ज्योतिष में जन्मपत्रिका, बारह राशियों एवं नौ ग्रहों का विशेष महत्व है... ये नौ ग्रह अपने-अपने स्वभाग के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं। नौ ग्रहों में प्रत्येक ग्रह का अपना महत्व है, लेकिन इन सभी में सूर्य को विशेष माना गया है। जी हां, सूर्य को ग्रहों का राजा या यूं कहें कि पिता का दर्जा दिया जाता है। इसका एक प्रमुख कारण इसका स्वभाव एवं कारकत्व है। आइए सूर्य ग्रह के बारे में महत्वपूर्ण बातें जानते हैं -
जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि सूर्य को राजा कहा गया है, क्योंकि सूर्य का स्वभाव राजा के समान है। वह किसी भी मामले में समझौता पसंद नहीं करता। हालांकि सूर्य दंभी है, लेकिन विशाल हृदय है। यही कारण है कि जिन जातकों की पत्रिका में सूर्य अच्छी स्थिति होती है, उनका रहन-सहन, तौर तरीके राजसी होते हैं। ऐसे लोगों को स्वभाव से कई बार अहंकारी समझा जाता है क्योंकि वे आसानी से किसी से घुल मिल नहीं पाते, ना ही स्थति-परिस्थितियों में आसानी से समझौता कर पाते हैं। लेकिन वे अपने मन में किसी तरह का मैल नहीं रखते, ना ही किसी से दुश्मनी रखते हैं। वे जरूरत के अनुसार क्रोधी हो सभी को लेकर चलते हैं।
चूंकि सूर्य को पिता का कारक माना गया है, तो इसका स्वभाव भी उस पिता की तरह ही होता है जो भले ही बच्चों को गलती होने पर डांटता-फटकारता है, लेकिन मौन रूप से उनके लिए समर्पित होता है,साथ ही बच्चों के वर्तमान और भविष्य का पूरा ख्याल रखता है। कुंडली में सूर्य की अच्छी स्थिति पिता के साथ मधुर संबंधों का सूचक है, वहीं यह भी देखा गया है कि जिन जातकों की कुंडली में सूर्य दोषपूर्ण है, उन्हें पिता का सामान्य सुख नहीं मिल पाता।
सूर्य को आत्मा का कारक भी माना गया है, अत: कुंडली में सूर्य की अच्छी स्थिति आत्मिक ढृढ़ता को दर्शाती है। ऐसे लोगों में भरपूर आत्मविश्वास होता है। इसके विपरीत जातक में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है।
सूर्य को स्वर्ण एवं गेहूं का कारक भी माना गया है। कहा जाता है कि स्वर्ण का सुनहरा रंग सूर्य की ही देन है। अत: कुंडली में सूर्य की अच्छी या उच्च स्थिति भाग्य को स्वर्ण की तरह चमकाने की ताकत रखती है। सूर्य का यश प्रदान करने वाला भी कहा गया है, अत: सूर्य के प्रभाव से जातक सुयश प्राप्त करता है। ऐसे लोग राजनीति में नाम कमाते हैं एवं सरकारी विभागों में उच्च पदों पर आसीन होते हैं। लेकिन इसके विपरीत स्थिति में जातक अपयश एवं आक्षेपों का भागी बनता है।
वहीं सेहत की दृष्टि से देखें तो सूर्य को हड्डी और दायीं आंख से जोड़कर देखा जाता है। सूर्य के प्रभाव में कमी के कारण जातक हड्डी एवं नेत्र संबंधी समस्या का सामना करता है, खास तौर से जब सूर्य की दशा चल रही हो।
अब सवाल यह उठता है कि कैसे पहचानें कि कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में है या नहीं...तो इसका निश्चय पत्रिका का देखकर ही किया जा सकता है। अगर पत्रिका में सूर्य केंद्र या त्रिकोण में अपनी उच्च राशि, स्वराशि या फिर मित्रराशि में हो, और उस पर किसी तरह की शत्रु या नीच दृष्टि नहीं पड़ रही हो तो यह सकारात्मक फल देता है। लेकिन अगर सूर्य बुरे भावों में,अपनी नीच राशि या शत्रु राशि में स्थित हो एवं शत्रु दृष्टि का शिकार हो, तो यह नकारात्मक फल देता है। हालांकि कुछ मतों के अनुसार सूर्य पर छठवें, आठवें और बारहवें भाव का असर नहीं होता।