मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन करें ये अचूक उपाय, चमक जाएगी किस्मत
, शनिवार, 14 दिसंबर 2024 (15:54 IST)
Margashirsha Purnima: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय, माता अन्नपूर्णा, माता त्रिपुर भैरवी की जयंती रहती है। इसलिए इस दिन तोनों की ही कथा पढ़ने का प्रचलन है। हालांकि व्रत कथा माता अन्नपूर्णा से जुड़ी हुई है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 15 दिसंबर को रखा जाएगा। पुराणों में इस दिन स्नान, दान और तप का विशेष महत्व बताया गया है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन हरिद्वार, बनारस, मथुरा और प्रयागराज आदि जगहों पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और तप करते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व है। आओ जानते हैं किस्मत चमकाने वाले 5 उपाय।
1. तुलसी स्नान: इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। श्रीहरि की कृपा से धन संबंधी सभी समस्या का समाधान होता है।
2. सत्यनारायण की पूजा: इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करना और कथा सुनने का महत्व है। यह परम फलदायी बताई गई है। इससे सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन भगवान श्री दत्तात्रेय की पूजा करें। दत्तात्रेय महाराज श्रीहरि विष्णु के ही अवतार हैं।
3. पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ की पूजा करने व दूध मिश्रित जल चढ़ाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे घर का दीपक जलाकर वृक्ष की 11 परिक्रमा करें।
4. दान: इस दिन दिए गए दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना ज्यादा बताया गया है। अत: यथाशक्ति दान दें। इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा करने से आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी।
5. गुड़ और चंदन: कर्ज से परेशान व्यक्ति मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर एक चुटकी लाल चंदन और गुड़ चढ़ाएं। इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है
क्या करते हैं इस दिन: इस दिन श्रीहरि के नारायण रूप की पूजा करते हैं। सुबह उठकर या तिथि प्रारंभ होने के पूर्व व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर आचमनादि करके ऊँ नमोः नारायण कहकर श्रीहरि का आह्वाहन करते हैं और फिर उनकी पंचोपचार पूजा करते हैं। जिसमें गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि भगवान अर्पित करके आरती करते हैं। पूजा आरती के बाद हवन करते हैं। हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति देते हैं। हवन की समाप्ति के बाद भगवान का ध्यान करें। रात्रि को भगवान नारायण की मूर्ति के पास ही शयन करें। दूसरे दिन व्रत का पारण करने के लिए यथाशक्ति गरीबों को दान-दक्षिणा दें।
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