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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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मौनी अमावस्या के दिन क्यों रखें मौन, क्या करें दान, पढ़ें विशेष दान, मंत्र एवं उपाय

हमें फॉलो करें मौनी अमावस्या के दिन क्यों रखें मौन, क्या करें दान, पढ़ें विशेष दान, मंत्र एवं उपाय
महाभारत के एक दृष्टांत में इस बात का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि माघ मास के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है, वहीं पद्म पुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान श्रीहरि विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं।

यही वजह है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व का माना गया है। यह अमावस्या स्नान, दान और पुण्य के साथ ही श्रद्धालुओं के लिए कई हजार गुणा फलदायी मानी गई है। इस दिन हिन्दू धर्मावलंबी न केवल मौन व्रत रखते है बल्कि भगवान की पूजा-अर्चना भी करते है।
 
एक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या यानी भगवान ब्रह्मा के स्वयंभू पुत्र ऋषि मनु। इन्होंने आजीवन मौन रहकर तपस्या की थी इसीलिए इस तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है। इस दिन त्रिवेणी स्थल यानी 3 नदियों का संगम स्थान पर स्नान करने से तन की शुद्धि, मौन रहने से मन की शुद्धि और दान देने से धन की शुद्धि और वृद्धि होती है। 
    
क्यों रखें मौन :- मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने का प्रचलन सनातन काल से चला आ रहा है। यह काल, एक दिन, एक मास, एक वर्ष या आजीवन भी हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन धारण करने से विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या पर गंगा नदी में स्नान करने से दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किया गया पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) तीनों प्रकार के मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन स्वर्ग लोक के सारे देवी-देवता गंगा में वास करते हैं, जो पापों से मुक्ति देते हैं। यह चंद्र तथा राहु प्रधान होती है इसलिए जिस व्यक्ति की पत्रिका में इन ग्रहों से संबंधित परेशानियां हों, इस दिन उपाय करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। 
 
हिन्दू धर्मग्रंथों में माघ मास को बेहद पवित्र माना गया है। ग्रंथों में ऐसा उल्लेख है कि इसी दिन से द्वापर युग का शुभारंभ हुआ था। यह अमावस्या दुख-दारिद्र्य दूर करने तथा और सभी को सफलता दिलाने वाली मानी गई है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से विशेष पुण्यलाभ प्राप्त होता है। 
 
स्नान क्यों करें :- शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि दिन नर्मदा, गंगा, सिंधु, कावेरी सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान, दान, जप, अनुष्ठान करने से कई दोषों का निवारण होता है। इस दिन ब्रह्मदेव और गायत्री का भी पूजन विशेष फलदायी होता है। इस दिन गंगा स्नान के साथ ही मौन व्रत धारण करने और बताए गए मंत्रों के जप से विशेष लाभ एवं विशेष उपलब्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही स्नान दान का पूरा पुण्यफल भी मिलता है।
 
इन मंत्रों का करें जाप :- 
 
मंत्र 1- 
।।अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीर् अवन्तिका, पुरी, द्वारावतीश्चैव: सप्तैता मोक्षदायिका।।
 
मंत्र 2- 
।।गंगे च यमुनेश्चैव गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।
 
दान क्या करें :- मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, जूते दान करने का विशेष महत्व है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने में विशेष फल की प्राप्ति होगी।
 
करें ये उपाय :-
 
* इस दिन पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें। 
 
* कोई भी रोग होने पर गुड़ व आटा दान करें।
 
* इस दिन पितृसूक्त तथा पितृस्तोत्र का पाठ करना चाहिए। 
 
* विद्या की प्राप्ति हेतु रेवड़ी को मीठे जल में प्रवाह करें।
 
* अमावस्या के दिन सूर्यदेव को तांबे के लोटे में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य देना फलदायी माना जाता है। 
 
* 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का 108 बार अथवा जितना भी हो सके ज्यादा से ज्यादा जाप करना शुभ फल प्रदान करता है।
 
* अमावस्या को दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। 
 
* कर्ज बढ़ जाने ऋणमोचक मंगल स्रोत का पाठ स्वयं करें या किसी युवा ब्राह्मण सन्यासी से कराएं।


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