Mesh sankranti 2024: 13 अप्रैल 2024 शनिवार को सूर्यदेव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश को मेष संक्रांति कहते हैं। मेष संक्रांति को वर्ष की शुरुआत का समय भी माना जाता है। इस दिन को भारत के कई राज्यों में त्योहार के तौर पर मनाया जाता है। जैसे बंगाल में पोहेला बोइशाख, पंजाब में बैसाखी, ओडिशा में पाना संक्रांति आदि। खगोलशास्त्र के अनुसार मेष संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायन की आधी यात्रा पूर्ण कर लेते हैं। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का। सूर्य का मेष राशि में प्रवेश सौरवर्ष या सोलर कैलेंडर का पहला माह है।
मेष संक्रांति सौर मास का पहला माह भी माना गया है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है। यह मास प्राय: तीस दिन का होता है। सूर्य एक राशि में 30 दिन तक रहता है। सौर माह का पहला माह है मेष। सौरमास के नाम : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, मकर, मीन।
मेष संक्रांति के शुभ उपाय:-
1. पितृ दोष : पितृ दोष से मुक्ति के लिए आम का टिकोरा, पंखा, बेल का फल, सत्तू, और मिट्टी के घड़े में जल भरकर किसी गरीब को दान दें।
2. गंगा स्नान : यदि संभव तो गंगा स्नान करें या नहाने के पानी में थोड़ा गंगा जल मिलकर स्नान करें। इससे पुण्य फल की प्राप्ति होगी।
3. अर्घ्य: तांबे के लोटे में भरे जल में थोड़ा गुड़, लाल फूल, चावल और रोली मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
4. दान : लाल फूल, लाल चंदन, लाल वस्त्र का दान करें। इससे सूर्य और मंगल संबंधी दोष दूर होंगे। गुड़, घी, गेहूं, तांबा का दान करने से सूर्य प्रबल होता है और मान सम्मान में बढ़ोतरी होती है साथ ही करियर में फायदा होता है।
- पवित्र जल से स्नान करने के बाद पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दें और उसके बाद पितरों का तर्पण करें।
- संभव हो तो सूर्य चालीसा या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें फिर सूर्य देव की आरती करें।
- पूजा के बाद अपनी यथाशक्ति किसी गरीब ब्राह्मण को वस्त्र, अन्न, फल आदि का दान करें और दक्षिणा देकर विदा करें।
- सूर्य देव के साथ ही श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करें।
सूर्य पूजा : इस दिन सूर्य पूजा का खास महत्व रहता है। सूर्य पूजा से मान-सम्मान में वृद्धि होती है। इस दिन विधिवत रूप से सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।