प्रदोष व्रत : कब है, क्या करें, कैसे करें, एक लिंक पर सारी जानकारी
प्रदोष व्रत कब और कैसे करें-Mangal Pradosh Vrat Kaise Karen
जब किसी भी मंगलवार के दिन प्रदोष तिथि का योग बनता है, तब भौम प्रदोष (Mangal Pradosh) व्रत रखा जाता है। मंगल ग्रह (Mangal Grah) का ही एक अन्य नाम भौम है। यह व्रत हर तरह के कर्ज से छुटकारा दिलाता है। इस बार मंगलवार को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत पड़ रहा है, इसलिए इसे मंगल या भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। वर्ष 2022 में यह व्रत 15 मार्च 2022 को मनाया जा रहा है।
इसमें मंगलवार और शनिवार को आने वाले प्रदोष तिथि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन हनुमान जी तथा मंगल ग्रह या मंगल देवता का पूजन भी करना चाहिए। कर्ज से मुक्ति के लिए इस दिन शाम के समय किया गया हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायी सिद्ध होता है। मंगल ग्रह की शांति के लिए इस दिन व्रत रखकर शाम के समय हनुमान और भोलेनाथ की पूजा की जाती है। भौम प्रदोष व्रत बहुत प्रभावशाली माना गया है। जहां एक ओर भगवान शिव व्रत करने वालों के सभी दुखों का अंत करते हैं, वहीं मंगल देव अपने भक्त की हर तरह से मदद करते हैं तथा बुरी स्थिति से बाहर निकलने में उसकी मदद करते हैं।
फाल्गुन प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त-Mangal Pradosh Puja Muhurat n Date
त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- मंगलवार, 15 मार्च को दोपहर 01.12 मिनट से।
त्रयोदशी तिथि की समाप्ति- बुधवार, 16 मार्च, दोपहर 01.39 पर।
प्रदोष काल व्रत-पूजन का शुभ समय- 15 मार्च शाम 06.29 मिनट से रात्रि 08.53 तक।
भौम (मंगल) प्रदोष व्रत पूजन सामग्री सूची-Mangal Pradosh Pujan List
1. सफेद पुष्प
2. सफेद फूलों की माला
3. आंकड़े का फूल
4. सफेद मिठाइयां
5. सफेद चंदन
6. जल से भरा हुआ कलश
7. बेलपत्र
8. धतूरा
9. भांग
11. कपूर
10. आरती के लिए थाली
12. धूप
13. दीप
14. शुद्ध घी (गाय का हो तो अतिउत्तम)
15. सफेद वस्त्र
16. हवन सामग्री एवं आम की लकड़ी।
पूजा विधि-Mangal Pradosh Puja Vidhi
- प्रतिमाह शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है।
- भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
- इस दिन ब्रह्म मूहूर्त में स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें
- पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़कें।
- अब चौकी पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर मौली बांधें।
- भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग विराजित करें।
- अब कच्चा दूध मिले जल से अभिषेक करें।
- गंगाजल अर्पित करके बिल्वपत्र, फूल, धतूरा, भांग अथवा मौसमी फल चढ़ाएं।
- धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं तथा शिव जी की आरती करें, भोग लगाएं।
- इसी तरह शाम को प्रदोष काल के समय में शिव जी का पूजन करें।
- अगर प्रदोष तिथि मंगलवार के दिन आती है, तो इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है।
- मंगल देव के 21 या 108 नामों का पाठ करें तो कर्च से जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
- इस व्रत-पूजन से मंगल ग्रह की शांति भी हो जाती है।
- इस दिन हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करके उन्हें बूंदी के लड्डू अर्पित करना चाहिए।
कथा-Mangal Pradosh Katha
व्रत की कथा के अनुसार एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमानजी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची। हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे? पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज।
हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज। लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी। साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।
वेशधारी साधु हनुमान जी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले। इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ। लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया।
मंत्र-Mangal Pradosh Mantra
- ॐ नम: शिवाय।
- ॐ सों सोमाय नम:।
- ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।
- ॐ शिवाय नम:।
- ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ।
- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, विश्वरूपाय अमित विक्रमाय, प्रकटपराक्रमाय महाबलाय, सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।।
- ॐ हं हनुमते नम:।
- ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।
- ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
- ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:।
- ॐ अं अंगारकाय नम:।'
व्रत के लाभ-Mangal pradosh Vrat ke labh
- मंगलवार का दिन हनुमान पूजन के लिए अति विशेष माना गया है।
- यदि इस दिन प्रदोष तिथि हो तो अतिउत्तम, क्योंकि प्रदोष शिव जी की प्रिय तिथि है। यह दिन शिव पूजा करके उनकी कृपा पाने का खास दिन है।
- मंगल भौम प्रदोष का दिन शनि साढ़ेसाती, मंगल दोष निवारण के लिए विशेष मायने रखता है।
- आज हनुमान साधना करने वाले भक्त को आत्मविश्वास, ओज, तेजस्विता की प्राप्ति होती हैं।
- यह व्रत कर्ज से मुक्ति तथा अभीष्ट सिद्धि देने वाला माना गया है।
- हनुमान जी की आराधना से ग्रह दोष शांत होता है।
- हनुमान जी और सूर्यदेव एक-दूसरे के स्वरूप हैं, इनकी मैत्री प्रबल मानी जाती है। अत: मंगलवार को पूजन से दोनों ग्रह दोषों में लाभ मिलता है।
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