ज्योतिषियों के अनुसार 22 जून 2019 से वर्षा ऋतु की शुरुआत होगी। इस वर्षा काल में अच्छी बारिश की उम्मीद की जा रही है। वर्षा का वाहन हाथी होने से इस बार अच्छा पानी बरसेगा, लेकिन पंचक में शनिवार के दिन शुरूआत के कारण कुछ अवरोध भी आएंगे।
शाम 5.28 बजे सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते ही वर्षा ऋतु शुरू हो जाएगी। वर्षा ऋतु की शुरुआत पंचक में हो रही है। इस दिन शनिवार भी है। पंचक में शुरुआत होने से यह भी माना जा रहा है कि शुरुआत में ही पांच दिन तक लगातार बारिश होगी। हाथी पर सवार होने से अच्छी बारिश के योग हैं। नवग्रहों में से सूर्य, मंगल, बुध, शनि और केतु सौम्य और जलानाड़ी में होने से सभी जगह संतोष जनक पानी बरसेगा। 15 दिन बाद पुनर्वसु नक्षत्र होने से भी बारिश का क्रम बना रहेगा।
कहा जा रहा है कि नवग्रहों में से सूर्य, मंगल, बुध, शनि, केतु सौम्य और जलानाड़ी में होने से सभी स्थानों पर बरसेगा पानी।
कब होगी बारिश
ज्योतिषविद् के अनुसार इस वर्षा ऋतु में अच्छे गृहयोग होने से लोगों को राहत मिलेगी। खासकर किसानों को फायदा होगा। 6 जुलाई से 3 अगस्त तक अच्छी बारिश होने का अनुमान है। 17 अगस्त के बाद फिर अच्छी बारिश होगी। 31 अगस्त के बाद अल्प वर्षा के योग बनेंगे। वर्षाकाल में कुल वृष्टि योग 41 है। आषाढ़ माह में 11, श्रावण में 15, भाद्रपद में 13 एवं आश्विन में 2 वर्षा के योग है। 14 सितंबर तक विभिन्न नक्षत्रों में तेज और अल्प वर्षा होगी और पहाड़ी इलाकों में बाढ़ की संभावना रहेगी। 14 सितंबर के बाद बारिश से राहत मिलेगी।
बोवनी के लिए समय
25 जून से 4 जुलाई के बीच बोवनी करना श्रेष्ठ है। किसानों को इससे फायदा होगा। जिन इलाकों में पहली बारिश हो गई है और बोवनी कर सकते हैं तो उन्हें इन दिनों में बोवनी करना चाहिए। यह कृषि के लिए उत्तम समय है।
आयुर्वेद की सुश्रुत संहिता में वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है। इसमें नदियां जल से भरी रहती हैं, सरोवरों में कुमुद व नील कमल खिलते हैं, जमीन घास और पेड़-पौधों से सज जाती है। बादलों के कारण सूर्य और नक्षत्र आकाश में ढंके रहते हैं। इसमें ठंडी हवा और पृथ्वी की वाष्प के साथ पानी के अम्लीय होने से पित्त तथा अग्नि मंद हो जाती है, जिससे कफ की शिकायत रहती है। इसके लिए योग करें, हल्का भोजन करें। दूषित जल पीने से बचना चाहिए। दिन में सोना वर्जित है। गीले कपड़े भी नहीं पहनना चाहिए।