आज एक खगोलीय घटना के अनुसार मंगल, पृथ्वी व सूर्य के साथ एक सीध में होगा। आज सूर्यास्त के पश्चात सूर्य, पृथ्वी व मंगल एक सीध में होंगे। क्या इस खगोलीय घटना का हमारे जनजीवन पर कोई ज्योतिषीय प्रभाव होगा। इसका विश्लेषण करने से पूर्व हमें कुछ बातें समझनी होंगी।
हमारे अंतरिक्ष में ग्रह व उपग्रह होते हैं जिसे सौरमंडल कहा जाता है। सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। सभी ग्रह अपनी-अपनी कक्षा में गति करते हैं। कुछ ग्रहों का अपना चंद्रमा भी होता है।
खगोल जगत में नए-नए ग्रहों की खोज व उनका अन्वेषण होता रहता है। ग्रहों के बारे में और अधिक विस्तार से जानने हेतु वैज्ञानिक ग्रहों पर उपग्रह व सैटेलाइट इत्यादि भेजकर ग्रहों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। लेकिन क्या हर खगोलीय घटना का ज्योतिषीय प्रभाव होता है? हमारे मतानुसार नहीं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ज्योतिष में कुछ विशेष ग्रह स्थितियां ही मनुष्य के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं, प्रत्येक घटना नहीं।
जैसे खगोल जगत में ग्रहों की खोज होती रहती है किंतु ज्योतिष में सनातन काल से केवल 9 ग्रहों की ही मान्यता है। पाठकों को स्मरण होगा कि कुछ वर्ष पूर्व हर्षल और नेप्च्यून नामक ग्रहों को विज्ञान ने मान्यता प्रदान की थी, यहां तक कि बाजारों में हर्षल व नेप्च्यून की गणना करने व उनका प्रभाव बताने वाले ज्योतिष सॉफ़्टवेयर भी प्रचलन में आ गए थे किंतु ज्योतिष ने उन्हें कभी भी मान्यता प्रदान नहीं की थी।
आज आप सभी सुधि पाठकगण इस बात को आसानी से समझ सकते हैं कि हमारा ज्योतिष विज्ञान कितना तथ्यपरक होता है, जब आज खगोलविदों ने स्वयं ही हर्षल व नेप्च्यून को ग्रहों की श्रेणी से बाहर कर दिया है। अब मूल विषय पर लौटते हैं कि आज की खगोलीय घटना का ज्योतिषी प्रभाव होगा या नहीं? जैसे हमने पूर्व बताया कि कोई ज्योतिषीय प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि ज्योतिषशास्त्र में 'पृथ्वी' नवग्रहों में शामिल नहीं है, खगोलशास्त्र में है।
ज्योतिषीय प्रभाव के लिए ग्रहों का अंतरसंबंधित होना आवश्यक होता है। अंतरसंबंध के लिए ग्रहों का राशि परिवर्तन, उनकी दृष्टि (एक विशेष स्थिति में उपस्थिति) आवश्यक है। ज्योतिष के किसी भी ग्रंथ में प्रत्येक खगोलीय घटना का ज्योतिषीय प्रभाव हो ऐसा कोई उल्लेख नहीं है, क्योंकि हर खगोलीय घटना ज्योतिषीय प्रभाव नहीं होता है।
आज की घटना के संबंध में कई ज्योतिष के जानकारों का हमसे मतांतर हो सकता है किंतु हमारा सदैव प्रयास रहता है कि ज्योतिष को व्यावसायिकता से परे तथ्यपरक शास्त्र के रूप में ही प्रस्तुत किया जाए। आज की घटना विशुद्ध रूप से एक खगोलीय घटना है और ऐसी खगोलीय घटना अंतरिक्ष में घटित होती रहती है। आज मनुष्य चंद्रमा पर अपने कदम रख चुका है, मंगलयान के रूप में हमने मंगल पर भी सैटेलाइट भेजकर मंगल की जानकारी हासिल की है। ये सभी खगोलशास्त्र से संबंधित बातें हैं, ज्योतिष शास्त्र से इनका कोई संबंध नहीं है अन्यथा चंद्रमा पर सैटेलाइट भेजे जाने के बाद मनुष्यों के जीवन में परिवर्तन उस आधार पर देखा जाता।
ग्रहों से मनुष्य का जीवन केवल तभी तक प्रभावित होता, जब तक वे ज्योतिष शास्त्र की व्यवस्थाओं व सिद्धांतों की सीमाओं में होते हैं। अन्य परिस्थितियों में ग्रहों का व्यवहार, गति, उन पर होने वाली समस्त घटनाएं विशुद्ध रूप में खगोलीय घटनाएं होती हैं, ज्योतिषीय नहीं। अत: आज मंगल, सूर्य व पृथ्वी का एक रेखा में गति करते हुए आना महज़ एक खगोलीय घटना है। इस पर जितने भी ज्योतिषीय विश्लेषण होंगे, वे पाठकगणों को इस दिशा में सोचने पर अवश्य विवश करेंगे कि वर्तमान काल में सत्य का उद्घाटित व प्रतीति होना कितना दुष्कर होता है। खगोल जगत व ज्योतिष अंतरसंबंधित अवश्य हैं किंतु प्रत्येक खगोलीय घटना का ज्योतिषीय प्रभाव हो यह बिलकुल भी आवश्यक नहीं, क्योंकि खगोल जगत में ऐसी अनेक घटनाएं निरंतर घट रही हैं जिनका हमें पता तक नहीं है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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