Palmistry Bhagya Rekha: अंगुष्ठयवैराढयाः सुतवन्तोगुंष्ठमूलगैश्च यवैः। दीर्घागंलिपवार्ण सुभगो दीर्घायुषश्चैव।। अर्थात धनी मनुष्यों के अंगूठे में यव का चिन्ह होता है। अंगूठे के मूल में यव का चिन्ह हो तो पुत्रवान होते हैं। यदि अंगुलियों के पर्व लम्बे हो तो भाग्यशाली व दीर्घायु होता है। आओ जानते हैं भाग्य रेखा के बारे में।
ज्योतिषियों का मानना है कि हाथों की लकीरों में ही सभी का भाग्य छुपा हुआ है। यह कैसे जानें कि आपके हाथ में भाग्य रेखा है या नहीं। है तो क्या भाग्य से ही सबकुछ मिलेगा या कि उस रेखा का और भी कुछ मतलब होता है।
भाग्य रेखा:-
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भाग्य रेखा हथेली के बीच में होती है। यह मणिबंध से निकलकर उपर की ओर जाती है।
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भाग्य रेखा यदि सरल और स्पष्ट है तो व्यक्ति का भाग्य साथ देगा लेकिन यह रेखा टूटी-फूटी और अस्पष्ट है तो कर्म पर ही निर्भर रहना होगा।
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यह भी मान्यता है कि यदि यह रेखा कलाई से निकलकर यदि गुरु पर्वत में मिल जाए तो व्यक्ति बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली होता है।
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यह भी मान्यता है कि यदि यह रेखा कलाई से निकलकर यदि शनि पर्वत में मिल जाए तो भाग्य की कोई गारंटी नहीं।
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भाग्य रेखा पर कोई शुभ चिन्ह बना है तो यह शुभ होती है।
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भाग्य रेखा जीवन में भाग्य को बढ़ाती है।
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भाग्य रेखा शुभ स्थिति में है तो ऐसे व्यक्ति का शादी के बाद भाग्य चमककता है और वह खूब धन कमाता है।
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यदि कोई रेखा शनि पर्वत पर पहुंचकर बंट जाए और गुरु पर्वत यानी तर्जनी अंगुली के नीचे पहुंच जाए तो ऐसा व्यक्ति बहुत दानी एवं परोपकारी होता है। यदि हथेली पर जिस स्थान पर भाग्य रेखा कटी है तो यह माना जाता है कि जीवन के उस पड़ाव पर जातक को संघर्ष और कष्ट झेलना पड़ सकता है।