म से घर आदि में पांच बच्चों का जन्म तथा किसी एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर पांच लोगों की मृत्यु होती है। मरने का कोई समय नहीं होता। ऐसे में पांच लोगों का मरना कुछ हद तक संभव है, परंतु उत्तरा भाद्रपदा को गृहपंचक माना गया है और प्रश्न है कि किसी घर की पांच औरतें गर्भवती होंगी तभी तो पांच बच्चों का जन्म संभव है।
 
5. पांच का सूचक : पंचक में जन्म-मरण और पांच का सूचक है। जन्म खुशी है और गृह आदि में विभक्त इन नक्षत्रों के तथाकथित फल पांच गृहादि में होने वाले हैं, तो स्पष्ट है कि वहां विभिन्न प्रकार की खुशियां आ सकती हैं। पांच मृत्युओं का अभिप्राय देखें तो पांच गृहादि में रोग, कष्ट, दुःख आदि का आगम हो सकता है। कारण व्यथा, दुःख, भय, लज्जा, रोग, शोक, अपमान तथा मरण- मृत्यु के ये आठ भेद हैं। इसका मतलब यह कि जरूरी नहीं कि पांच की मृत्यु ही हो पांच को किसी प्रकार का कोई रोग, शोक या कष्ट हो सकता है।
 
6. पंचक का उपाय:- पंडित के कहे अनुसार शव के साथ आटे, बेसन या कुश (सूखी घास) से बने पांच पुतले अर्थी पर रखकर इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है। या सबसे पहले तो दाह-संस्कार संबंधित नक्षत्र के मंत्र से आहुति देकर नक्षत्र के मध्यकाल में किया जा सकता है। नियमपूर्वक दी गई आहुति पुण्यफल प्रदान करती हैं। साथ ही अगर संभव हो दाह संस्कार तीर्थस्थल में किया जाए तो उत्तम गति मिलती है।
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Panchak 2022
7. पंचक क्या है : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है। इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है।
 
8. पंचक के नक्षत्रों का प्रभाव:-
1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।
3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की संभावना रहती है।
4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।
 
9. पंचक में नहीं करते हैं ये पांच कार्य:- 1.लकड़ी एकत्र करना या खरीदना, 2. मकान पर छत डलवाना, 3. शव जलाना, 4. पलंग या चारपाई बनवाना और दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।
 
10. समाधान : यदि लकड़ी खरीदना अनिवार्य हो तो पंचक काल समाप्त होने पर गायत्री माता के नाम का हवन कराएं। यदि मकान पर छत डलवाना अनिवार्य हो तो मजदूरों को मिठाई खिलने के पश्चात ही छत डलवाने का कार्य करें। यदि पंचक काल में शव दाह करना अनिवार्य हो तो शव दाह करते समय पांच अलग पुतले बनाकर उन्हें भी आवश्य जलाएं। इसी तरह यदि पंचक काल में पलंग या चारपाई लाना जरूरी हो तो पंचक काल की समाप्ति के पश्चात ही इस पलंग या चारपाई का प्रयोग करें। अंत में यह कि यदि पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा करना अनिवार्य हो तो हनुमान मंदिर में फल चढ़ाकर यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं। ऐसा करने से पंचक दोष दूर हो जाता है।

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