29 अक्टूबर 2017 की दोपहर 2 बजकर 34 मिनट से पंचक की शुरुआत गई है, जो कि 2 नवंबर 2017 तक जारी रहेगा। इस बार रोग पंचक लगा है। इस संबंध में यह मान्यता है कि जो पंचक रविवार से शुरू होता है उसे 'रोग पंचक' के नाम से जाना जाता है।
पंचक चन्द्रमा की स्थिति पर आधारित गणना है। पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है।
जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है, उस समय को 'पंचक' कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में पंचक को शुभ नक्षत्र नहीं माना जाता है। इसे अशुभ काल और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है। इस बार 29 अक्टूबर से शुरू हुआ पंचक 2 नवंबर 2017, गुरुवार रात्रि अंत 4 बजकर 50 मिनट तक जारी रहेगा। पंचक के इन 5 दिनों में कुछ कामों को करने की मनाही होती है जिसे हमें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। आइए जानें इन दिनों में कौन से काम करना अशुभ होता है।
पचंक में न करें ये काम
* पंचक में दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
* जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनवाना चाहिए। इस नक्षत्र में धनहानि की आशंका होती है।
* शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
* पूर्वाभाद्रपद रोगकारक नक्षत्र होता है।
* उत्तराभाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
* पलंग बनवाना बड़े संकट को न्योता देना है।
* इस दिनों जिस समय धनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए। पंचक के प्रभाव से इस नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
इन दिनों में अन्य कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं, जैसे लंबी दूरी की यात्रा, व्यापार, लेन-देन, नया कार्य आदि।